बक्सर के कल,आज और कल को लेकर बुद्धिजीवियों ने किया विमर्श ..

कहा कि बक्सर इतिहास, भारतीय ज्ञान परम्परा और संस्कृति की धरती है. मगध साम्राज्य, मुगल काल से लेकर आधुनिक कल तक यह क्षेत्र सेनाओं के युद्ध का सबसे लोकप्रिय मार्ग रहा. शायद इस कारण भी इस क्षेत्र का ठीक से विकास नहीं हो पाया. जबकि यह क्षेत्र अपने बर्तन उद्योग, धान सहित अन्य कृषि उत्पादन , पर्यटन केंद्र के लिए जाना जाते रहा है. 




- बिहार स्वाभिमान आन्दोलन के अंतर्गत हुआ परिचर्चा का आयोजन
- ऑनलाइन परिचर्चा में शामिल हुए साहित्यकार तथा बुद्धिजीवी

बक्सर टॉप न्यूज़, बिहार स्वाभिमान आंदोलन के तहत बक्सर कल,आज और कल विमर्श का ऑनलाइन प्रसारण किया गया. इसका संचालन मनोज मोलदियारने किया. विमर्श में लेखक, इतिहासकार , देवेन्द्र चौबे ने बक्सर के प्राचीन इतिहास और संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बक्सर इतिहास, भारतीय ज्ञान परम्परा और संस्कृति की धरती है. मगध साम्राज्य, मुगल काल से लेकर आधुनिक कल तक यह क्षेत्र सेनाओं के युद्ध का सबसे लोकप्रिय मार्ग रहा. शायद इस कारण भी इस क्षेत्र का ठीक से विकास नहीं हो पाया. जबकि यह क्षेत्र अपने बर्तन उद्योग, धान सहित अन्य कृषि उत्पादन , पर्यटन केंद्र के लिए जाना जाते रहा है. अगर व्यवस्था इन पर ध्यान दे तो यह क्षेत्र देश में विकास का एक बडा केंद्र बनकर उभरेगा. इस क्षेत्र के इतिहास के जो तीनों केंद्र - बक्सर, सासाराम और जगदीशपुर हैं, उनको लेकर एक त्रिकोणात्मक पयर्टन मार्ग बनाकर इस उद्योग का विकास किया जाना चाहिए. इससे रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेगी. साथ ही, पंचकोसी मेला पर भी कार्य होना जरूरी है जिससे कि इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऋषियों के ज्ञान की विरासत को एक नया फलक मिल सकें. वक्ताओं ने कहा कि आजकल यहां के संसदीय प्रतिनिधि स्वास्थ मंत्री है. अगर यहां वे एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना करवा सकें तो उनका बड़ा योगदान होगा. इससे इस क्षेत्र की प्राचीन और आधुनिक विरासत को एक नया संदर्भ मिलेगा.

बक्सर के इतिहासकार दीपक कुमार राय ने कहा बक्सर को हम इसकी प्रतिरोधी चेतना के लिए जानते हैं. विश्वामित्र से लेकर बद्री सिंह बागी और ज्योति प्रकाश तक. स्त्री तत्व और स्त्री प्रतिरोध यहां की मिट्टी में है ताड़का, मेनका, अहिल्या, महथिन माई, डुमरेजिन माई के संदर्भ ले सकते हैं. इतिहास,पुराण और मिथकों से लेकर चौसा और बक्सर की विश्व प्रसिद्ध युद्धों तक फैला बक्सर का इतिहास एक संमृद्व परंपरा से जुड़ता है.

वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुमार ने कहा कि खेतीबाड़ी यहां की ताकत है और स्वाभाविक आधार भी तो उसे हम बहुत कम समय और संसाधन में अधिकतम संमृध्द कर सकते हैं और व्यापार वाणिज्य तथा पर्यटन की असीम संभावनाओं को खोल सकते हैं।किसान और किसानी को मजबूत करें और भोजपुरी संस्कृति के साथ जोड़ कर आधुनिक विकास का रोड मैप तैयार करें तभी मुझे लगता है एक गौरवशाली अतीत वाले बक्सर को एक प्रगतिशील बक्सर के साथ सम्भव कर पाएंगे.

परिचर्चा को बढ़ाते हुए लेखक कुमार नयन ने कहा कि बक्सर की राजनीति ने,संस्कृति ने हमेशा ही देश को प्रभावित किया है और जनता से जुड़ कर वर्चस्व की शक्तियों को ललकारा है. साहित्य और संस्कृति की संमृद्व परंपरा में महर्षि विश्वामित्र के मंत्र सृजन से लेकर शिवपूजन सहाय की साहित्यिक साधना और सच्चिदानंद सिन्हा की संविधान सभा मे महती भूमिका और बिस्मिल्लाह खान के शहनाई वादन तक आती है. बक्सर को उसकी विरासत और प्रगतिशील चेतना के लिए जाना जाता रहेगा चाहे वह रंगमंच हो या सिनेमाई अभिव्यक्ति रही हो.

अमित कुमार ने बताया कि मार्च 2020 से अभी तक बिहार स्वाभिमान आन्दोलन बिहार के समसामयिक मुद्दों ,कृषि , शिक्षा , स्वास्थ्य, विधानसभा के चुनावी मुद्दे , बिहार के गौरवशाली इतिहास , जागरूकता , रोजगारपरक तथा स्वरोजगार के सम्बंधित कुल 168 वर्चुअल परिचर्चा आयोजित कर चुका है. इन सभी विषयों पर देश के नामी  वैज्ञानिक, चिन्तक, पत्रकार , सफल उद्यमी, सामाजिक कार्यकर्ता, कुलपति  तथा शिक्षाविदों ने अपने विचार रखें हैं. सार्थक विमर्श व परिचर्चा के लिए संचालक मनोज मोलदियार ने प्रतिभागियों  को धन्यवाद दिया.















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