विभागीय लापरवाही से फांकाकशी की जिंदगी जी रहे हैं साक्षरता के दूत, अखबार बेच कर रहे जीवन यापन ..

अखबार बेचने से प्राप्त आमदनी से वह मानसिक रूप से अस्वस्थ अपने भतीजे का इलाज कराने के साथ-साथ अपना तथा अपने बाल-बच्चों का भरण पोषण करते हैं. उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में उन्होंने शिक्षा विभाग के डीपीओ से लेकर वरीय अधिकारियों तक से गुहार लगाई. 

- मानदेय भुगतान के लिए वर्षों से चक्कर काट रहे हैं साक्षर भारत मिशन के कनीय प्रेरक
- विभागीय लापरवाही पड़ रही है किसी की जिंदगी पर भारी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले में शिक्षा विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिसके कारण शिक्षा की लौ जलाने वाले साक्षर भारत के एक  कनीय प्रेरक पिछले 2 सालों से अपने बकाया मानदेय के भुगतान के लिए विभाग के चक्कर काटते-काटते इतने परेशान तथा आर्थिक रूप से तंग हाल हो गए कि, वह अब साइकिल पर अखबार बेचकर किसी तरह अपना जीवन यापन करते हैं. अखबार बेचने से प्राप्त आमदनी से वह मानसिक रूप से अस्वस्थ अपने भतीजे का इलाज कराने के साथ-साथ अपना तथा अपने बाल-बच्चों का भरण पोषण करते हैं. उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में उन्होंने शिक्षा विभाग के डीपीओ से लेकर वरीय अधिकारियों तक से गुहार लगाई. जन शिक्षा विभाग के निदेशक सह अपर सचिव ने इस संदर्भ में बक्सर के स्थापना डीपीओ राजेंद्र प्रसाद को जून 2020 में प्रेषित पत्र में यह बताया कि भुगतान हेतु राशि भी विभाग को मुहैया करा दी गई है तथा शीघ्र ही भुगतान किया जाए. हालांकि, पत्र प्राप्त होने के बावजूद भी डीपीओ ने इस संदर्भ में कोई पहल नहीं की.  हालात यह हैं कि अब पीड़ित व्यक्ति ने अधिकारियों से किसी भी प्रकार की उम्मीद ही छोड़ दी है. 

दरअसल, सदर प्रखंड के सोनवर्षा में साक्षर भारत मिशन के लोक शिक्षण केंद्र में बतौर कनीय प्रेरक के रूप में काम करने वाले देवेंद्र नाथ मिश्र ने तकरीबन 19 महीनों तक कार्य किया था लेकिन, उन्हें मानदेय स्वरूप एक भी रुपए का भुगतान नहीं किया गया. बाद में उन्होंने भुगतान किए जाने को लेकर जन शिक्षा विभाग के निदेशक से अपर सचिव को गुहार लगाई. अपर सचिव कुमार रामानुज द्वारा डीपीओ राजेंद्र चौधरी को पत्र लिखकर यह बताया गया कि 9 अक्टूबर 2018 को सभी प्रेरकों को भुगतान के लिए पैसे विभागीय खाते में भेजे जा चुके हैं. उन्होंने अपने पत्र में यह भी बताया कि इस राशि में से कितने लोगों को कितना भुगतान किया गया इसका भी प्रतिवेदन अब तक अप्राप्त है. ऐसे में कन्हैया प्रेरक देवेंद्र नाथ मिश्रा के मामले की जांच करते हुए इस संदर्भ में भी जल्द से जल्द प्रतिवेदन भेजते हुए उनका भुगतान सुनिश्चित कराया जाए. निदेशक के द्वारा प्रेषित पत्र के आलोक में भी कनीय प्रेरक को कोई भुगतान नहीं किया गया. थक हारकर उसने मीडिया से अपनी व्यथा बताई.

कहते हैं डीपीओ:

साक्षर भारत योजना बहुत पहले ही बंद हो चुकी है. जिसको भुगतान लेना था उन्होंने भुगतान प्राप्त कर लिया है. साथ ही कार्यक्रम से जुड़े दस्तावेजों को बांध कर वापस विभाग को भेजा चुका है. अब अक्षर आंचल नामक योजना चलाई जा रही है. ऐसे में साक्षर भारत योजना से संबंधित राशि के भुगतान को लेकर उनके द्वारा कुछ भी नहीं किया जा सकता.

राजेंद्र चौधरी, डीपीओ, स्थापना

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