एहतियात से साथ हुआ 51 वें सिय-पिय मिलन महोत्सव का शुभारंभ ..

व्यास पीठ के पूजन के साथ श्री बाल्मीकि रामायण का नौ दिवसीय कथा प्रारंभ हुआ. विवाह महोत्सव आश्रम के महंत राजाराम शरण दास जी महाराज एवं अन्य संत जनों के द्वारा श्री वाल्मीकि रामायण एवं व्यासपीठ का वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजन किया गया जिसके बाद कथा व्यास जयकांत शास्त्री महाराज उपाख्य रामकिंकर जी महाराज (अयोध्या )के द्वारा बाल्मीकि रामायण कथा का वाचन किया गया. 

 

मंत्रोचार के साथ व्यासपीठ का पूजन करते महंत व अन्य लोग




- पहले दिन संगीतमय श्री रामचरितमानस का हुआ नवाह पारायण पाठ
- व्यासपीठ पूजन के साथ वाल्मिकी रामायण के नौ दिवसीय पाठ का भी हुआ शुभारंभ

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: महर्षि खाकी बाबा सरकार की पुण्य स्मृति में आयोजित होने वाले श्री सीताराम विवाह आश्रम के अंतर्गत 51 वें श्री सिय पिय मिलन महोत्सव का नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए शनिवार से प्रारंभ हुआ.
                     

कथा श्रवण करते महंत राजा राम शरण दास व अन्य


महोत्सव के प्रथम दिन प्रातः काल श्रीरामचरितमानस का  संगीतमय नवाह पारायण पाठ हुआ, तत्पश्चात दोपहर में व्यास पीठ के पूजन के साथ श्री बाल्मीकि रामायण का नौ दिवसीय कथा प्रारंभ हुआ. विवाह महोत्सव आश्रम के महंत राजाराम शरण दास जी महाराज एवं अन्य संत जनों के द्वारा श्री वाल्मीकि रामायण एवं व्यासपीठ का वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजन किया गया जिसके बाद कथा व्यास जयकांत शास्त्री महाराज उपाख्य रामकिंकर जी महाराज (अयोध्या )के द्वारा बाल्मीकि रामायण कथा का वाचन किया गया. रामकिंकर जी ने वाल्मिकि रामायण की कथा के महात्म का वर्णन करते हुए कहा कि बक्सर का रोम-रोम श्री सीताराम के विवाह के उल्लास से प्रफुल्लित रहता है. वेदों के बाद यदि किसी का चरित्र गाने योग्य है तो वो भगवान सीताराम का चरित्र है. भगवान राम ही हमारे रक्षक हैं,अन्य कोई नहीं. अन्य लोगो से प्राप्त हो रही रक्षा भी प्रभु श्रीराम की प्रेरणा है. भगवान की करुणा से पाप का नाश होता है और पाप नाश के बाद भगवान की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है. भगवान की प्राप्ति में पाप सबसे बड़ी बाधा है. प्रभु श्रीराम के चरणों का वंदन ही सबसे पवित्र कार्य है. हम सभी भगवान के अधीन है. स्वयं को स्वतंत्र समझना सबसे बड़ा अज्ञान है और स्वयं को प्रभु के अधीन समझना सबसे बड़ा ज्ञान है. समस्त सृष्टि, चर-चराचर, जड़-चेतन सब भगवान के अधीन हैं. यही सबसे बड़ा सत्य है. भगवान आनंद है और भगवान का अवतार आनंद के भण्डार का अवतार है. भगवान के चरणों के वंदन से निर्भयता प्राप्त होती है. 





उन्होंने बताया कि वाल्मीकि रामायण, मुक्ति उपलब्ध कराने वाला दिव्यग्रंथ है. कलयुग में मन का परिमार्जन कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करने का साधन है. श्रीमद रामायण. श्रीमद रामयण का प्रभाव चारो युगों में है. जिस प्रकार भगवान अनादि है उसी प्रकार रामायण का प्रभाव अनादि है. वाल्मीकि रामायण का श्रवण करने वाला सकल शोकों से मुक्त होकर भगवान श्री सीताराम के चरणों में आनंद प्राप्त करता है. कथा श्रवण से भगवान के गुणों का ज्ञान होता है. भगवान के गुणों के ज्ञान से उनके चरणों के निकट जाने का मार्ग प्रशस्त होता है. रामायण के प्रभाव से मनुष्य के समस्त दोषों का नाश होता है.इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख संतों में वृंदावन के राम मोहन दास, रामभद्र दास के साथ ही राम बालक दास, जानकी शरण, रघुवर दास, अयोध्या धाम के सुंदर दास एवं रघुनंदन दास महाराज सहित कई भक्त और संत उपस्थित रहे.








Post a Comment

0 Comments