भभुअर, बड़का नुआंव के बाद बक्सर पहुँचे श्रद्धालु, लिट्टी-चोखा का प्रसाद कर रहे ग्रहण ..

सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ बक्सर पहुंचने लगी है. किला मैदान में तमाम लोगों ने लिट्टी लगाना शुरू कर दिया है. जिससे निकलने वाले धुएं से आसमान भर गया है. बताया जाता है कि, लिट्टी-चोखा महोत्सव में शामिल होने के लिए एक दिन पूर्व से ही यूपी और बिहार के अन्य जिलों के श्रद्धालुओं के जुटने लगे हैं. हालांकि, इस बार कोरोना वायरस के कारण श्रद्धालुओं की संख्या कम है. 





- लिट्टी चोखा महोत्सव के साथ आज होगा पंचकोसी परिक्रमा का समापन
- दूरदराज से बक्सर पहुंचे हैं श्रद्धालु, पौराणिक परंपरा का कर रहे निर्वहन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: पंचकोशी परिक्रमा का काफिला मंगलवार को भभुअर से चलकर बड़का नुआंव, उद्दालक आश्रम पहुंचा जहां अंजनी सरोवर में स्नान के बाद सरोवर के किनारे हनुमान जी तथा माता अंजनी के मंदिर में जाकर मत्था टेका, जिसके बाद श्रद्धालुओं ने सत्तू और मूली का स्वाद चखा. परिक्रमा में भाग लेने साधु-संतों के अलावा काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे. मौके पर कथा प्रवचन का भी आयोजन हुआ जिसमें पंचकोसी परिक्रमा समिति के संयुक्त सचिव अधिवक्ता सूबेदार पांडेय, स्वामी उद्धाचार्य, सुदर्शन दास, भोला बाबा, रामनायणाचार्य, बृज नाथ पांडेय, गजेंद्र मैथिली, विश्वक्सेन दास, मनोज शास्त्री आदि ने एक कथा के माध्यम से महर्षि विद्यालय एवं बाल हनुमान तथा माता अंजनी के जीवन चरित्र का वर्णन किया.





इस दौरान श्रद्धालु छोटका नुआंव स्थित भगवान शंकर के अति प्राचीन मंदिर में गए और पूजा-अर्चना की. मान्यता है कि, यहां भगवान शंकर का शिवलिंग स्वयं ही प्रतिवर्ष बढ़ता है. बुधवार को बक्सर के चरित्र चरित्रवान इलाके में लिट्टी चोखा लगाकर उसे श्रद्धा पूर्वक ग्रहण करने की परंपरा है. जिसको लेकर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ बक्सर पहुंचने लगी है. किला मैदान में तमाम लोगों ने लिट्टी लगाना शुरू कर दिया है. जिससे निकलने वाले धुएं से आसमान भर गया है. बताया जाता है कि, लिट्टी-चोखा महोत्सव में शामिल होने के लिए एक दिन पूर्व से ही यूपी और बिहार के अन्य जिलों के श्रद्धालुओं के जुटने लगे हैं. हालांकि, इस बार कोरोना वायरस के कारण श्रद्धालुओं की संख्या कम है. 






बता दें कि, हर साल अगहन माह में लगने वाला लिट्टी-चोखा मेला कई मायनों में खास पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम और लक्ष्मण जब महर्षि विश्वामित्र मुनि के साथ बक्सर आए थे तो यज्ञ में विघ्न डालने पर उन्होंने ताड़का और सुबाहु का वध किया था. इसके बाद सिद्धाश्रम में रहने वाले पांच ऋषियों के आश्रम में वे उनसे आशीर्वाद लेने गए जिन पांच स्थानों पर वह गए थे और रात्रि विश्राम के दौरान ऋषियों ने उन्हें पकवान खाने को दिए पकवानों को पंचकोशी यात्रा के दौरान श्रद्धालु भगवान का भोग लगा प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इनमें पहले पड़ाव अहिरौली में पुआ, दूसरे नदांव में खिचड़ी, तीसरे पड़ाव भभुअर में चूड़ा-दही, चौथे पड़ाव बड़का नुआंव में सत्तू - मूली और अंतिम पड़ाव चरित्रवन में लिट्टी-चोखा प्रसाद चढ़ाया जाता है. मंगलवार को साधु संतों ने यात्रा के चौथे दिन नुआंव में डेरा डाला और आज वह बक्सर पहुंच गए हैं. जहां गंगा स्नान के बाद लिट्टी-चोखा का प्रसाद ग्रहण किया जा रहा है. किला मैदान में चोखा के लिए बैंगन, टमाटर आदि की दुकानें भी सजी हुई हैं.









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