देवोत्थान एकादशी आज, योग निद्रा से जागे भगवान विष्णु, शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य ..

कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी व देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. पूरे वर्ष में चौबीस एकादशी होती हैं. लेकिन अगर किसी वर्ष मलमास है तो इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. इन्हीं में से एक है देवउठनी एकादशी. देवउठनी एकादशी से विवाह समेत सभी मंगल कार्यों की भी शुरुआत हो जाएगी.






- आज ही संपन्न कराया जाएगा शालिग्राम तथा तुलसी का विवाह
- आज के दिन तुलसी का दान करने से भी मिलता है महा पुण्य

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. हिन्दी पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी आज बुधवार को देवोत्थान एकादशी है. कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी व देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. पूरे वर्ष में चौबीस एकादशी होती हैं. लेकिन अगर किसी वर्ष मलमास है तो इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. इन्हीं में से एक है देवउठनी एकादशी. देवउठनी एकादशी से विवाह समेत सभी मंगल कार्यों की भी शुरुआत हो जाएगी.



भगवान विष्णु के योग निद्रा से बाहर आते ही सकारात्मक शक्तियों का होता संचार: 

देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी के साथ तुलसी पूजा करने का भी विधान है. महिलाएं एकादशी का व्रत रख परिवार के सुख, समृद्धि की कामना करेंगी. आचार्य सर्वेश कुमार चतुर्वेदी बताते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से बाहर आते ही सृष्टि में तमाम सकारात्मक शक्तियों का संचार होने लगता है. भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार का दायित्व संभालते हैं. ज्ञात हो कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव-शयन एकादशी कहा जाता है,  इस दिन ही भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं.




देवउठनी एकादशी पर सजेगा गन्नों का मंडप

देवउठनी एकादशी पर मंदिरों में गन्ने का मंडप सजाकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाएगी. एकादशी से शादी- विवाह समेत सभी मंगल कार्यों की भी शुरुआत हो जाएगी. भगवान विष्णु और लक्ष्मी के साथ तुलसी पूजा करने का भी विधान है.

देवउठनी एकादशी पूजन का शुभ मुहूर्त:

25 नवंबर को दोपहर 02:42 बजे से 26 नवंबर दोपहर 05:10 बजे तक

तुलसी विवाह:

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी तिथि को तुलसी विवाह किया जाता है. तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ कराया जाता है. आज के दिन तुलसी, शालिग्राम तथा गणेश जी की पूजा की जाएगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह का आयोजन करने पर एक कन्या दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. साथ ही इस दिन सूर्यास्त से पहले तुलसी का पौधा दान करने से भी महा पुण्य मिलता है.








Post a Comment

0 Comments