गंगा को बचाने 21 सौ किलोमीटर की पदयात्रा कर पहुंचे पूर्व सैनिक, आम व ख़ास सबने किया स्वागत ..

बताया कि सैनिक और उनके अन्य साथी इस दुस्साहसिक यात्रा को पूरा करने की ठान चुके हैं और नगरों गांव मैदानों से होते हुए पर्वतों जंगलों और ग्लेशियर को लगते हुए अपनी यात्रा पूरी करके रहेंगे. पूरे 11 वर्षों तक चलने वाली यह यात्रा सिर्फ एक यात्रा नहीं बल्कि एक ऐसा प्रण है जो गंगा मैया को फिर से निर्मल और अविरल करने के बाद ही सांस लेने देगा. 

 




- बक्सर पहुंचने पर किया गया भव्य स्वागत,  जिला पदाधिकारी समेत अधिकारियों ने की सराहना
- 6000 किलोमीटर के पदयात्रा 11 वर्षों में पूरी करने का है संकल्प

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: अतुल्य गंगा मुंडमाल गंगा परिक्रमा कार्यक्रम के अंतर्गत 6 हज़ार किलोमीटर की पदयात्रा 220 दिनों में पूरी करने का लक्ष्य लेकर निकले पूर्व सैनिकों का जत्था 21 सौ किलोमीटर की यात्रा तय कर बक्सर पहुंचा. बक्सर पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया.

लेफ्टिनेंट कर्नल हेम लोहुमी जो एक प्रतिष्ठित पर्वतारोही है और उन्होंने अंटार्कटिका में भारत के पहले दो स्थायी वैज्ञानिक केंद्रो दक्षिण गंगोत्री और मैत्री की स्थापना की थी. वही सैन्य अभियंता गोपाल शर्मा जो एक विख्यात पर्वतारोही हैं और हिमालय की हर एक चोटी पर तिरंगा फहरा चुके हैं. कर्नल मनोज केश्वर जो एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए जाने जाते हैं. और विश्व के कई देशों की यात्रा मोटरसाइकिल से पूरी कर चुके हैं इस जत्थे में शामिल हैं.

 

पदयात्रियों का बक्सर गंगा घाट पर मंगलवार को स्वागत किया गया. उनके सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजन कर उनकी 6 हजार किलोमीटर लंबी तथा 8 महीने में पूरी होने वाली यात्रा के बारे में बताया गया. मौके पर जिला पदाधिकारी अमन समीर के द्वारा सभी पद यात्रियों का स्वागत किया गया. इस दौरान उप विकास आयुक्त डॉ. योगेश कुमार सागर, अनुमंडल पदाधिकारी कृष्ण कुमार उपाध्याय, उप निर्वाचन पदाधिकारी आशुतोष राय, गंगा पुत्र के नाम से प्रसिद्ध गंगा विचार मंच के जिला संयोजक सौरभ कुमार तिवारी, रेडक्रॉस के सचिव डॉ. श्रवण कुमार तिवारी, गंगा आरती सेवा ट्रस्ट के कपिंद्र किशोर भारद्वाज, गंगा स्वच्छता अभियान से जुड़े तथा भाजयुमो के नेता राहुल दूबे, पप्पू राय, समाज सेवी संस्था डीसी इम्यूनाइजेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी के सचिव डॉ. हनुमान प्रसाद अग्रवाल, दैनिक जागरण अखबार के ब्यूरो प्रमुख कंचन किशोर, हिंदुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार ओंकार नाथ मिश्रा समेत जिले भर के बुद्धिजीवी, पर्यावरण प्रेमी, एनसीसी के कैडेट्स, गंगा गंगा आरती सेवा ट्रस्ट के पुजारी अमरनाथ पांडेय उर्फ लाला बाबा समेत कई लोग मौजूद रहे. पद यात्रियों का स्वागत करने के बाद एनसीसी कैडेट्स ने गंगा की सफाई की तथा गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने का संकल्प लिया वही दैनिक जागरण अखबार के द्वारा चलाए जा रहे हैं जैसे परिंदों को पानी कार्यक्रम के तहत गर्मी के मौसम में पक्षियों के लिए छतों पर पानी और दाना रखने का संकल्प लिया गया. मौके पर डीएम के द्वारा सभी पद यात्रियों तथा गंगा को स्वच्छ बनाने के अभियान से जुड़े लोगों को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया.



विश्व की सबसे कठिनतम और लंबी पदयात्रा, मिला है सामाजिक लोगों का सहयोग:

इस दौरान यह बताया गया कि यह यात्रा विश्व की कठिनतम और सबसे लंबी पदयात्रा है. जिसका उल्लेख शास्त्रों में मिलता जरूर है लेकिन, आज तक मां गंगा की ऐसी परिक्रमा कोई नहीं कर सका है. बताया गया कि इस परिक्रमा कार्यक्रम में पूर्व सैनिकों के साथ साथ समाज और सेना के प्रतिष्ठित लोगों का भी सहयोग मिला जिनमें मेजर जनरल विनोद भट्ट, मेजर जनरल ब्रजेश कुमार, मेजर जनरल सोम पिल्लै, लेफ्टिनेंट जनरल एस.डी. दुहान लेफ्टिनेंट जनरल एस. ए. क्रूज, कर्नल आर. पी. पांडेय, लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल दूबे, प्रसिद्ध लेखक अभय मिश्रा, समाजसेवक योगेश शुक्ला, ग्रीन इंडिया के संस्थापक विजय शुक्ला, पद्मश्री अनिल जोशी, पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल पद्मश्री प्रोफेसर प्रमोद टंडन, पद्मश्री सी.पी. बोहरा आदि सहयोग मिला है. 



