हिंदी के वैश्विक स्वरूप पर साहित्यकारों ने की चर्चा ..

बताया कि हिंदी सदा से ही सत्ता और सियासत के खिलाफ आमजन के साथ खड़ी रही है. इसलिए इसका नाम  खड़ी बोली भी है. मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद दीप नारायण सिंह ने कहा कि हिंदी के विकास में भारतेंदु हरिश्चंद्र सहित महावीर प्रसाद द्विवेदी का अहम योगदान रहा है. साथ ही इसके वैश्विक विस्तार में सिनेमा सहित बाजार का भी महत्वपूर्ण योगदान है. 




- हिंदी दिवस के मौके पर आयोजित हुआ कार्यक्रम 
- काव्य पाठ के दौरान भी खूब बटोरी श्रोताओं की वाहवाही

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर गधपूरना पत्रिका एवं भोजपुरी साहित्य मंडल के संयुक्त बैनर तले "हिंदी के वैश्विक स्वरूप" विषय पर एक विमर्श व कवि सम्मेलन का आयोजन नगर के पीपरपांती रोड स्थित शिव गोविंददायन के परिसर में मंडल अध्यक्ष अनिल कुमार त्रिवेदी के सभापतित्व में आयोजित किया गया.






कार्यक्रम के दौरान साहित्यकार डॉ. अरुण मोहन भारवि ने बताया कि हिंदी सदा से ही सत्ता और सियासत के खिलाफ आमजन के साथ खड़ी रही है. इसलिए इसका नाम  खड़ी बोली भी है. मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद दीप नारायण सिंह ने कहा कि हिंदी के विकास में भारतेंदु हरिश्चंद्र सहित महावीर प्रसाद द्विवेदी का अहम योगदान रहा है. साथ ही इसके वैश्विक विस्तार में सिनेमा सहित बाजार का भी महत्वपूर्ण योगदान है. मौके पर एक सरस कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया, जिसका संचालन श्री भगवान पांडेय ने किया. सम्मेलन में शिव बहादुर पांडेय "प्रीतम" महेश्वर ओझा "महेश", कुशध्वज सिंह "मुन्ना" उमेश पाठक "रवि" रामाकांत तिवारी, रामविलास मिश्र, दीप नारायण सिंह, ओमप्रकाश केसरी "पवननंदन", अरुण मोहन भारवि, राजेश महाराज, अभिषेक वर्मा एवं श्रीभगवान पांडेय ने अपने काव्य पाठ से श्रोताओं की खूब वाहवाही बटोरी.










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