ब्रह्मपुर में झोलाछाप चिकित्सक ने ली जच्चा बच्चा की जान ..

अस्पताल ब्रह्मपुर तथा निमेज के बीच अवस्थित है जहां हर तरह का इलाज और ऑपरेशन करने का दावा किया जाता है. मजे की बात तो यह है कि ना तो इस अस्पताल का निबंधन है और ना ही इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों की को है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि, क्या इस तरह के अस्पतालों के संचालन धड़ल्ले से होते रहने के कारण हो रही मौतों का जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग नहीं है?





- सरकारी रिकॉर्ड में नहीं है अस्पताल का अता-पता फिर भी वर्षों से हो रहा संचालन
- निमेज गांव के रहने वाले व्यक्ति की पत्नी और नवजात बच्चे की हो गई मौत


बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: जिले में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भले ही झोलाछाप चिकित्सकों तथा चिकित्सालय पर नकेल कसने की बात कही जाती रही हो लेकिन सच्चाई कुछ और है. यहां अधिकारियों की सांठगांठ से जिला मुख्यालय समेत जिले भर में सैकड़ों झोलाछाप चिकित्सकों के नर्सिंग होम अवैध रूप से चल रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक जिले भर में 32 से ज्यादा अस्पताल मौजूद है जिनमें मात्र 56 सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है. अन्य सभी सभी अवैध रूप से संचालित होते हैं. ऐसे अस्पतालों इलाज को पहुंचने वाले लोग जहां आर्थिक दोहन का शिकार होते हैं वहीं, इलाज में लापरवाही के कारण कई बार कई लोगों की जान जा चुकी है. 

ऐसे ही एक मामले में ब्रह्मपुर थाना क्षेत्र के निमेज गांव के निवासी विक्रम यादव की पत्नी की डिलीवरी के दौरान ऑपरेशन में गड़बड़ी होने से जान चली गई. महिला के साथ ही उसके गर्भ में पल रहा शिशु भी मृत्यु का शिकार हो गया. बाद में जब झोलाछाप चिकित्सक तथा अस्पताल प्रबंधन को इस बात की जानकारी मिली तो आनन-फानन में मामला सलटाने के लिए महिला की स्थिति गंभीर बताते हुए उसे आरा रेफर कर दिया गया हालांकि, परिजनों को अस्पताल से निकलने के साथ ही यह संदेह हो गया था कि महिला की मौत हो गई है. अस्पताल से कुछ दूर जाने पर जब वह आश्वस्त हो गए कि महिला अब इस दुनिया में नहीं है तो वह वापस अस्पताल पहुंचे और हंगामा करने लगे हालांकि, अपनी गलती पकड़े जाने के बाद अस्पताल झोलाछाप चिकित्सक और मेडिकल स्टोर फरार हो गए थे. 


इस घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे प्रशिक्षु डीएसपी सह थानाध्यक्ष कमलेश कुमार ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. बता दें कि अस्पताल ब्रह्मपुर तथा नीमच के बीच अवस्थित है जहां हर तरह का इलाज और ऑपरेशन करने का दावा किया जाता है. मजे की बात तो यह है कि ना तो इस अस्पताल का निबंधन है और ना ही इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों की को है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि, क्या इस तरह के अस्पतालों के संचालन धड़ल्ले से होते रहने के कारण हो रही मौतों का जिम्मेदार स्वास्थ्य विभाग नहीं है?









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