प्रख्यात समाजशास्त्री गौरांग रंजन का कोरोना से निधन ..

उन्होंने बिहार के गांव का समाजशास्त्रीय अध्ययन किया था और 'विलेज स्टडीज इन इंडिया - ए केस आफ बिहार' नामक चर्चित पुस्तक भी लिखी थी. वह विदेशों के अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में भारत की जाति व्यवस्था, कृषि, समाज, भूमि संघर्ष, नक्सली समस्या आदि पर व्याख्यान देने जाया करते थे और अंतरराष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं में उनके लेख छपते थे.

 




- टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस में समाजशास्त्र के प्रोफेसर थे गौरांग रंजन
- बिहार के गांव पर लिखी थी चर्चित पुस्तक

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जिले के उनवास गांव के रहने वाले आचार्य शिवपूजन सहाय के परिवार में जन्मे प्रसिद्ध समाजशास्त्री डॉ. गौरांग रंजन सहाय का कोरोना वायरस के कारण मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में निधन हो गया. वह 57 वर्ष के थे. उनके परिवार में उनकी पत्नी तथा 2 पुत्र हैं. कोरोना प्रोटोकॉल के कारण उनका अंतिम संस्कार मुंबई में ही कर दिया गया. मिली जानकारी के मुताबिक 17 जुलाई 1963 उनका जन्म आचार्य शिवपूजन सहाय के परिवार में हुआ था. वह मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस में समाजशास्त्र के प्रोफेसर थे. 




पटना विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर के पश्चात जेएनयू से अंतरराष्ट्रीय ख्याति के समाजशास्त्री डॉ. दीपांकर गुप्ता के अधीन 'सोशल फॉर्मेशन ऑफ रूरल बिहार- ए केस स्टडी ऑफ सिलेक्टेड भोजपुर डिस्ट्रिक्ट विलेज' विषय पर पीएचडी की थी. वह बेल्जियम विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल आफ इकोनॉमिक्स में रिसर्च स्कॉलर भी रहे थे. उन्होंने बिहार के गांव का समाजशास्त्रीय अध्ययन किया था और 'विलेज स्टडीज इन इंडिया - ए केस आफ बिहार' नामक चर्चित पुस्तक भी लिखी थी. वह विदेशों के अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में भारत की जाति व्यवस्था, कृषि, समाज, भूमि संघर्ष, नक्सली समस्या आदि पर व्याख्यान देने जाया करते थे और अंतरराष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं में उनके लेख छपते थे. स्वर्गीय सहाय के बड़े भाई भी एक माह से कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बनारस हिंदू अस्पताल में इलाजरत हैं.








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