वीडियो: डीएनए टेस्ट के द्वारा पिता से मिली 5 साल से ज्यादा समय से बिछड़ी पुत्री ..

यह मामला 18 नवंबर 2020 को बाल कल्याण समिति में दर्ज किया गया. जिसके बाद मामले की सुनवाई करते हुए बाल कल्याण समिति के द्वारा महेश साह तथा रूपसागर पंचायत के मुखिया पंकज सिंह के समक्ष बच्ची के जन्म प्रमाण पत्र तथा चिकित्सक के रिपोर्ट आदि प्रस्तुत की लेकिन, फिर भी महेश साह बच्ची को अपनी संतान मानने को तैयार नहीं थे.







- माँ ने अग्नि परीक्षा, बेटी को मिला उसका हक़
- अपनी संतान को पिता ने ठुकराया बाल कल्याण समिति ने पुनः मिलवाया

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिस प्रकार सतयुग में माता सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी ठीक उसी प्रकार का एक मामला वर्तमान में भी आया है. इस मामले में भी सीता अपनी अग्नि परीक्षा में सफल रही वहीं, उसकी बच्ची को भी अपने पिता का स्नेह फिर से मिल गया. जिसमें उसके मददगार बनी बाल कल्याण समिति की टीम जिसने सूबे में पहली बार सामने आए इस तरह के मामले में डीएनए टेस्ट कराकर एक बच्ची को पिता का प्यार पाने का हक़दार बनाया व मां को उसका खोया स्वाभिमान वापस दिलाया.

दरअसल, नवानगर प्रखंड के रूप सागर के रहने वाले महेश साह ने अपनी पहली पत्नी से कोई संतान नहीं होने के कारण अपनी दूसरी शादी कोरान सराय थाना क्षेत्र के कंजिया की रहने वाली सुनैना देवी की पुत्री निशा गुप्ता के साथ की थी. यह शादी ब्रह्मपुर के बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर में भगवान को साक्षी मानकर 29 मई 2013 को हुई थी. शादी के तक डेढ़ साल के बाद पति की प्रताड़ना से तंग आकर निशा अपने मायके चली आई. इस दौरान उसने नावानगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में 9 मई 2015 को एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया लेकिन, आश्चर्यजनक रूप से महेश साह ने बच्ची को अपनी संतान मानने से इनकार कर दिया.



महिला हेल्पलाइन ने बाल कल्याण समिति को ट्रांसफर किया मामला:

अपनी संतान पति का साथ और उसकी संतान को पिता का स्नेह दिलवाने के लिए सुनैना देवी अपनी पुत्री निशा को लेकर महिला हेल्पलाइन पहुंची. छोटी बच्ची का मामला होने के कारण मामले को बाल कल्याण समिति में ट्रांसफर कर दिया गया. यह मामला 18 नवंबर 2020 को बाल कल्याण समिति में दर्ज किया गया. जिसके बाद मामले की सुनवाई करते हुए बाल कल्याण समिति के द्वारा महेश साह तथा रूपसागर पंचायत के मुखिया पंकज सिंह के समक्ष बच्ची के जन्म प्रमाण पत्र तथा चिकित्सक के रिपोर्ट आदि प्रस्तुत की लेकिन, फिर भी महेश साह बच्ची को अपनी संतान मानने को तैयार नहीं थे.



पिता ने सभी रिपोर्ट को मानने से किया इनकार, डीएन टेस्ट कराने का किया अनुरोध:

बाद में महेश शाह के अनुरोध के आधार पर डीएनए टेस्ट कराने के लिए बच्ची एवं उसके पिता महेश के रक्त का नमूना लेकर लाल पैथ लैब गुड़गांव में भेजा गया, जहां से 3 फरवरी को रिपोर्ट प्राप्त हुई. लिफाफे में बंद रिपोर्ट को समिति की बैठक में समिति के अध्यक्ष मदन सिंह, डॉ. शशांक शेखर, योगिता सिंह, नवीन पाठक की उपस्थिति में महेश साह के द्वारा पंचायत के मुखिया पंकज सिंह, अधिवक्ता रीमा कुमारी, दीपिका केसरी तथा पारा विधिक स्वयं सेवक रितु कुमारी के समक्ष खोला गया, जिसमें इस बात की तस्दीक की गई कि डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव है. इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो गया कि महेश ही उस बच्ची के जैविक पिता हैं. जिसके बाद बाल कल्याण समिति ने पिता को यह निर्देश दिया कि वह बच्ची को अपने साथ रखेंगे.

फैसले के बाद जताई खुशी:

इस फैसले के बाद पंचायत के मुखिया पंकज कुमार सिंह ने समिति के सदस्यों को बधाई देते हुए यह खुशी जताई है कि, आज एक परिवार दोबारा एक हो गया साथ ही बच्ची को उसका हक मिला. बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मदन सिंह ने कहा कि, बिहार में यह अपने आप में पहला मामला है. जिसमें डीएनए टेस्ट के द्वारा यह पता लगाया गया कि बच्ची के जैविक पिता कौन है। जिसके बाद बच्ची तथा उसकी मां को उसका हक मिल गया. समिति के अथक प्रयास के लिए सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं. समिति के सदस्य डॉ. शशांक शेखर ने कहा कि बच्ची के पिता को यह निर्देशित किया गया है कि वह बच्ची का लालन-पालन बेहतर ढंग से करेंगे. अगर इसमें किसी भी प्रकार की कमी किए जाने की शिकायत मिलती है तो फिर उनके विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

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