भोजपुरी कहानी की कथा यात्रा पर साहित्यकारों ने किया विमर्श

विमर्श का संचालन श्री भगवान पांडेय ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत संत शिरोमणि रविदास के चित्र पर माल्यार्पण से हुई कार्यक्रम में बीज वक्तव्य देते हुए कई प्रकार अरुण मोहन भारवि ने कहा कि, भोजपुरी कहानी की यात्रा कथा का श्रीगणेश आजादी के बाद 1948 ईस्वी में "जेहल के सनद" से बक्सर से हुई थी. आज तक यह दस्तूर जारी है. 





- भोजपुरी साहित्य मंडल के बैनर तले आयोजित था कार्यक्रम
- अध्यक्षीय भाषण में बोले अनिल त्रिवेदी भोजपुरी की राजधानी है बक्सर

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: माघी पूर्णिमा एवं संत रविदास जयंती के अवसर पर भोजपुरी साहित्य मंडल की ओर से मंडल अध्यक्ष अनिल त्रिवेदी की अध्यक्षता में "भोजपुरी कहानी की यात्रा कथा" विषयक विमर्श का आयोजन बंगाली टोला स्थित आर्या एकेडमी में किया गया. विमर्श का संचालन श्री भगवान पांडेय ने किया. कार्यक्रम की शुरुआत संत शिरोमणि रविदास के चित्र पर माल्यार्पण से हुई कार्यक्रम में बीज वक्तव्य देते हुए कई प्रकार अरुण मोहन भारवि ने कहा कि, भोजपुरी कहानी की यात्रा कथा का श्रीगणेश आजादी के बाद 1948 ईस्वी में "जेहल के सनद" से बक्सर से हुई थी. आज तक यह दस्तूर जारी है. भोजपुरी कहानी में बक्सर के योगदान की चर्चा करते हुए डॉ.भारवि ने कहा कि, भोजपुरी कहानियों पर आदर्शवाद का थप्पा बड़ा गहरा है. जबकि, बक्सर के कहानीकारों की कहानियां नए जीवन मूल्यों एवं आम आदमी के दर्द से पाठक को रूबरू कराती है. 



मौके पर प्रोफेसर बलिराज ठाकुर ने कहा कि भोजपुरी कहानी की विकास यात्रा में आचार्य शिवपूजन सहाय, घनश्याम मिश्र, रजनीकांत राकेश, रामजी पांडेय "अकेला", डॉ अरुण मोहन भारवि के कहानी संग्रह योगदान भी भूला नहीं जा सकता.

अध्यक्षीय संबोधन में अनिल कुमार त्रिवेदी ने कहा कि बक्सर भोजपुरी की राजधानी है और पिछले सात दशकों से भोजपुरी साहित्य मंडल भोजपुरी के विकास के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रहा है. मौके पर नीलम भारवि, अमरेंद्र दूबे, कुशध्वज सिंह मुन्ना, शिव बहादुर पांडेय, कामरान खान, समेत कई लोग मौजूद रहे.












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