प्रवासी हाथ देंगे कंबल उद्योग को नवजीवन, मशरूम की खेती के लिए भी जिले में ही मिलेंगे बीज़ ..

उन्होंने कहा कि 20 लोगों का एक समूह एक साथ मिलकर रेडीमेड वस्त्र उद्योग जैसे कार्यों को शुरू कर सकता है जिसके लिए प्रशासन उन्हें मशीन आदि मुहैया कराएगा इसके अतिरिक्त मधुमक्खी पालन जैसे कार्य को भी बढ़ावा देने की योजना है जिसमें ज्यादा से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिलेगा. वही एमबीए तथा होटल मैनेजमेंट जैसे  डिग्री धारियों को रोजगार से जोड़ने के लिए भी आगे काम किया जाएगा.
मशरूम बीज उत्पादन इकाई का निरीक्षण करते डीएम व डीडीसी तथा अन्य

 





- जिला पदाधिकारी अमन समीर के द्वारा गुरुवार को किया गया उद्घाटन
- सिमरी में कंबल उद्योग तथा नया भोजपुर में मशरूम बीज उत्पादन के लिए प्लांट हुआ शुरु

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: जिला नवप्रवर्तन योजना निधि द्वारा गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा प्रयास शुरू कर दिए गए हैं. इसके तहत पहले जहां सड़क निर्माण विभाग तथा मनरेगा में गैर स्किल्ड श्रमिकों को रोजगार देने की व्यवस्था की जा रही थी वहीं, अब स्किल्ड श्रमिकों को काम देने के लिए भी जिला प्रशासन तत्परता के साथ कार्य कर रहा है. जिसके तहत सिमरी में गुरुवार को जिला पदाधिकारी अमन समीर के हाथों सिमरी में महावीर कंबल उद्योग की शुरुआत की गई वहीं, मशरूम बीज उत्पादन प्लांट, मशरूम स्पान लैब नया भोजपुर को भी शुरू किया गया. यहां कोरोना काल में देश के विभिन्न भागों से लौटे श्रमिकों को रोजगार प्रदान किया जाएगा. 
सिमरी में बनकर तैयार कम बलों को देख उत्साहित जिला पदाधिकारी


इस बारे में जानकारी देते हुए उप विकास डॉ. आयुक्त योगेश कुमार सागर ने बताया कि प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए प्रशासन कई योजनाएं बना रहा है. धीरे-धीरे रेडीमेड वस्त्र उद्योग, मधुमक्खी पालन तथा ऐसे ही अन्य योजनाओं में श्रमिकों को जोड़कर प्रवासी हाथों को काम देने का अभियान शुरू करेगा. उन्होंने कहा कि 20 लोगों का एक समूह एक साथ मिलकर रेडीमेड वस्त्र उद्योग जैसे कार्यों को शुरू कर सकता है जिसके लिए प्रशासन उन्हें मशीन आदि मुहैया कराएगा इसके अतिरिक्त मधुमक्खी पालन जैसे कार्य को भी बढ़ावा देने की योजना है जिसमें ज्यादा से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिलेगा. वही एमबीए तथा होटल मैनेजमेंट जैसे  डिग्री धारियों को रोजगार से जोड़ने के लिए भी आगे काम किया जाएगा.



दरअसल, कोरोना काल में देश के विभिन्न राज्यों से अपने घरों को लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए जिला प्रशासन ने स्किल मैपिंग कराई थी. ऐसे लोगों को उनके घर पर ही रोजगार देने की पहल शुरू हो गई है. पहले जहां मनरेगा तथा सड़क निर्माण में गैर स्किल्ड श्रमिकों को रोजगार प्रदान किया जाता था वहीं, अब सरकार की विभिन्न परियोजनाओं में भी श्रमिकों को रोजगार प्रदान किए जाने की कवायद तेज हो गई है. 

मशरूम के बीज के लिए बाहर जाने के नहीं होगी जरूरत:

उप विकास आयुक्त ने बताया कि मशरूम का उत्पादन करने वाले किसानों को मशरूम के बीजों के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी जिसके लिए उन्हें बाहर जाना पड़ता था लेकिन, अब उन्हें जिले में ही मशरूम के बीज मिलेंगे. इससे मशरूम की खेती को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती फायदे का सौदा मानी जाती है. 

कंबल उद्योग को मिला नवजीवन:

बताया जा रहा है कि बहुत दिनों से कंबल उद्योग की हालत खस्ता हो गई थी लेकिन, प्रवासी मजदूरों के लौटने के बाद गांव में ही रोजगार तलाशने के लिहाज से उद्योग को नया जीवन देने की योजना बनाई गई. प्रवासी श्रमिकों के द्वारा अपने अनुभव को गांव के लोगों से साझा किया गया जिसके बाद कंबल उद्योग को मजबूत करने तथा प्रवासियों को रोजगार देने की योजना एक साथ शुरू करने की बात निकल कर सामने आई. जिसके बाद प्रशासन ने भी हरी हरी झंडी दी तथा मदद के हाथ आगे बढ़ाए.

पिछले वर्ष तात्कालिक डीएम ने लिया था हस्तकरघा उद्योग का जायजा:

दरअसल, चरखा एवं इससे संचालित हस्तकरघा उद्योग जिले के सिमरी प्रखंड में अंतिम सांसें गिन रहा था. व्यवसाय से जुड़े बुनकरों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गयी थी और दिनभर की कड़ी मेहनत के बाद भी इन्हें दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा था. दरअसल, समय के साथ हस्तकरघा उद्योग में तकनीकी बदलाव के लिए सरकारी मदद नहीं मिलने से यह स्थिति उत्पन्न हुई थी. बताया जाता है कि अपनी मेहनत को चादर, कंबल और दरी का शक्ल देने वाले बुनकरों के उत्थान के लिए पिछले वर्ष तात्कालिक जिला पदाधिकारी राघवेंद्र सिंह द्वारा हस्तकरघा उद्योग का जायजा लिया गया था. इस दौरान उन्होंने बुनकरों द्वारा कड़ी मेहनत कर तैयार किए जा रहे कंबल निर्माण कार्य को देख न सिर्फ इसे कुटीर उद्योग का दर्जा दिलाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर प्रयास करने का आश्वासन दिए था.












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