जल संरक्षण को लेकर सरकार के अधिकारी कितने जिम्मेदार हैं इसकी बानगी बक्सर में देखने को मिल रही है. नगर के कई इलाकों में पीएचइडी के टूटे जलापूर्ति पाइपों से निकलकर बहता पानी यह साबित करता है कि, सरकार की महत्वकांक्षी 'जल-जीवन-हरियाली' अभियान को लेकर भी अधिकारी केवल कोरम पूरा कर रहे हैं.
- कभी जलापूर्ति पाइपलाइन का मैप भूलने की बात तो कभी नप को कार्य हस्तांतरित करने का बना रहे बहाना
- हज़ारों लीटर पानी की बर्बादी पर स्थानीय निवासियों ने जताया रोष
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: एक तरफ जहां सरकार जल संरक्षण को लेकर तमाम तरह के अभियान चला रही है वहीं, दूसरी तरफ जल संरक्षण को लेकर सरकार के अधिकारी कितने जिम्मेदार हैं इसकी बानगी बक्सर में देखने को मिल रही है. नगर के कई इलाकों में पीएचइडी के टूटे जलापूर्ति पाइपों से निकलकर बहता पानी यह साबित करता है कि, सरकार की महत्वकांक्षी 'जल-जीवन-हरियाली' अभियान को लेकर भी अधिकारी केवल कोरम पूरा कर रहे हैं. जल संरक्षण को लेकर अपनी जिम्मेदारी उनके पास है ही नहीं.
नगर के स्टेशन रोड स्थित विश्राम सरोवर के समीप जलापूर्ति की पाइप टूट जाने के कारण कई महीने तक शुद्ध पेयजल बर्बाद होता रहा वहीं, अब नगर के कोइरपुरवा मोहल्ले में तकरीबन 3 महीने से लगातार प्रतिदिन हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर के कोइरपुरवा के समीप पाइप को ब्लॉक कर दिया गया ताकि, विश्राम सरोवर के पास पानी ना गिरे लेकिन, ऐसा करने के दौरान पोकलेन मशीन से जलापूर्ति पाइप टूट गई है. मजे की बात तो यह है कि कई बार सूचना दिए जाने के बावजूद पीएचइडी के अधिकारी जल की बर्बादी रोकने पर संज्ञान नहीं लेते.
हर बार नया बहाना बना रहे अधिकारी:
कई बार शिकायत करने से परेशान सक्षम अधिकारी अब अलग-अलग बातें कह अपना पिंड छुड़ाने के चक्कर में हैं. पहले उन्होंने कहा कि सन् 1975 में स्थापित पाइप लाइन का मैप खो गया है. ऐसे में यह ज्ञात नहीं हो पा रहा कि यह पानी नवीन जलापूर्ति योजना का है अथवा पुरानी जलापूर्ति का? अब वह यह भी कह रहे हैं कि, यह काम अब नगर परिषद को हस्तांतरित किया जाना है ऐसे में मरम्मत नहीं हो पा रही.
स्थानीय निवासियों ने भी जताया रोष:
पूर्व वार्ड पार्षद मीरा देवी कहती हैं कि जलापूर्ति के पाए टूटे होने से प्रतिदिन हजारों लीटर पानी सुबह और शाम यहां बहता रहता है. उन्होंने स्वयं पीएचईडी के अधिकारियों से इसकी शिकायत की लेकिन, कई महीने बीतने के बाद भी व्यवस्था को सुधारने की पहल नहीं की गई. ज्ञानचंद कुमार बताते हैं कि, एक तरफ जहां मुख्यमंत्री जल संचयन की बात कहते हैं वहीं, दूसरी तरफ ऐसा नजारा देख यह स्पष्ट हो जाता है कि, अधिकारियों के लिए मुख्यमंत्री की बातों का कोई महत्व नहीं है.
कहते हैं अधिकारी:
जलापूर्ति की पाइप टूटने की जानकारी है. बहुत पुरानी पाइप लाइन होने के कारण उसका मैप नहीं मिल पा रहा. वहीं, अब पीएचइडी को नहीं बल्कि, वुडको या नगर परिषद को इसकी मरम्मत करनी है हालांकि, जल्द ही इसे अपने स्तर से ही दुरुस्त करने का प्रयास किया जाएगा.
आलोक कुमार
सहायक अभियंता,
पीएचइडी
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