इन दोनों कंपनियों ने समय सीमा बीत जाने के बाद भी वार्ड अनुसार अंकेक्षण कार्य नहीं किया. ऐसे में जिला पंचायती राज पदाधिकारी अभय कुमार ने दोनों कंपनियों को पत्र लिखकर निर्देश किया कि जल्द से कि जल्द से जल्द अपना कार्य पूरा कर लें अन्यथा उनके खिलाफ कारवाई की जाएगी.
पंचायती राज पदाधिकारी की चेतावनी के बाद प्रखंड कार्यालय में अंकेक्षण का काम करते ऑडिटर |
- ऑडिट के नाम पर मनमाने ढंग से काम करते हैं लेखा परीक्षक
- होटलों में बैठकर किया जाता है काम, अपने बदले दूसरे को भी भेज देते हैं ऑडिटर
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले में त्रिस्तरीय पंचायती राज के तहत कराये गये विकास योजनाओं का ऑडिट जिला प्रशासन की ओर से कराया जाता है. इसके लिए मानक रखने वाले चार्टेड अकाउंटेंट को टेंडर दिया जाता है. इस कार्य के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 में आनंद मोहन एसोसिएट एवं के.पांडेया एंड कंपनी चार्टर्ड अकाउंटेंट को टेंडर दिया गया था लेकिन, इन दोनों कंपनियों ने समय सीमा बीत जाने के बाद भी वार्ड अनुसार अंकेक्षण कार्य नहीं किया. ऐसे में जिला पंचायती राज पदाधिकारी अभय कुमार ने दोनों कंपनियों को पत्र लिखकर निर्देश किया कि जल्द से कि जल्द से जल्द अपना कार्य पूरा कर लें अन्यथा उनके खिलाफ कारवाई की जाएगी.
इस बाबत मिली जानकारी के अनुसार 2018-19 का अंकेक्षण कार्य पिछले 8 माह से चल रहा है जबकि, यह कार्य महज 2 महीने में पूरा हो जाना चाहिए था. विभाग से पत्र आने के बावजूद भी चार्टर्ड अकाउंटेंट नजराना के चक्कर में देरी कर रहे हैं. विदित हो कि योजनाओं का ऑडिट होने के बाद उसकी उपयोगिता विभाग को भेजा जाता हैं. इसके बाद ही अगले वित्तीय वर्ष के लिए योजनाओं की राशि का आवंटन होता है. लेटलतीफी के कारण अन्य विकास योजनाओं में बाधा पहुंचने की संभावना है.
प्रखंडों में नहीं जाते ऑडिटर:
नावानगर प्रखंड विकास पदाधिकारी ने जिला प्रशासन को भेजे पत्र में कहा है कि पंचायत व वार्ड में हुए विकास योजना की ऑडिट के लिए ऑडिटर नियुक्त किए गए हैं. उन सभी को प्रखंड मुख्यालय पर आकर योजनाओं की ऑडिट करनी थी. इसके लिए तिथि भी निर्धारित की गई थी. परंतु निर्धारित कंपनी महज एक ही दिन प्रखंड मुख्यालय पर आई. इसके बाद वह नहीं आई.
बीडीओ के इस पत्र से साफ जाहिर होता है कि कितने बड़े पैमाने पर अनियमितता का खेल चल रहा है. वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऑडिट करने वाली यह एजेंसी शहर के कई होटलों में मुखिया व वार्ड सदस्यों को बुलाकर योजनाओ की ऑडिट करती हैं. हर योजना की ऑडिट के नाम पर नजराना वसूल करती हैं. गलत तरीके से हुई योजनाओं को भी सही साबित कर उपयोगिता दे देती है. इस तरह की घटनाएं कई बार उजागर भी हो चुकी हैं. परंतु प्रशासन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाया जाता है.
पेटी कांट्रेक्टर से काम कराए जाने की सामने आ रही बात:
सूत्रों की माने तो ऑडिटर स्वयं कभी अंकेक्षण करने नहीं आते वह अपने नाम पर दूसरे-तीसरे को भेज कर योजनाओं की ऑडिट कराते हैं. ऐसे में लेखा परीक्षण किस काम का कोई महत्व ही नहीं रहा जाता. इस संदर्भ में पूछे जाने पर के पांडेया एंड को. के प्रतिनिधि ने इस संदर्भ में पटना आकर बातचीत करने की बात कही.
कहते हैं डीडीसी:
इस तरह की जानकारी अब तक नहीं थी. जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी. किसी भी कीमत पर अनियमितता बर्दाश्त नहीं होगी.
डॉ. योगेश कुमार सागर
उप विकास आयुक्त
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