सर्विस प्लस ने किया सेवा अधिकार को माइनस ..

इस वेबसाइट पर बेहद धीमी गति से काम होने के कारण लोगों के प्रमाण पत्र बनने में काफी समय लग जा रहा है. डाटा एंट्री ऑपरेटर तथा अन्य कर्मियों का कहना है कि इस संदर्भ में वरीय अधिकारियों को अवगत कराया गया है लेकिन, अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकल पाया. ऐसे में सेवा के अधिकार के तहत ऑनलाइन आवेदन करने के बावजूद लोगों को कई दिनों तक चक्कर लगाना पड़ता है. जबकि इसमें कर्मियों की भी कोई गलती नहीं होती.




- ऐप में आ रही गड़बड़ी के कारण तेजी से नहीं हो रहा निष्पादन
- मेंटेनेंस के बाद भी नहीं दुरुस्त हुई वेबसाइट

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सेवा के अधिकार के तहत जाति, आवास एवं आय प्रमाण पत्र बनाने के लिए ऑनलाइन आवेदन किए जाने के बावजूद लोगों को ससमय उनके प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हो पा रहे. ऐसे में लोगों का आक्रोश विभाग के अंचलकर्मियों व अधिकारियों के प्रति बना रह रहा है. लोगों का मानना है कि घूसखोरी आदि के कारण सेवाओं के अधिकार की प्राप्ति में विलंब हो रहा है लेकिन, इस संदर्भ में पूछे जाने पर कर्मियों ने कुछ और ही जवाब है. उनका कहना है कि सरकार की नई वेबसाइट सर्विस प्लस के कारण लोगों को ससमय प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. दरअसल, इस वेबसाइट पर बेहद धीमी गति से काम होने के कारण लोगों के प्रमाण पत्र बनने में काफी समय लग जा रहा है. डाटा एंट्री ऑपरेटर तथा अन्य कर्मियों का कहना है कि इस संदर्भ में वरीय अधिकारियों को अवगत कराया गया है लेकिन, अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकल पाया. ऐसे में सेवा के अधिकार के तहत ऑनलाइन आवेदन करने के बावजूद लोगों को कई दिनों तक चक्कर लगाना पड़ता है. जबकि इसमें कर्मियों की भी कोई गलती नहीं होती.


ज्यादा तेज थी अधिकार वेबसाइट की गति, सर्विस प्लस ने स्पीड को किया माइनस:

आरटीपीएस काउंटर पर कार्यरत एक कर्मी ने बताया कि पहले अधिकार सॉफ्टवेयर से प्रमाण पत्र निर्गत करने का कार्य किया जाता था लेकिन, 24 नवंबर 2020 से प्रमाण पत्र निर्गमन की गति को बढ़ाने के लिए सर्विस प्लस वेबसाइट को लांच किया गया हालांकि, इस वेबसाइट पर काम करना बेहद मुश्किल हो रहा है. ऑनलाइन आवेदन फॉर्म डाउनलोड करने में ही काफी समय लग जाता है. इसके बाद डिजिटल सिग्नेचर आदि अपलोड करना भी काफी मुश्किल होता है. कभी-कभी कार्य की अधिकता को देखते हुए रात में भी आकर काम करना पड़ता है क्योंकि, रात में वेबसाइट कुछ बेहतर काम करती है. परंतु हर दिन ऐसा करना संभव नहीं होता.

प्रतिदिन जमा होते हैं 150 से 200 आवेदन, महज 15 से 20 लोगों को निर्गत होते हैं प्रमाण पत्र:

नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मी ने बताया कि प्रतिदिन 150 से 200 आवेदन जाति आय एवं आवास प्रमाण पत्र के लिए अंचल कार्यालय में जमा होते हैं ऑनलाइन आवेदन करने के पश्चात उन्हें उनके आवेदन पर ही कार्य निष्पादन की तिथि भी अंकित कर के दे दी जाती है लेकिन, नए वेबसाइट की वजह से कार्य निष्पादन काफी धीमी गति से होता है. लगभग आधे घंटे में एक प्रमाण पत्र बनाने का काम पूरा हो पाता है. ऐसे दिन भर में सभी आरटीपीएस काउंटर मिलाकर केवल 15 से 20 प्रमाण पत्र ही निर्गत हो पाते हैं.




कर्मियों का आरोप, बेमतलब भी आवेदन कर देते हैं लोग:

अंचल कर्मियों का कहना है कि जितने लोग प्रतिदिन आवेदन करते हैं. उनमें से महज आधे लोगों को ही वास्तविक रूप से प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है. कुछ लोग तो आवेदन केवल इसलिए कर देते हैं ताकि वह जांच कर सके कि ऑनलाइन आवेदन करने का क्या प्रोसेस है?उन्होंने बताया कि जिन लोगों को वास्तविक रूप से प्रमाण पत्र की जरूरत होती है वह ऑनलाइन आवेदन करने के बाद आरटीपीएस काउंटर पर स्वयं पहुंचते हैं और अपनी जरूरत बताते हैं. जिसके बाद उन्हें हाथों-हाथ प्रमाण पत्र बना कर दे दे जाता है.

कहती हैं अंचलाधिकारी:

राज्य के सभी 534 अंचलों में सर्विस प्लस वेबसाइट उसे काम करने में समस्या आने की जानकारी मिलती है. इस बात की शिकायत पटना के आईटी मैनेजर को की गई जिसके बाद 2 दिनों के लिए मेंटेनेंस के नाम पर वेबसाइट का सर्वर डाउन किया गया था लेकिन, उससे भी कोई फायदा नहीं हुआ. अब भी स्थिति जस की तस बनी हुई है हालांकि, व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए प्रयास जारी है.

प्रियंका राय
अंचलाधिकारी, 
सदर अंचल, बक्सर







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