एड्स जागरुकता को लेकर वेबिनार का हुआ आयोजन ..

इस बीमारी से बचाव का एकमात्र रास्ता जागरूकता है ऐसे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूकता का प्रचार प्रसार अपने आसपास करना चाहिए. यह बातें वक्ताओं ने मंगलवार को आयोजित एक वेबिनार के दौरान कहीं. साबित हेल्थ हॉस्पिटल के द्वारा आयोजित वेबिनार में देश-विदेश से लोग जुड़े हुए थे जिन्होंने इस के संदर्भ में अपनी बातें एक दूसरे के समक्ष रखी.

 




- वक्ताओं ने कहा, उचित परामर्श से असमय मृत्यु से बचने की है संभावना
- सरकारी अस्पतालों में मिलता है निःशुल्क परामर्श 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: विश्व एड्स दिवस का उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली बीमारी एड्स के बारे में जागरुकता बढ़ाना है. इस बीमारी से बचाव का एकमात्र रास्ता जागरूकता है ऐसे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूकता का प्रचार प्रसार अपने आसपास करना चाहिए. यह बातें वक्ताओं ने मंगलवार को आयोजित एक वेबिनार के दौरान कहीं. साबित हेल्थ हॉस्पिटल के द्वारा आयोजित वेबिनार में देश-विदेश से लोग जुड़े हुए थे जिन्होंने इस के संदर्भ में अपनी बातें एक दूसरे के समक्ष रखी.




मौके पर वक्ताओं ने कहा कि, जागरूकता का उद्देश्य केवल एक ही है कि, इस जानलेवा बीमारी से लोग बच सकें. कई बार ऐसा देखा जाता है कि जागरूकता के अभाव में लोग इसमें सही ढंग से परामर्श नहीं लेते जिससे के असमय काल के गाल में समा जाते हैं. हालांकि एक लाइलाज बीमारी है लेकिन, इलाज लोगों के जीवन के कुछ वर्ष और बढ़ जाते हैं. इसका इलाज सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क होता है तथा पहचान भी गोपनीय रखी जाती है.

डॉ. दिलशाद आलम ने कहा कि, इस वेबिनार का उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली बीमारी एड्स के बारे में जागरुकता बढ़ाना है. एड्स वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है. दुनिया में रोज़ाना हर दिन 980 बच्चों एचआईवी वायरस के संक्रमित होते हैं, जिनमें से 320 की मौत हो जाती है. साल 1986 में भारत में पहला एड्स का मामला सामने आया था. भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एच.आई.वी. के रोगियों की संख्या लगभग 2.1 मिलियन है.













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