लोक कल्याण के लिए गायत्री यज्ञ में दी गई आहुतियां ..

वायुमंडल में जो प्रदूषण होता है. उसकी शुद्धि यज्ञ की सुगंध से होती है. यज्ञ धूम्र आकाश में जाकर बादलों से मिलता है, उससे वर्षा का अभाव दूर होता है. यज्ञ धूम्र की सख्ती के कारण बादलों में प्राण शक्ति उसी प्रकार से भर जाती है, जिस प्रकार इंजेक्शन की पिचकारी से थोड़ी सी दवा भी शरीर में प्रवेश कराने पर सारे शरीर पर प्रभाव पड़ता है.




- सिविल लाइंस क्लब मैदान में आयोजित हुआ पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ
- लोक कल्याण की हुई कामना, यज्ञ का बताया गया महत्व

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: गायत्री परिवार महिला मंडल के द्वारा सिविल लाइंस क्लब मैदान में पंच कुंडीय महायज्ञ हर्षोल्लास के वातावरण में संपन्न हुआ. यज्ञ की शुरुआत महिलाओं के द्वारा मंगल गान एवं कलश यात्रा के द्वारा हुई. इस दौरान कलश को यज्ञशाला में जयघोष व नारों के साथ स्थापित किया गया तत्पश्चात, यज्ञ का शुभारंभ किया गया.




मौके पर वक्ताओं ने कहा कि यज्ञ में थोड़ा सा समय और पैसा खर्च होता है लेकिन, उससे कई गुना ज्यादा लाभ प्राप्त होता है. यज्ञ में आकाश की भूमि में हवन सामग्री सामग्री रूपी बीज बोने का काम किया जाता है. चूंकि, आकाश तत्व को पृथ्वी से ज्यादा शक्तिशाली माना गया है. ऐसे में यज्ञ खेती की फसल में हजारों गुना अधिक लाभ होता है. मनुष्य शरीर से निरंतर निकल की रहने वाली गंदगी के कारण वायुमंडल में जो प्रदूषण होता है. उसकी शुद्धि यज्ञ की सुगंध से होती है. यज्ञ धूम्र आकाश में जाकर बादलों से मिलता है, उससे वर्षा का अभाव दूर होता है. यज्ञ धूम्र की सख्ती के कारण बादलों में प्राण शक्ति उसी प्रकार से भर जाती है, जिस प्रकार इंजेक्शन की पिचकारी से थोड़ी सी दवा भी शरीर में प्रवेश कराने पर सारे शरीर पर प्रभाव पड़ता है.

यज्ञ गायत्री शक्तिपीठ बक्सर से आए रामानंद तिवारी, सत्येंद्र कुमार मिश्रा, गायत्री पांडेय, सावित्री कुमारी के द्वारा संपन्न कराया गया. यज्ञशाला में गायत्री महामंत्र महामृत्युंजय मंत्र से हजारों आहुतियां लोकमंगल के लिए समर्पित की गई. यज्ञ में महिला मंडल द्वारा यज्ञशाला संचालन का कार्य संपन्न किया गया. संध्या समय में टोली के द्वारा दीप यज्ञ का कार्यक्रम हुआ इसमें बहुत से लोगों ने नशा छोड़ने एवं समाज के लिए अच्छे कार्य करने का संकल्प लिया. यज्ञ में मुख्य यजमान की भूमिका सत्या एवं उनके पति के यज्ञ में महिला मंडल की वंदना सिंह, मंजू बाला सिंह, इंदू, विमला माता, मीना पांडेय, शोभा चौबे, भारती, संगीता, नीलम, मृदुला एवं पंडित तेज नारायण झा, पंकज, निर्मल, अमित, कृष्णा एवं अन्य लोगों का योगदान रहा.









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