लापरवाह अधिकारियों ने बनाया लोक शिकायत निवारण का मजाक ..

बिजली विभाग के बिजली कंपनी के कनीय अभियंता बिना किसी जवाब के ही सुनवाई में पहुंच गए थे, जिसके बाद उन्होंने यह बताया कि वह अगली तिथि पर मामले में जवाब देंगे लेकिन, अगली तिथि पर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ही गायब हो गए. ऐसे में अब की बार भी सुनवाई नहीं हो पाई.

 





- कभी बिना किसी जवाब के पहुंच जाते हैं अधिकारी तो कभी बगैर सूचना के रहते हैं अनुपस्थित
- लोगों ने कहा, टालने की प्रवृत्ति के कारण लोगों का घट रहा इस कानून से विश्वास

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: बिहार सरकार ने लोगों को लोक शिकायत निवारण का एक ऐसा हथियार दिया है जिसके द्वारा वह जन शिकायतों का त्वरित निपटारा करा सकते हैं. 60 दिनों के अंदर जन शिकायतों का निष्पादन कर दिए जाने की बात सरकार के द्वारा कही गई है उधर, जिला पदाधिकारी अमन समीर भी बार-बार अधिकारियों को लोक शिकायत की सुनवाई में तेजी लाने के निर्देश देते हैं लेकिन, लोग शिकायतों के निवारण में लापरवाही बरतने के मामले सदैव सामने आते रहते हैं. ऐसे में जनता का विश्वास सूचना के अधिकार कानून के तरह इस पर से भी खत्म हो रहा है. 




मंगलवार को लोक शिकायत निवारण के अंतर्गत एक मामले की सुनवाई के लिए डुमरांव से पहुंचे शिकायतकर्ताओं को उस वक्त निराशा हाथ लगी जब वह लोक शिकायत निवारण की सुनवाई के लिए पहुँचे लेकिन, बगैर किसी पूर्व सूचना के लोक सूचना पदाधिकारी गायब मिले. शिकायतकर्ता विनोद कुमार ने बताया कि बिजली विभाग के विरुद्ध की गई एक शिकायत की सुनवाई के लिए वह बक्सर पहुंचे थे लेकिन, लोक  शिकायत निवारण पदाधिकारी बिना किसी पूर्व सूचना के अनुपस्थित मिले  उन्होंने बताया कि इसके पूर्व इसी मामले की सुनवाई के लिए 16 दिसंबर को वह बक्सर पहुंचे थे, उस समय बिजली विभाग के बिजली कंपनी के कनीय अभियंता बिना किसी जवाब के ही सुनवाई में पहुंच गए थे, जिसके बाद उन्होंने यह बताया कि वह अगली तिथि पर मामले में जवाब देंगे लेकिन, अगली तिथि पर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ही गायब हो गए. ऐसे में अब की बार भी सुनवाई नहीं हो पाई. ऐसे में एक तरफ जहां उनका समय बर्बाद हुआ वहीं इस कानून के प्रति भी अविश्वास पैदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार लोक शिकायत से जुड़े मामलों को ऑनलाइन दर्ज कराया जा रहा है ठीक उसी प्रकार अनुपस्थिति के संदर्भ में भी शिकायत कर्ताओं को जानकारी दूरभाष अथवा ईमेल पर मिल जानी चाहिए थी.

शिकायतकर्ता ने बताया कि यह कोई पहला मामला नहीं है. लोक सूचना निवारण पदाधिकारी के द्वारा 60 दिनों की समय सीमा को इसी तरह टालमटोल कर काट दिया जाता है और अंतिम समय में अव्यावहारिक और 
असंतोषजनक निर्णय सुना कर आनन-फानन में मामले का निपटारा कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि जिला पदाधिकारी को इस मामले में अवश्य संज्ञान लेना चाहिए. बक्सर के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता गणेश कुमार ने बताया कि लोक शिकायत के मामलों में केवल टरकाने की प्रवृत्ति अपनाई जाती है. 

इस बाबत लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय में मौजूद कर्मियों से पूछने पर उन्होंने बताया कि, अधिकारी के अनुपस्थित रहने के कारण अगली तिथि दी गई है और अगली तिथि पर सुनवाई की जाएगी











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