रेलवे के अधिकारियों ने हाई कोर्ट के आदेश को दिखाया ठेंगा ..

स्थायी समाधान के लिए 1 करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से 1.2 किलोमीटर लंबे नाले का निर्माण कराया जाना है, इसके लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है जिसकी स्वीकृति के पश्चात निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा. इस नाले के बन जाने से पूरे पांडेय पट्टी ग्रामवासियों को बरसात के दिनों में भयंकर जलजमाव से निजात मिलेगी.

 





- फाइलों में गुम हुई जलजमाव से मुक्ति की परियोजना
- वर्षों से बनी हुई है जलजमाव की एक समान स्थिति 
- सामाजिक कार्यकर्ता सह सरपंच प्रतिनिधि की पहल पर हाई कोर्ट ने सुनाया था फैसला

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: पांडेय पट्टी गांव में वर्षों से व्याप्त जलजमाव की समस्या को लेकर स्थानीय सरपंच प्रतिनिधि संजय तिवारी के द्वारा हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका के मद्देनजर हाई कोर्ट के आदेश अनुसार रेलवे ने जल निकासी की व्यवस्था हेतु सवा करोड़ रुपये की लागत से नाला निर्माण की बात कही थी. इस निर्माण के लिए विभागीय अधिकारियों ने आकर निरीक्षण करने के पश्चात एक प्रोजेक्ट बनाया और प्रोजेक्ट बना कर कथित तौर पर पूर्व मध्य रेलवे के वरीय अधिकारियों के पास भेज दिया गया. प्रोजेक्ट पिछले 2 महीनों से फाइलों में ही दबा हुआ है. अब तक इस विषय पर कोई पहल नहीं की गई. स्थानीय रेलवे अधिकारी दबी जुबान से बताते हैं कि, वरीय अधिकारियों के द्वारा इस विषय पर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही ऐसे में यह योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही है और लोगों की समस्या जस की तस बनी हुई है.




दरअसल, पांडेय पट्टी में व्याप्त जल जमाव की समस्या को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता सह सरपंच प्रतिनिधि संजय तिवारी के द्वारा पटना उच्च न्यायालय में परिवाद दर्ज कराने के पश्चात न्यायालय के आदेश अनुसार रेलवे ने तात्कालिक रूप से जल निकासी की व्यवस्था तो कर दी है लेकिन, अब स्थायी समाधान के लिए 1 करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से 1.2 किलोमीटर लंबे नाले का निर्माण कराया जाना है, इसके लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है जिसकी स्वीकृति के पश्चात निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा. इस नाले के बन जाने से पूरे पांडेय पट्टी ग्रामवासियों को बरसात के दिनों में भयंकर जलजमाव से निजात मिलेगी.

कई वर्षों से सदर प्रखंड के पांडेय पट्टी गांव में नाली के पानी का निकास नहीं होने से ग्रामीणों को काफी परेशानी हो रही है. नालियों का पानी घर के किनारे बने खाली स्थान में जमा होकर सड़ांध पैदा कर रहा है वहीं, गंदे जल में मच्छरों तथा अन्य लोगों के कीटाणुओं के पनपने का खतरा बना रह रहा है. इन परेशानियों के मद्देनजर स्थानीय सरपंच प्रतिनिधि संजय तिवारी के द्वारा पटना उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसके आलोक में न्यायालय ने रेलवे के जीएम तथा डीआरएम को दो महीने के अंदर जल निकासी की व्यवस्था का आदेश दिया था. इस आदेश के आलोक में रेलवे के अधिकारियों के द्वारा तुरंत ही जल निकासी का प्रबंध शुरू कर दिया गया. सीनियर सेक्शन इंजीनियर के. बी. तिवारी समेत रेल कर्मियों की एक टीम पांडेय पट्टी गांव में पहुंची तथा जेसीबी के माध्यम से सड़क को काट कर जल निकासी के लिए तात्कालिक व्यवस्था कर दी.

रेलवे लाइन के किनारे से ठोरा नदी में जा कर गिरेगा नाली का पानी:

नए प्रस्ताव के मुताबिक रेलवे लाइन के किनारे होते हुए ठोरा नदी तक एक पक्की नाली बनाना प्रस्तावित है. यह नाली 4 से 5 फीट गहरी तथा लगभग 3 फीट चौड़ी होगी. नाली को बनाने के बाद इसे स्लैब बनाकर ढका भी जाएगा वहीं, एफसीआई गोदाम के पास बने मोहल्ले की जल निकासी भी इसी नाली के माध्यम से होगी.

कहते हैं अधिकारी:

नाला निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. स्वीकृति के पश्चात टेंडर आदि की प्रक्रियाओं को पूरा कर कार्यारंभ कर दिया जाएगा.

के.बी.तिवारी
सीनियर सेक्शन इंजीनियर 
पूर्व मध्य रेलवे, 
बक्सर










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