ब्रह्मलीन हुए नाथ बाबा, धर्मानुरागियों में शोक की लहर ..

रविवार को दिन में 3:00 बजे उन्होंने समाधि ले ली. श्री नाथ बाबा के शिष्य विकास बताते हैं कि, कुंभ के दौरान अति रुद्र यज्ञ के लिए बाबा हरिद्वार गए थे. 4 अप्रैल से 14 अप्रैल तक वहां यज्ञ का आयोजन किया गया था, जिसके पश्चात उन्होंने यह घोषणा कर दी थी कि मैं 18 को अपने जीवन का त्याग करूंगा. नाथ बाबा का अंतिम संस्कार सोमवार को हरिद्वार में किया जाएगा.

 






- हरिद्वार के श्री आदिनाथ अखाड़ा में ली समाधि
- पिछले 1 हफ्ते से अन्न-जल का त्याग कर चुके थे नाथ बाबा


बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: चरित्रवन स्थित आदिनाथ अखाड़ा को स्थापित करने वाले श्रीआदिनाथ पीठाधीश्वर श्रीत्रिलोकी नाथ महाराज (नाथ बाबा) रविवार को हरिद्वार स्थित आदिनाथ अखाड़ा में ब्रह्मलीन हो गए. 88 वर्ष की अवस्था में उन्होंने समाधि ले ली।  बताया जा रहा है कि उन्होंने पिछले एक सप्ताह से अन्न-जल का त्याग कर दिया था. रविवार को दिन में 3:00 बजे उन्होंने समाधि ले ली. श्री नाथ बाबा के शिष्य विकास बताते हैं कि, कुंभ के दौरान अति रुद्र यज्ञ के लिए बाबा हरिद्वार गए थे. 4 अप्रैल से 14 अप्रैल तक वहां यज्ञ का आयोजन किया गया था, जिसके पश्चात उन्होंने यह घोषणा कर दी थी कि मैं 18 को अपने जीवन का त्याग करूंगा. नाथ बाबा का अंतिम संस्कार सोमवार को हरिद्वार में किया जाएगा. उनके निधन से शोक संतप्त आचार्य भारत भूषण पांडेय ने गहरा शोक व्यक्त किया है और कहा कि बक्सर की पावन धरा पर शैव सम्प्रदाय का धर्म ध्वजा फहराने वाले नाथ बाबा संत ही केवल नहीं थे शहर के सबसे बड़े अध्यात्म और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्रबिंदु रहे है. उनके निधन से बक्सर में एक युग का अंत हो गया है. इसके अतिरिक्त उनके शिष्यों में शामिल डॉ शशांक शेखर, सचिन राय, आशुतोष कुमार सिंह, डॉ. श्रवण कुमार तिवारी, ओम जी यादव, कमलेश पाल, चंद्रभूषण ओझा, राघव पांडेय, अधिवक्ता मथुरा चौबे समेत कई लोगों ने उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की.

बता दें कि श्री नाथ बाबा के द्वारा बक्सर में श्री आदित्यनाथ अखाड़ा की स्थापना सन 1964 में की गई थी. नाथ बाबा के शिष्यों के सहयोग से यहां मंदिर का निर्माण किया गया. सन 1984 में यहां भव्य मंदिर निर्माण शुरू किया गया जो 1987 में बनकर तैयार हो गया.


जानकार बताते हैं कि, परम पूज्य संत युवावस्था में यहां अंतर्ध्यान मुद्रा में देखे गए थे. शिव के परम भक्त होने के नाते घाट के समीप शिवलिंग की पूजा में उनकी विशेष रुचि रही. मंदिर में स्थापित शिव परिवार की मूर्ति के आगे का शिवलिंग अत्यंत प्राचीन है. शिवलिंग पर अर्धचंद्र की रेखा अलौकिक दृश्य प्रस्तुत करती है. मंदिर में गुरु गोरखनाथ, वीर हनुमान, माँ दुर्गा, सूर्य देव, आदि शेषनाथ भगवान, श्री गंगा माता श्री आदि बटुक भैरव नाथ आदि की मनोरम मूर्तियां स्थापित हैं। इसके साथ साथ मंदिर के ऊंचे गुंबद दूर से ही आध्यात्मिक शहर होने का प्रमाण देते हैं.

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि भारत में पहली बार बाबा के कर कमलों के द्वारा यहां चौरासी सिद्धों की स्थापना की गई है. उसके मध्य बने पंचमुखी महादेव नेपाल के पशुपतिनाथ के बाद यहीं स्थापित हैं जो दर्शनीय हैं. मंदिर में धूनी एवं देवी देवताओं की तीन ज्योतियां दशकों से बारहों माह से निरंतर जलती रहती हैं. श्री आदित्यनाथ अखाड़ा जिले का एक खास दर्शनीय स्थल है, जहां 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन एक साथ होते हैं. इसके साथ ही शिव परिवार सहित अन्य देवी देवताओं का दर्शन पा लोग भाव विभोर हो जाते हैं. यहाँ आने वाले श्रद्धालु मंदिर में देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के दर्शन के साथ साथ सदैव नाथ बाबा का दर्शन करने वह भी उत्सुक रहते थे.













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