अंचलाधिकारी ने सरकारी जमीन पर दी अतिक्रमण की छूट, नदी की जमीन बचाने को संघर्ष कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता ..

उनकी शिकायत के बाद मामले की जांच करते हुए उक्त जमीन की दाखिल खारिज रद्द करने का आदेश दिया गया था. शिकायतकर्ता अक्षय मणि सिंह ने बताया था कि बांध की यह जमीन आम रास्ते के रूप में प्रयोग होती है. जिसे घेरने का कार्य किया जा रहा है.
 बांध की जमीन पर मिट्टी भरकर स्थापित की जा रही नर्सरी

 


- अवैध दाखिल-खारिज रद्द होने के अतिक्रमण जारी
- बेहद अनमने ढंग से प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं अंचलाधिकारी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सरकारी बाबू की मिलीभगत से अवैध कारोबारियों तथा असामाजिक तत्वों को लाभ पहुंचता है इसकी बानगी डुमराँव में देखने को मिल रही है. दरअसल, डुमराँव में कभी कल-कल बहने वाली तथा वर्तमान में धीरे-धीरे विलुप्त हो रही काव नदी की जमीन पर भू-माफियाओं की कुदृष्टि पड़ी हुई है. भूमाफिया धीरे-धीरे इस जमीन को हथियाने के रणनीति बना रहे हैं. 


इसी रणनीति के अंतर्गत 25 जुलाई 2020 को एक भूमाफिया खूब लाल राम के द्वारा नदी के बाँध की जमीन को अपने नाम से दाखिल-खारिज करा लिया गया था. जमीन को गलत ढंग से दाखिल-खारिज कराए जाने के मामले को लेकर स्थानीय निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अक्षयमणि सिंह के द्वारा अंचलाधिकारी तथा भूमि सुधार उप समाहर्ता से शिकायत दर्ज कराई गई थी. उनकी शिकायत के बाद मामले की जांच करते हुए उक्त जमीन की दाखिल खारिज रद्द करने का आदेश दिया गया था. शिकायतकर्ता अक्षय मणि सिंह ने बताया था कि बांध की यह जमीन आम रास्ते के रूप में प्रयोग होती है. जिसे घेरने का कार्य किया जा रहा है.
अवैध तरीके से सरकारी जमीन में मिट्टी घर आकर लगाई गई झोपड़ी


शिकायतकर्ता ने बताया कि एक तरफ जहां अंचलाधिकारी सुनील वर्मा के मुताबिक दाखिल खारिज को रद्द कर दिया गया है. वहीं, एक बार फिर भूमाफिया ने दबंगई दिखाते हुए जमीन को कब्जा करने का कार्य शुरू कर दिया है। मजे की बात तो यह है कि इस मामले को लेकर अंचलाधिकारी को लिखित रूप से शिकायत देने के बावजूद तकरीबन दो सप्ताह से वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं. नतीजा यह है कि भूमाफिया मिट्टी आदि गिराते हुए तथा झोपड़ी आदि डालकर धड़ल्ले से अतिक्रमण का विस्तार जारी रखे हुए हैं. हालत यह है कि अब जमीन को घेर कर वहाँ नर्सरी के माध्यम से फूल के पौधे बेचने का काम शुरु कर दिया है.



मामले में अंचलाधिकारी सुनील वर्मा का पक्ष जानने के लिए जब उनसे संपर्क किया गया तो उन्होंने पुन: कहा कि उक्त जमीन का अवैध दाखिल खारिज रद्द किया जा चुका है. अब यदि कोई  जमीन का अतिक्रमण कर रहा है तो वह मामले की जानकारी ले कर कार्रवाई करेंगे. बहरहाल, सवाल यह उठता है कि 1 सप्ताह पूर्व दिए गए आवेदन को टालना कहां तक उचित है? एक महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि जिस सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने की जिम्मेदारी सरकारी बाबुओं की है उसको लेकर एक सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा प्रयास किए जाने पर भी अधिकारी गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार क्यों कर रहे हैं? 

शिकायतकर्ता का कहना है कि नियम के तहत कैसर-ए-हिंद की जमीन के दाखिल-खारिज करने वाले अंचलाधिकारी, अंचल निरीक्षक, राजस्व कर्मचारी पर मुकदमा होना चाहिए. जिस तरह बक्सर में चर्च की जमीन की दाखिल-खारिज करने वाले अंचकाधिकारी श्री भगवान सिंह पर मुकदमा किया गया था. ऐसे में अधिक्रमित की जा रही इस जमीन को लेकर अंचलाधिकारी के द्वारा निश्चित रूप से कोई उचित कार्रवाई की जाएगी इसकी उम्मीद है.
















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