बदल जाएगी अंग्रेजों के जमाने के जेल की सूरत, बनेंगे सर्व सुविधा संपन्न भवन ..

बताया जाता है कि, खस्ताहाल जेल भवन में बंद कैदी मौसम की मार भी झेलते हैं. कई भवनों की टीन की शेड कभी गर्मी के मौसम में उन्हें तपाती है तो वहीं, बरसात के मौसम में टपकते हुए बारिश के पानी में रात गुजारना उनकी मजबूरी होती है. उधर जो भवन पक्के हैं उनमें पड़ी दरारें देखने के बाद कैदियों को केवल भगवान का ही नाम याद आता है.
जगमग रोशनी से सजाया गया केंद्रीय कारा का भवन (फाइल इमेज)

 





- कैदियों की संख्या बढ़ाए जाने के बाद भवनों की संख्या बढ़ाने की भी महसूस हो रही जरूरत
- नए भवन के निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजे जाने की तैयारी, स्वीकृति के बाद शुरू होगा निर्माण

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : केंद्रीय कारा को अब संरक्षित एवं संवर्धित करने की कवायद शुरू हो गई है. कारा एवं सुधार विभाग के निर्देशानुसार जिला पदाधिकारी अमन समीर के जेल भवन के निरीक्षण के बाद यह कहा गया है कि, जल्द ही जेल परिसर में अवस्थित जीर्ण-शीर्ण तथा अनुपयोगी हो सके भवनों को हटाकर उनके स्थान पर बहु मंजिलें सर्व सुविधा संपन्न भवन बनाए जाएंगे. इतना ही नहीं नए भवनों के निर्माण के साथ-साथ नई रसोई का भी निर्माण होगा.  इसके लिए जल्द ही परियोजना बनाकर विभाग को भेजी जाएगी तथा विभागीय स्वीकृति के पश्चात कार्य शुरु हो जाएगा. कारा अधीक्षक राजीव कुमार का कहना है कि नए भवन बन जाने से एक तरफ जहां कैदियों को सहूलियत होगी वहीं, दूसरी तरफ जेल की सुरक्षा और भी पुख्ता होगी. हालांकि, नए भवन को बनाए जाने के दौरान अंग्रेजों के समय बनाए गए कुछ पुराने भवनों को यादगार स्वरूप संरक्षित कर रखे जाने की भी योजना है.



बताया जा रहा है कि, वर्ष 1880 में बनी इस जेल के कई भवन ऐसे हैं जो बेहद जर्जर अवस्था में चले जाने के कारण उपयोग में नहीं हैं. वहीं, जो भवन उपयोग में हैं वह भी अब बंद पड़े भवनों के जैसे ही खस्ताहाल हो गए हैं. ऐसे में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना कभी भी सामने आ सकती है. वहीं, भवनों की कमी के कारण जेल में कैदियों को रखने की निर्धारित क्षमता में भी कमी आई है लेकिन, संख्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में अब क्षमता से डेढ़ गुना ज्यादा कैदी जेल में बंद हैं. बताया जा रहा है कि, जेल की मरम्मति एवं अनुरक्षण के लिए विभागीय निर्देश मिलने के बावजूद अभी तक कोई विशेष पहल नहीं की गई थी लेकिन, कोरोना काल के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग आदि का अनुपालन कराए जाने के उद्देश्य से जेल के भवनों के कायाकल्प पर कारा विभाग ने चिंता जताई और भवन निर्माण विभाग के सहयोग से निर्माण कार्य सुनिश्चित कराया.

पहले होगा जर्जर अवस्था में पहुंच चुके भवनों का कायाकल्प:

बताया जा रहा है कि, जेल के भवनों के पुनर्निर्माण की स्वीकृति मिलने के बाद प्रथम चरण में बेहद जर्जर अवस्था में पहुंच चुके भवनों की मरम्मत की जाएगी तत्पश्चात जेलकर्मियों के भवनों की मरम्मति एवं अंत में जेल के बाहरी परिसर का कायाकल्प किया जाएगा. दरअसल, 30 दिसम्बर 2016 को जेल से पाँच कैदियों के भागने की घटना के पश्चात कारा विभाग के द्वारा जेल के भवन के मरम्मत एवं अनुरक्षण के संदर्भ में पहल की गई थी. जिसके बाद भवन निर्माण विभाग को 2 करोड़ 84 लाख रुपए की राशि आवंटित करते हुए मरम्मति एवं अनुरक्षण का जिम्मा दिया गया था. जिसके बाद मरम्मति व अनुरक्षण का कार्य आरंभ है. हालांकि, नए भवन निर्माण की जरूरत अब भी महसूस हो रही थी. डीएम अमन समेत के रविवार के निरीक्षण के पश्चात नया निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद जग गई है.




वर्षों से बंद हैं कई कैदी भवन, जो बचे वह इस्तेमाल लायक नहीं:

बताया जा रहा है कि, वर्ष 2012 में केंद्रीय कारा के पैगंबर आश्रम भवन को बंद कर दिया गया. इस भवन में कुल 6 वार्ड थे. इसके बाद विवेकानंद एवं वाल्मीकि आश्रम के भी 2 वार्ड बंद कर दिए गए. उधर अब जो भवन इस्तेमाल किए जा रहे हैं मरम्मत एवं अनुरक्षण के अभाव में धीरे-धीरे वह भी खस्ताहाल होते जा रहे हैं. बताया जाता है कि, खस्ताहाल जेल भवन में बंद कैदी मौसम की मार भी झेलते हैं. कई भवनों की टीन की शेड कभी गर्मी के मौसम में उन्हें तपाती है तो वहीं, बरसात के मौसम में टपकते हुए बारिश के पानी में रात गुजारना उनकी मजबूरी होती है. उधर जो भवन पक्के हैं उनमें पड़ी दरारें देखने के बाद कैदियों को केवल भगवान का ही नाम याद आता है.

क्षमता से डेढ़ गुना ज्यादा है कैदियों की संख्या, सुविधाएं नदारद:

केंद्रीय कारा में कैदियों को रखने की वर्तमान क्षमता तकरीबन 777 है. जेल में फिलहाल तकरीबन साढ़े 12 सौ कैदी बंद है. ऐसे में वार्डों में ठूंस-ठूंस कर कैदियों को रखना मजबूरी है. लिहाजा कैदियों को मिलने वाली सुविधाओं में भी कमी आना लाजमी है. जेल सूत्र बताते हैं कि, शौचालय अथवा स्नानागा प्रयोग करने के लिए कैदियों को लंबी लाइन लगानी पड़ती है.

कहते हैं अधिकारी: 

जेल के भवनों की मरम्मत एवं अनुरक्षण का कार्य चल रहा है लेकिन, कैदियों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर नए भवन बनाए जाने आवश्यक प्रतीत हो रहे थे. प्रक्रियाओं के पूरा होने के पश्चात जल्द ही नए भवनों का निर्माण शुरू होगा. नए भवन के निर्माण के साथ अंग्रेजों के जमाने की बनी जेल के कुछ भवनों को यादगार के रूप में संरक्षित भी किया जाएगा.

राजीव कुमार,
कारा अधीक्षक,
केंद्रीय कारा







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