अधिकारियों की सुस्ती से बच्चों को नहीं मिल रहा शिक्षा का अधिकार ..

जिले में अधिकारियों की सुस्ती से बच्चों को शिक्षा का अधिकार नहीं मिल रहा है. दरअसल, जिले के केवल कुछेक निजी विद्यालयों को छोड़ कर कई विद्यालयों को निबंधन नहीं प्राप्त हो सका है ऐसे में आरटीई के नियमानुसार 25 फीसद जरूरतमंद बच्चों की निःशुल्क पढ़ाई निजी विद्यालयों में नहीं हो पाती. मामले में कई जिलाधिकारी तथा शिक्षा पदाधिकारियों बदल जाने के बाद भी निबंधन की फाइलें विभाग में धूल फांक रही है. 

 





- जिले में संचालित लगभग 400 से ज्यादा विद्यालयों में केवल 40 निबंधित
-  वर्षों से धूल फाँक रही है संचिकाएँ, मार्गदर्शन के फेर में अनजान बने अधिकारी


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले में अधिकारियों की सुस्ती से बच्चों को शिक्षा का अधिकार नहीं मिल रहा है. दरअसल, जिले के केवल कुछेक निजी विद्यालयों को छोड़ कर कई विद्यालयों को निबंधन नहीं प्राप्त हो सका है ऐसे में आरटीई के नियमानुसार 25 फीसद जरूरतमंद बच्चों की निःशुल्क पढ़ाई निजी विद्यालयों में नहीं हो पाती. मामले में कई जिलाधिकारी तथा शिक्षा पदाधिकारियों बदल जाने के बाद भी निबंधन की फाइलें विभाग में धूल फांक रही है. जबकि, नियमानुसार तत्काल औपबंधिक निबंधन हर विद्यालय को मिल जाना चाहिए. जिसके बाद विद्यालय में बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं की जाँच कर स्थायी निबंधन प्रदान करना है. हालांकि, ऐसा नहीं हो पाता है और स्थिति यह है कि जिले में संचालित तकरीबन 400 से ज्यादा निजी विद्यालयों में केवल 10 फीसद यानि कि 40 विद्यालय  ही अब तक निबंधित विद्यालयों की सूची में शामिल हो सके हैं. 




बताया जा रहा है कि, निबंधन के इस कार्य में पैसों का भी खूब खेल हुआ है. जिसमें विभागीय अधिकारियों की भी संलिप्तता सामने आती रहती है. नाम न छापने की शर्त पर कई निजी विद्यालय संचालकों ने बताया कि 10 हज़ार से 30 हज़ार रुपयों का लेनदेन कर अधिकारियों के द्वारा उन्हें निबंधन दिया गया है. पैसे लेने के बाद निबंधन के लिए आवश्यक शर्तों को भी दरकिनार कर दिया गया. राजपुर प्रखंड में निजी विद्यालय चलाने वाले एक स्कूल संचालक ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2011 में निबंधन के लिए आवेदन दिया था लेकिन उन्हें अब तक औपबंधिक निबंधन भी प्राप्त नहीं हो सका है वहीं, दूसरी तरफ एक 2 वर्ष पूर्व खुले विद्यालयों को भी निबंधन मिल गया है.





क्या है नियम: 

सामाजिक कार्यकर्ता सह अधिवक्ता रामनारायण बताते हैं कि, शिक्षा के अधिकार यानी कि राइट ऑफ एजुकेशन के नियमों के तहत किसी भी निबंधित निजी विद्यालय में 25 फीसद ऐसे बच्चों को निःशुल्क पढ़ाई का मौका दिया जाना चाहिए, जिनके माता-पिता पढ़ाई का खर्च वहन नहीं कर सकते. उधर, गैर निबंधित विद्यालय संचालकों के द्वारा जब निबंधन के लिए अनुरोध किया जाए तो उसे तत्काल औपबंधिक निबंधन प्रदान किया जाता है. जिसके बाद विद्यालय के निरीक्षण के उपरांत स्थायी निबंधन मिल जाता है. विद्यालय में बच्चों को दी जाने वाली मूलभूत आवश्यकताओं यथा- खेल मैदान, पीने का पानी, शौचालय आदि नहीं होने पर तीन वर्षो के अंदर विद्यालय प्रबंधन को सुविधओं की उपलब्धता सुनिश्चित करानी होती है. अन्यथा उसके निबंधन के प्रस्ताव को कर दिया जाता है.

कहते हैं अधिकारी: 

इस संदर्भ में मैं ज्यादा कुछ नहीं बता सकता. डीपीओ से मार्गदर्शन माँगा गया है. मार्गदर्शन मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

द्विवेश कुमार चौधरी,
जिला शिक्षा पदधिकारी










Post a Comment

0 Comments