कार्रवाई: खेतों में पराली जलाने वाले 40 किसानों का निबंधन रद्द ..

बताया कि, खेतों में पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती चली जाती है. जिसका अगले साल फसल के उत्पादन पर काफी असर पड़ता है वहीं, पराली से जलाने से वायुमंडल भी प्रदूषित हो रहा है जिससे सांस की बीमारियों से ग्रसित रोगियों की संख्या बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि जलाने के बदले फसल के अवशेष को सहज तरीके से खेतों में सड़ा कर उर्वरा शक्ति को मजबूत किया जा सकता है.

 






- चिह्नित किसानों को तीन साल तक नहीं दिया जाएगा सरकारी योजनाओं का लाभ
- खेतों में पराली जलाने से वायुमंडल पर पड़ रहा प्रतिकूल प्रभाव

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: दिल्ली समेत कई महानगरों में प्रदूषण के स्तर में इस कदर तेजी के साथ वृद्धि हो रही है कि, लोगों को सांस लेने में भी कठिनाई होने लगी है. हवा में जहर घोलने में मुख्य रूप से वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं के साथ साथ खेतों में जलाई जाने वाली पराली की भूमिका मानी जा रही है हालांकि, नगर परिषद के द्वारा भी जमकर कूड़े को जलाया जा रहा है उधर, प्रशासन के द्वारा खेतों में पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है. जिसमें पराली जलाते हुए पाए जाने पर किसानों को तीन साल तक सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर देने का निर्देश दिया गया है. 

इसी क्रम में जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णानंद चक्रवर्ती के निर्देशानुसार 40 किसानों द्वारा अपने खेतों में धान के अवशेष जलाने की सूचना विभाग को मिली जिसकी पुष्टि करने के बाद सभी 40 किसानों का निबंधन रद्द कर दिया गया है. अब उन्हें भी तीन साल तक सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया जाएगा.




कृषि पदाधिकारी ने बताया कि, खेतों में पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती चली जाती है. जिसका अगले साल फसल के उत्पादन पर काफी असर पड़ता है वहीं, पराली से जलाने से वायुमंडल भी प्रदूषित हो रहा है जिससे सांस की बीमारियों से ग्रसित रोगियों की संख्या बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि जलाने के बदले फसल के अवशेष को सहज तरीके से खेतों में सड़ा कर उर्वरा शक्ति को मजबूत किया जा सकता है इसके अतिरिक्त मवेशियों के चारे आदि के लिए भी उसका प्रयोग हो सकता है.











Post a Comment

0 Comments