मौके पर अपनी यात्रा के विषय में बताते हुए "अतुल्य गंगा" के संस्थापक कर्नल मनोज केश्वर ने बताया कि सैनिक और उनके अन्य साथी इस दुस्साहसिक यात्रा को पूरा करने की ठान चुके हैं और नगरों गांव मैदानों से होते हुए पर्वतों जंगलों और ग्लेशियर को लगते हुए अपनी यात्रा पूरी करके रहेंगे. पूरे 11 वर्षों तक चलने वाली यह यात्रा सिर्फ एक यात्रा नहीं बल्कि एक ऐसा प्रण है जो गंगा मैया को फिर से निर्मल और अविरल करने के बाद ही सांस लेने देगा. 




यात्रा के साथ ही चल रहे कई अभियान, हर 10 किलोमीटर पर जांचते हैं जल की सेहत:

उन्होंने बताया कि गंगा यात्रा के अतिरिक्त वह कई अभियान चला रहे हैं जिसके परिणाम दूरगामी होंगे. और मां गंगा को उनका वैभव वापस मिलेगा. इन अभियानों में प्रदूषण मापन है, जिसमें यात्रा के दौरान हर 10 किलोमीटर पर गंगा जल की गुणवत्ता का वैज्ञानिक तरीके से जांच कर उसकी रिपोर्ट वेबसाइट पर डाल दी जा रही है वहीं, गंगा नदी में गिरने वाले हर छोटे बड़े नाले की पहचान की जा रही है और उसका जिओ लोकेशन के साथ-साथ विस्तृत डाटा तैयार किया जा रहा है. पूरी परिक्रमा के पथ पर पर्यावरण को संरक्षित एवं संबंधित करने के उद्देश्य से वृक्षारोपण भी किया जा रहा है. यह लक्ष्य है कि 11 वर्षों तक चलने वाली इस तपस्या के अंत तक मां गंगा को वृक्षों की एक माला पहना दी जाए. जन जागरण अभियान के तहत गंगा की चिंता हर व्यक्ति को कराने का कार्य किया जा रहा है. 


भारत की संस्कृति के लिए जरूरी है गंगा का बचना:

उन्होंने कहा कि इतना बड़ा प्रण और इतनी कठिन तपस्या समाज के सदस्यों के सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती. अब तक मिले जनसमर्थन और सम्मान के ऋणी हैं. ऐसे में वह सभी को केवल यह बताना चाहते हैं कि, हमारे जीवन और कृषि के लिए पानी, संस्कृति के लिए छाया और कला आधार है. गंगा को मां का दर्जा दिया गया है ऐसे में हम अपने इष्ट देवताओं अपने पूर्वजों और अपने आने वाली पीढ़ियों के कर्ज से तभी मुक्त हो सकेंगे जब गंगा को पूर्णत: प्रदूषण मुक्त बना देंगे. उन्होंने बताया कि गंगा के उत्तरी किनारे से 16 दिसंबर को प्रयागराज से चलकर गंगासागर होते हुए 70 दिनों में एक कई 100 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय करके वे बिहार राज्य में पहुंचे हैं. 27 फरवरी को भागलपुर 10 मार्च को पटना तथा आज बक्सर पहुंचे थे. 


गंगा के अविरल प्रवाह के लिए मुख्यमंत्री भी रहे हैं चिंतनशील:

उन्होंने कहा कि परिक्रमा यात्रा के दौरान एक बात समझ में आती है कि गंगा की निर्मलता के लिए उसका अविरल प्रवाह जरूरी है और इसके लिए उसको लेकर बिहार हमेशा गंभीर रहा है. गंगा के साथ भावनात्मक लगाव रखने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर मौके पर इसको लेकर अपनी चिंता व्यक्त करते रहे हैं. गंगा की अविरलता को केंद्रित कर राज्य सरकार ने समस्या का समाधान ढूंढने के लिए देश-विदेश के नदी विशेषज्ञों का अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजित किया था. जिसके तहत 25-26 फरवरी 2017 को पटना में और 18-19 मई 2017 को दिल्ली में कांफ्रेंस आयोजित किया गया और विशेषज्ञों ने हवाई सर्वेक्षण का गंगा नदी की दुर्दशा को आंखों से देखा. देश में यह पहला आयोजन था जहां किसी राज्य की सरकार ने गंगा की समस्या को लेकर गंभीरता से अपनी राय को सबके सामने रखा. विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री के सुझाव के बाद फरक्का बराज के दुष्प्रभाव को समझने के लिए पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद जिले के गांव में वर्ष 2017 में 17 मार्च से 18 मार्च तक भ्रमण किया और अपनी राय से सरकार को अवगत कराया है. 


पानी से पानी अभियान के संयोजक का मिला विशेष योगदान, गाद के विरुद्ध चलेगा अभियान: 

इन आयोजनों में पानी रे पानी अभियान के संयोजक एवं पत्रकार पंकज मालवीय की सक्रियता भी सराहनीय है. राज्य सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा गंगा नदी की गाद और अन्य समस्याओं को दूर करने की दिशा में किए गए प्रयासों को जमीन पर उतारने में कार्यवाही प्रारंभ किया जाना एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम होगा. उन्होंने बताया कि परिक्रमा के दौरान 21 सौ किलोमीटर की पदयात्रा में यह बात समझ में आई है कि गंगा नदी के प्रवाह में कमी के कारण गाद (सिल्ट) भी एक समस्या बनकर उभरी है. अतुल्य भारत की टीम इस समस्या के विरुद्ध आवाज बुलंद करेगी.







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