खुशखबरी: दिल्ली, पटना और वाराणसी की तरह होगा बक्सर का विकास, 129 गांवों का होगा शहरीकरण ..

यातायात की सुविधा उपलब्ध होने के कारण विकसित हो रहा है. जिसके लिए यहां सुनियोजित विकास आवश्यक है. पर्यटन की दृष्टि से भी यह शहर बहुत महत्वपूर्ण है. और इसे मिनी काशी कहा जाता है. बक्सर नगर एवं इसके आसपास वैसे गांव जो शहरीकरण की क्षमता रखते हैं. उन्हें समेकित एवं सुनियोजित रूप से विकसित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसके लिए योजनाबद्ध तरीके से क्षेत्रफल का सीमांकन किया जाना है. 

 







- अनुमंडल पदाधिकारी कृष्ण कुमार उपाध्याय की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक
- सर्वसम्मति से हुआ बक्सर के विकास का निर्णय, अब डीएम के समक्ष होगी बैठक

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले में नियोजित शहरीकरण को लेकर राज्य सरकार योजना बना रही है. ऐसे में जिस प्रकार दिल्ली, पटना और वाराणसी जैसे शहरों का विस्तार और विकास हुआ है उसी प्रकार बक्सर को भी विकास की ओर ले जाना है. बक्सर नगर के आसपास के 129 गांवों में चौड़ी सड़कें, जलापूर्ति तथा गहरी नालियों के साथ-साथ स्ट्रीट लाइट तथा अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी जो बक्सर नगर के लोगों को मिल रही है. 





इस संदर्भ में जिले के नागरिकों तथा बुद्धिजीवियों की एक बैठक अनुमंडल पदाधिकारी कृष्ण कुमार उपाध्याय की अध्यक्षता में  आयोजित की गई जिसमें अनुमंडल अधिकारी ने बताया कि, बक्सर एक ऐतिहासिक शहर है. राष्ट्रीय राजमार्ग-84 शहर से गुजरता है जो कि बिहार को उत्तर प्रदेश से जोड़ता है. पटना से यह शहर लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर है. पूर्वी रेलवे लाइन बक्सर को भारत के अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ती है. यातायात की सुविधा उपलब्ध होने के कारण विकसित हो रहा है. जिसके लिए यहां सुनियोजित विकास आवश्यक है. पर्यटन की दृष्टि से भी यह शहर बहुत महत्वपूर्ण है. और इसे मिनी काशी कहा जाता है. बक्सर नगर एवं इसके आसपास वैसे गांव जो शहरीकरण की क्षमता रखते हैं. उन्हें समेकित एवं सुनियोजित रूप से विकसित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसके लिए योजनाबद्ध तरीके से क्षेत्रफल का सीमांकन किया जाना है. 

मास्टर प्लान में कुल 129 गांवों को किया जाएगा शामिल

इसमें सीमांकन  का क्षेत्रफल तकरीबन 257 वर्ग किलोमीटर होगा, जिसमें बक्सर नगर परिषद 10.56 वर्ग किलोमीटर शहरी क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र 248 वर्ग किलोमीटर है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रस्तावित आयोजना क्षेत्रफल की जनसंख्या 3 लाख 51 हज़ार 799 है.  शहरीकरण के लिए क्षेत्र में एक शहरी प्रशासनिक इकाई तथा बक्सर सदर प्रखंड के 95 राजस्व गांव, इटाढ़ी प्रखंड के 15 राजस्व गांव एवं चौसा प्रखंड के 19 राजस्व गांव को मिलाकर कुल 129 राजस्व गांवों को शामिल किया जाएगा.




 इन प्रखंडों के यह गांव होंगे शामिल:

इस आयोजना क्षेत्र की चौहदी में उत्तर-पूर्वी भाग में बक्सर सदर प्रखंड के मुगरौल, उमरपुर दियारा, दुधार चक, मंझरिया, अर्जुनपुर, अहिरौली, सारिमपुर बक्सर नगर परिषद के उत्तरी-पश्चिमी सीमा से होते हुए बीवीगंज, ठोरा, कृतपुरा, लक्ष्मीपुर से होते हुए पश्चिमी भाग में मिश्रवलिया तक. दक्षिण-पूर्वी भाग में इटाढ़ी प्रखंड के पकड़ी , खतिबा, सिकटौना, जहानपुर, अतरौना सदर प्रखंड के करहंसी , चौसा प्रखंड के चुन्नी से होते हुये पश्चिमी भाग बघेलवा तक. उत्तरी भाग में सदर प्रखंड के मिश्रवलिया, सोनबरसा, जगदरा , कोठिया, बेलौर, बरुणा, बसौली, निधुआं, बभनी, इटाढ़ी प्रखंड के पसहरा, खनिता, जलवासी से होते हुए दक्षिणी भाग में इटाढी तक. पश्चिम - उत्तरी भाग में चौसा  प्रखंड के हादीपुर, बहादुरपुर , चौसा, नरबतपुर, खिलाफतपुर बनारपुर, सिकरौल अखौरीपुर से होते हुए पश्चिमी भाग में कनक नारायणपुर तक. 

शहरी आवास एवं विकास विभाग के द्वारा रखी जाएगी विकास की आधारशिला:

बक्सर आयोजना क्षेत्र की घोषणा एवं इसके उपरांत आयोजना प्राधिकार का गठन, विकास योजना की तैयारी एवं अन्य नियमानुकूल कार्रवाई बिहार शहरी आयोजना तथा विकास अधिनियम 2012 सह बिहार शहरी आयोजना तथा विकास नियमावली 2014 के प्रावधानों के तहत नगर विकास एवं आवास विभाग के द्वारा की जायेगी. आयोजना क्षेत्र के सीमाकन एवं घोषणा का आशय इसके अंतर्गत शामिल शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों की सीमा में परिवर्तन से नहीं है. उपर्युक्त प्रस्ताव एवं विकास योजना पर विचार-विमर्श एवं सुझाव हेतु अनुमण्डल कार्यालय, अपराह्न 12 बैठक आयोजित हुई, जिसमें नागरिकों और बुद्धिजीवियों ने योजनाबद्ध शहरी विकास में अपने सुझाव दिए. 

अनुमंडल पदाधिकारी ने बताया कि इस प्रस्ताव पर जिला स्तर पर विचार कर सरकार को भेजा जाना है जिसको लेकर उनके कार्यालय में बैठक आयोजित की गई थी. जिसमें सर्वसम्मति से लोगों ने इस प्रस्ताव पर सहमति दी पंकज बसुधरी ने बसुधर गांव को इसमें शामिल किए जाने तथा बरुणा के मुखिया ने पंडितपुर तथा संग्रामपुर को भी क्षेत्र में  शामिल किए जाने की बात रखी. अगर यह गांव योजना में नहीं होंगे तो इसके लिए सरकार को लिखा जाए. इसके अतिरिक्त सभी ने सर्वसम्मति से अतिक्रमण हटाए जाने के लिए भी अपनी बातें रखी जिस पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी. अब जिला पदाधिकारी के कार्यालय में आयोजित बैठक के बाद इसे सरकार को भेजा जाएगा.








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