टांय-टांय फिस्स साबित हो रही पीपीपी मोड में स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन की कोशिश ..

बताते हैं कि सरकार जिस तरह से निजीकरण की तरफ जा रही है यह कतई उचित नहीं है. ऐसे में निजी लोगों को जन सरोकार से कोई विशेष मतलब नहीं रहता. डिजिटल एक्सरे मशीन खराब होना तो एक बानगी भर है. ऐसे कई मामले हैं जहां लोगों को अब काफी फजीहत झेलनी होगी. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर ही संचालन से लोक कल्याण संभव है.

 





- एक हफ्ते से बंद है डिजिटल एक्सरे सेवा, कोई नहीं ले रहा सुध
- कुछ ही दिनों पूर्व किया गया था जनसेवा में समर्पित

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सुविधाओं को बेहतर करने के नाम पर पीपीपी मोड में उनका संचालन करने की परंपरा अब शुरू की जा रही है लेकिन, बक्सर में इसका हश्र देखने के बाद ऐसा लग रहा है की पुरानी विधि से संचालित होने पर ही व्यवस्थाओं का कायाकल्प हो सकता है. सदर अस्पताल में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानि के लोक निजी साझेदारी पर शुरु की गई डिजिटल एक्सरे की व्यवस्था अब पूरी तरह बंद हो गई है. एक्सरे रूम के बाहर यह सूचना चस्पा दी गई है कि, एक्सरे मशीन खराब है. तकरीबन एक सप्ताह से ज्यादा समय गुजर जाने के बावजूद अभी तक उस मशीन को ठीक नहीं किया जा सका जबकि, लोक निजी साझेदारी में व्यवस्थाओं का संचालन किए जाने पर यह उम्मीद जताई जा रही थी कि लोगों को सुविधाएं पहले से और भी बेहतर मिला करेंगी जबकि, ऐसा नहीं हो सका.



राजपुर से पहुंचे योगेंद्र कुमार बताते हैं कि, पैर में फ्रैक्चर होने पर चिकित्सक के द्वारा उन्हें एक्सरे कराने की सलाह दी गई लेकिन, जब वह डिजिटल एक्सरे रूम के समीप पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वहां पर मशीन खराब होने की सूचना चस्पाई हुई है. दूसरी तरफ सदर अस्पताल पहुंचे बाजार समिति रोड के रहने वाले दिनेश कुमार बताते हैं कि अस्पताल में यह सुविधा निशुल्क थी लेकिन, अब इसके लिए बाहर रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. ऐसे में आम आदमी की एकमात्र उम्मीद कहे जाने वाले सरकारी अस्पताल पहुंचने पर भी निराशा झेल पड़ रही है.




कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएन चौबे कहते हैं कि सरकार जिस तरह से निजीकरण की नीति अपना रही है ऐसे में केवल उद्योगपतियों का भला होने वाला है. जनता को कुछ भी नहीं मिलने वाला लोकोपयोगी सेवाओं को निजी हाथों से बचाए जाने की जरूरत है. रोगी कल्याण समिति के सदस्य डॉ. मनोज कुमार यादव बताते हैं कि सरकार जिस तरह से निजीकरण की तरफ जा रही है यह कतई उचित नहीं है. ऐसे में निजी लोगों को जन सरोकार से कोई विशेष मतलब नहीं रहता. डिजिटल एक्सरे मशीन खराब होना तो एक बानगी भर है. ऐसे कई मामले हैं जहां लोगों को अब काफी फजीहत झेलनी होगी. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर ही संचालन से लोक कल्याण संभव है.


अंकुरा फाउंडेशन के साथ संयुक्त साझेदारी में लगाया गया है डिजिटल एक्सरे:

सदर अस्पताल में स्थापित किया गया डिजिटल एक्सरे राज्य स्वास्थ्य समिति तथा अंकुरा फाउंडेशन के संयुक्त साझेदारी में लगाया गया है. इसका उद्घाटन जिला पदाधिकारी अमन समीर के हाथों लगभग एक महीने पूर्व किया गया था. उद्घाटन के बाद से यह उम्मीद जताई जा रही थी कि रोगी इससे लाभान्वित होंगे लेकिन, उद्घाटन के कुछ ही समय के बाद इसका खराब हो जाना रोगियों के लिए काफी कष्टप्रद है.

अधिकारियों को नहीं है पता:

बंद पर पड़े डिजिटल एक्सरे के संदर्भ में पूछने के लिए डीपीएम संतोष कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में उन्हें कुछ ज्ञात ही नहीं है बाहर हाल जब अधिकारियों को है व्यवस्थाओं की कमियों के बारे में ज्ञात नहीं होगा तो निरीह जनता आखिर कर भी क्या सकती है?




Post a Comment

0 Comments