भुखमरी से बचने के लिए आंदोलन करेंगे शिक्षक ..

कहा कि पिछले साल की तरह कोरोना महामारी के डर को बरकरार रखते हुए सरकार ने फिर से स्कूल बंद करने के फरमान से विद्यार्थियों, अभिभावकों, अध्यापक और दूसरे कर्मचारियों को परेशानी में डाल दिया है. एक तरफ सरकार आदेश देती है कि सभी स्कूल बंद किए जाएं, वहीं दूसरी तरफ सरकार को इन संस्थाओं से जुड़े लोगों को सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की कोई आर्थिक सहायता प्रदान नहीं की जाती है. 






- कोरोना की आड़ में स्कूल बंद करने के विरोध में भड़के निजी स्कूलों के संचालक व अध्यापक
- जिले के निजी विद्यालय लिखेगें सीएम को पत्र, रखेंगे अपनी बात

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: कोरोना महामारी के बढ़ रहे मामलों को लेकर बिहार सरकार द्वारा स्कूलों बंद करने के फरमान के विरोध में और स्कूल खोलने की मांग को लेकर जिले के सैकड़ों प्राइवेट स्कूलों के संचालक व अध्यापकों की बिहार पब्लिक स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन की जिला इकाई की अगुआई में कोरोना के नियमों व मास्क का उपयोग करते हुए डुमरांव के एक निजी विद्यालय के परिसर में एसोशिएशन के अधिकारियों ने सोमवार को बैठक का आयोजन किया. बैठक में संचालकों व अध्यापकों से फोन पर बातचीत कर सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया हम सभी एकजुटता का परिचय देते हुए आंदोलन करेंगे. जिलाध्यक्ष वैदेही शरण श्रीवास्तव ने कहा कि, कोरोना महामारी की आड़ में प्राइवेट स्कूलों के साथ धक्काशाही कर बच्चों का भविष्य खराब किया जा रहा है. 




इस दौरान उपस्थित मुख्य अतिथि के रूप में बिहार पब्लिक स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष शिक्षाविद डॉ. रमेश सिंह की अगुआई में सभी स्कूल संचालकों द्वारा मेल व लिखित रूप से सीएम को पत्र लिखकर खोलने की मांग की. इस दौरान एसोसिएशन के जिला सचिव चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि पिछले साल की तरह कोरोना महामारी के डर को बरकरार रखते हुए सरकार ने फिर से स्कूल बंद करने के फरमान से विद्यार्थियों, अभिभावकों, अध्यापक और दूसरे कर्मचारियों को परेशानी में डाल दिया है. एक तरफ सरकार आदेश देती है कि सभी स्कूल बंद किए जाएं, वहीं दूसरी तरफ सरकार को इन संस्थाओं से जुड़े लोगों को सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की कोई आर्थिक सहायता प्रदान नहीं की जाती है. शैक्षणिक संस्थान के शिक्षक व अन्य कर्मियों को विगत कोरोना काल मे बड़ी ही भारी आर्थिक तंगी और बेरोजगारी की दौर से गुजरते हुए कोरोना काल का समय काटा पर इस बार सरकारी अमले की हिदायतें आम लोगों में अराजकता का माहौल पैदा कर रहे हैं. वहीं जिला उपाध्यक्ष सौरभ पाठक ने कहा कि स्कूल खोलना और विद्यार्थियों का स्कूल में आना उनको इस बात के लिए परिपक्व करता है कि, कोरोना महामारी या भविष्य में पैदा हुई इसी तरह की और महामारियों का मुकाबला व अपनी शिक्षा की प्राप्ति के साथ अपनी सृजनात्मक सोच का विकास कैसे करना है?


स्कूलों में किया जाता है हर नियम का पालन:

 
निजी स्कूल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष ने कहा कि यह विचार करना जरूरी है कि कोरोना महामारी के बचाव की शर्तों का पालन करते हुए स्कूल कैसे खुले रखे जा सकते हैं. मौके पर मौजूद दर्जनों संचालको ने कहा कि स्कूल एक अनुशासन में रहने वाली संस्था होती है, जहां ऐसी महामारियों के बचाव के लिए हर तरह के नियमों का पालन किया जा सकता है. स्कूल बंद करना समाज के लिए घातक है.










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