"उम्मीद" की दहलीज पर टूट रही सांसो की डोर ..

उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि कोरोना संक्रमण से ग्रसित मरीजों को बचाया नहीं जा सके उनके यहां हैं कई ऐसे मरीज हैं जिन्हें कोरोना जैसे लक्षण हैं और अब वह ठीक हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना के नए स्ट्रेन में कभी-कभी जांच कराने पर कोरोना वायरस की पुष्टि नहीं हो पा रही लेकिन, लगातार हो रही मौतों की प्रकृति पर गौर करें तो ठीक उसी तरह के लक्षण देखने को मिलेंगे जैसे कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के होते हैं.
निरुपमा सिंह की 20 दिन पूर्व ली गई तस्वीर

 





- कोविड संक्रमण जैसे लक्षण होने पर इलाज के लिए गई थी निरुपमा, लेकिन नहीं बचाई जा सकी जान
- साइलेंट किलर की तरह लोगों की जान ले रहा है कोरोना संक्रमण का नया स्वरूप


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: 'रात के तकरीबन 10:00 बज रहे हैं. छोटका नुआंव के रहने सच्चिदानंद सिंह अपनी पत्नी निरुपमा (32 वर्ष) को लेकर एक निजी चिकित्सालय के दरवाजे पर खड़े हैं. निरुपमा को सांस लेने में तकलीफ है. सच्चिदानंद अंदर जाने का प्रयास करते हैं लेकिन, गार्ड उन्हें अंदर जाने से रोक रहे हैं. बाद में जवाब मिला के चिकित्सक उपलब्ध नहीं है. तुरंत ही उन्होंने प्रशासन के द्वारा जारी कंट्रोल रूम के नंबर 06183-295701 पर कॉल किया. उन्हें बताया गया कि सिविल लाइंस स्थित जीएनएम कॉलेज परिसर में बनाए गए कोविड केंद्र में जा सकते हैं. सच्चिदानंद तुरंत ही वेलनेस सेंटर में पहुंचे. सदर प्रखंड स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी सह कोविड-19 के नोडल ऑफिसर डॉ. सुधीर कुमार ने स्थिति को देखा और ऑक्सीजन लेवल जांच की. ऑक्सीजन लेवल तकरीबन 35 प्रतिशत बता रहा था. उन्होंने बताया कि मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. फेफड़ों में संक्रमण जान पड़ता है. उन्होंने तुरंत नेबुलाइजर उसे ऑक्सीजन देना शुरू किया लगभग तीन बड़े सिलेंडर ऑक्सीजन खत्म होने के बाद भी स्थिति में जब कोई सुधार नहीं हुआ तो उन्होंने किसी ऐसे अस्पताल में ले जाने की बात कही जहां जीवन रक्षक प्रणाली पर उन्हें रखा जा सके. इसी बीच एंटीजन टेस्ट कराया गया, जिसमें कोविड-19 नेगेटिव की रिपोर्ट आई. तुरंत ही नगर के एक प्रतिष्ठित निजी चिकित्सालय में ले जाया गया लेकिन, चिकित्सक जब तक कोविड की रिपोर्ट का सत्यापन करते तब तक एंबुलेंस में महिला ने पति के सामने ही तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया. पति तथा दो बच्चे रोते-चीखते रह गए लेकिन, सच्चाई को बदल नहीं सके. सच्चिदानंद ने बताया कि उनकी पत्नी को 10 दिन पूर्व बुखार आया था जिसका उन्होंने इलाज कराया और बुखार लगभग ठीक हो गया था. लेकिन तब तक शनिवार की रात उनकी पत्नी ने सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की.'



तीन दिन के बुखार के बाद सांस लेने में होने लगी परेशानी:

'इटाढ़ी प्रखंड के उनवास गांव के रहने वाले पेशे से शिक्षक संतोष कुमार के पिता छट्ठू सिंह(68 वर्ष) को तीन दिन पहले बुखार आया था. जांच में पाया गया कि उन्हें टाइफाइड है. इसी बीच रविवार को उनकी तबीयत बिगड़ने लगी उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी तुरंत सदर अस्पताल पहुंचाया गया जहां उन्हें कंसंट्रेटर से सपोर्ट दिया गया अस्पताल में इलाज कर रहे चिकित्सक डॉ. भूपेंद्र नाथ ने कहा कि ऐसी स्थिति में इन्हें पटना, वाराणसी अथवा किसी सुविधा संपन्न निजी अस्पताल में ले जाना होगा. उन्होंने बताया की मरीज के एंटीजन टेस्ट में कोविड की रिपोर्ट नेगेटिव आई है. शिक्षक संतोष ने पिता की खराब हालत को देखकर तुरंत गोलंबर स्थित विश्वामित्र अस्पताल के चिकित्सक डॉ.राजीव झा से संपर्क किया. डॉ. झा ने मरीज को तुरंत लेकर आने को कहा. अभी वह पिता को ले जाने की तैयारी नहीं कर रहे थे तभी अचानक से उनकी सांसे थमी हुई मालूम पड़ी. ऑन ड्यूटी चिकित्सक डॉक्टर योगेंद्र कुमार ने जांच की और मौत की पुष्टि कर दी.'

पटना में दवा के लिए भटक रहे राजपुर के अरविंद तिवारी

राजपुर के रहने वाले अरविंद तिवारी अपने दामाद को लेकर पटना के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में संक्रमण का इलाज करा रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस में कारगर का इंजेक्शन 'रेमडेसीविर' लेने के लिए बस इधर-उधर भटक रहे हैं लेकिन उनको नहीं मिल पा रही. बताया जा रहा है कि यह इंजेक्शन आउट ऑफ स्टॉक है.

कोरोना वायरस को लेकर एक तरफ जहां चिकित्सक व स्वास्थ्य अधिकारी सतर्कता बरतने की बात कह रहे हैं वहीं, दूसरी तरफ समाज में इसको लेकर कई तरह की भ्रांतियां भी फैलाई जा रही है. कई लोग यह कहते सुने जा रहे हैं कि यह केवल राजनीतिक साजिश है लेकिन, चिकित्सक बता रहे हैं कि अबकी बार कोरोना वायरस साइलेंट किलर के रूप में लोगों की मौतों का कारण बन रहा है. चिकित्सक डॉ. राजीव झा बताते हैं कि, कोरोना की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महज़ एक माह के अंदर संक्रमितों का आंकड़ा 700 के करीब पहुंच गया है. उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि कोरोना संक्रमण से ग्रसित मरीजों को बचाया नहीं जा सके उनके यहां हैं कई ऐसे मरीज हैं जिन्हें कोरोना जैसे लक्षण हैं और अब वह ठीक हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना के नए स्ट्रेन में कभी-कभी जांच कराने पर कोरोना वायरस की पुष्टि नहीं हो पा रही लेकिन, लगातार हो रही मौतों की प्रकृति पर गौर करें तो ठीक उसी तरह के लक्षण देखने को मिलेंगे जैसे कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के होते हैं.










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