अस्पताल में जांच-जांच खेल रही हैं महिला चिकित्सक ..

जिले भर में सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था को सुधारने के लिए जिला पदाधिकारी अमन समीर लगातार अधिकारियों को दिशा निर्देश देते रह रहे हैं. इसके अतिरिक्त सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ की लोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए प्रतिबद्धता की बात दोहराते नजर आते हैं हालांकि, धरातल पर हालात अब भी वही हैं.

 





- ऐसे मामलों को अंजाम देने में पहले से ही शामिल हैं पुरुष चिकित्सक
- प्रसव कराने पहुंची महिला को 2 दिनों से टरका रही हैं महिला चिकित्सक

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले भर में सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था को सुधारने के लिए जिला पदाधिकारी अमन समीर लगातार अधिकारियों को दिशा निर्देश देते रह रहे हैं. इसके अतिरिक्त सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ की लोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए प्रतिबद्धता की बात दोहराते नजर आते हैं हालांकि, धरातल पर हालात अब भी वही हैं.अब भी लोगों को वहीं, परेशानियां झेलनी पड़ती हैं जो उन्हें पहले झेलनी पड़ती थी.बताया जा रहा है कि वरीय अधिकारियों के निर्देश मिलने के बावजूद चिकित्सकों तथा स्वास्थ्य कर्मियों की कार्यशैली में कोई खास परिवर्तन नहीं आया है. ऐसे में कुछ लोगों को छोड़ दें तो यहां चिकित्सक से लेकर कर्मी तक लोगों को केवल टरकाने का काम करते हैं.



ऐसा ही एक मामला उस वक्त सामने आया जब बुधवार को प्रसव पीड़ित एक महिला को लेकर उसके परिजन अस्पताल में इलाज कराने के लिए पहुंचे. वहां पर मौजूद ऑन ड्यूटी चिकित्सक डॉ. मधु ने यह उन्हें आवश्यक जांच तथा अल्ट्रासाउंड बाहर से कराकर आने को कहा. जाँच आदि करा कर रिपोर्ट लेने के बाद वह गुरुवार को अस्पताल पहुंचे जहां उनकी मुलाकात ऑन ड्यूटी चिकित्सा का डॉ. निभा मोहन से हुई. उक्त चिकित्सका ने पूर्व में कराए गए जांच रिपोर्ट को देखने से इंकार करते हुए नए जांच तथा अल्ट्रासाउंड कराने के निर्देश दिए.  हैरान-परेशान महिला के परिजनों ने पुनः जांच करायी तथा रिपोर्ट लेकर अस्पताल में पहुंचे जहां चिकित्सक आने अब अगले दिन आने की बात कही.

बाद में व्यक्ति ने पत्रकार से संपर्क साधा. जिसकी जानकारी मिलते ही आनन-फानन में कर्मी अपने काम में लग गए तथा महिला के परिजनों से रिपोर्ट्स मांगी जाने लगी हालांकि, दो दिनों से अस्पताल का चक्कर लगा रही महिला की तबीयत खराब होने लगी और अंततः उसका ऑपरेशन नहीं हो सका. बाद में नियाज़ीपुर के रहने वाले परिजन उसे अस्पताल से लेकर चले गए परिजनों ने बताया कि अस्पताल आने और जाने में 2 दिनों में तकरीबन 3 हज़ार रुपये वाहन का किराया खर्च कर चुके हैं. ऐसे में अब तीसरी बार यहां आने की हिम्मत नहीं है.

सूत्रों की माने तो ऐसा वाकया अस्पताल के लिए कोई नया नहीं है. अक्सर यहां ऐसा ही होता है किसी भी बीमारी का इलाज कराने पहुंचे लोगों को जांच कराने की बात कही जाती है और जब वह व्यक्ति हर दूसरे दिन वहां पहुंचता है तो ऑन ड्यूटी मौजूद चिकित्सक या तो उसे देखने से इंकार कर देते हैं अथवा पुनः जांच कराने की बात कहते हैं.

कहते हैं सिविल सर्जन:

बार-बार जांच कराने की बात कहना सर्वथा अनुचित है. मामले की जांच कराई जा रही है जिसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.

डॉ जितेंद्र नाथ
सिविल सर्जन










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