गड़बड़झाला: सक्षम को भूमिहीन बता पोखरे की जमीन का किया बंदोबस्त ..

मुख्यमंत्री के महत्वकांक्षी जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत एक तरफ जहां  जल स्रोतों को ढूंढकर उनके पुनरुद्धार की बात कही जा रही है वहीं, सरकार के नुमाइंदे ही तालाब- पोखर की जमीन का बंटाधार कर रहे हैं. मामला राजपुर प्रखंड के हरपुर गांव का है. जहाँ बिहार सरकार के पोखरे को राजपुर अंचल कार्यालय के कर्मियों की मिलीभगत से निजी व्यक्ति के नाम बंदोबस्त कर दिया गया है. 







- राजपुर अंचल के हरपुर गांव से जुड़ा है मामला
- ग्रामीणों की शिकायत पर मामले की जांच का सीओ ने दिया आश्वासन

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : मुख्यमंत्री के महत्वकांक्षी जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत एक तरफ जहां  जल स्रोतों को ढूंढकर उनके पुनरुद्धार की बात कही जा रही है वहीं, सरकार के नुमाइंदे ही तालाब- पोखर की जमीन का बंटाधार कर रहे हैं. मामला राजपुर प्रखंड के हरपुर गांव का है. जहाँ बिहार सरकार के पोखरे को राजपुर अंचल कार्यालय के कर्मियों की मिलीभगत से निजी व्यक्ति के नाम बंदोबस्त कर दिया गया है. ग्रामीणों के आक्रोश के बाद जब मामला तूल पकड़ने लगा तो महकमे के अधिकारी अब जांच कराने की बात कह पल्ला झाड़ रहे हैं.



इस बाबत मिली जानकारी के मुताबिक गांव में लगभग तीन एकड़ 65 डिसमिल जमीन में फैले पोखरा को अंचल कार्यालय ने विश्वनाथ सिंह के नाम पर बंदोबस्त कर दिया गया है जबकि, सरकार का फरमान है कि बिहार सरकार की वैसी परती जमीन जो पानी से भरी नहीं हो और खेतिहर नहीं हो, उसे भूमिहीन व्यक्तियों के नाम बंदोबस्त करना है. जल-जीवन हरियाली अभियान के आलोक में पहले से मौजूद तालाब एवं पोखरा को बचाते हुए उसका जीर्णोद्धार कराकर उसमें जल संचय की व्यवस्था दुरुस्त कर उसे जिंदा रखना है. 

5 एकड़ जमीन के मालिक को बताया गया है भूमिहीन:

ग्रामीणों ने बताया कि अंचल निरीक्षक और राजस्व कर्मचारी रामाशंकर राम के प्रतिवेदन के आधार पर खाता नंबर 354 एवं प्लॉट नंबर 145 के अधीन पोखरा को बंदोबस्त कर दिया गया. उनका कहना है कि आज भी इस पोखरे की गहराई काफी है. जिसमें वर्ष भर पानी भरा रहता है. इस पानी से आसपास के खेतों की सिंचाई होती है. पंचायत के पूर्व मुखिया राजेंद्र सिंह. ग्रामीण द्वारिका सिंह , आलोक कुमार, राजगृह सिंह और पिंटू सिंह आदि ने बताया कि जिस व्यक्ति के नाम से जमीन बंदोबस्त की गई है, उसके पास लगभग 5 एकड़ जमीन मौजूद है.

ग्रामीणों ने बताया कि अंचलाधिकारी से जब पंजी टू की मांग की गई तो इन्हें नहीं दिया गया और पोखरे की जमीन निजी व्यक्ति के नाम से बंदोबस्त कर दिया गया. उन लोगों का कहना है कि पोखरे का अस्तित्व कायम नहीं रखा गया तो वे लोग विरोध - प्रदर्शन के लिए मजबूर हो जाएंगे.

कहते हैं अंचलाधिकारी:

जिसके नाम पर भूमि का बंदोबस्त किया गया है उसके द्वारा भी इस बात की जानकारी से इनकार किया जा रहा है. ऐसे में गड़बड़ी किस स्तर पर हुई है उसकी जांच कराई जा रही है और गड़बड़ी को जल्द ही कंप्यूटर में भी दुरुस्त कर दिया जाएगा.

अमरेश कुमार
अंचलाधिकारी,
राजपुर









Post a Comment

0 Comments