राज्य सरकार द्वारा पहली बार इनकी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक "दयारे हयात" पर दिनकर कवि सम्मान के साथ-साथ एक लाख रुपये का पुरस्कार भी दिया गया. अन्य रचनाओं में पांव कटे बिंब, आग बरसाते हैं शजर, एहसास और सोचती हैं औरते कविता और गजल की पुस्तक भी आयी जो काफी चर्चित रही.
- वर्चुअल बैठक में साहित्यकारों ने कुमार नयन के व्यक्तित्व व कृतित्व पर की चर्चा
- वक्ताओं ने कहा, साहित्यकार का चमकता हुआ नक्षत्र थे कुमार नयन
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: दिवंगत साहित्यकार गजलगो कुमार नयन की स्मृति में प्रगतिशील लेखक संघ की एक वर्चुअल गोष्ठी का आयोजन शुक्रवार को किया गया. गोष्ठी की अध्यक्षता प्रलेस बिहार राज्य के महासचिव रविन्द्र नाथ राय ने की. इस बैठक में में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये.
प्रलेस जिलाध्यक्ष डॉ. बी. एल. प्रवीण ने कहा कि कुमार नयन साहित्याकाश का चमकता हुआ नक्षत्र थे. उनकी ख्याति एवं उपलब्धियां राष्ट्रीय फलक पर भी बखूबी आंकी जाती रही हैं. एक साथ हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी पर मजबूत पकड़ रखने वाले कुमार नयन ने विशेष रूप से गजलगो एवं शायर के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है. उन्हें अदब की दुनिया का बादशाह भी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. एक साथ एम. ए. तथा एल. एल. बी. करने के बाद अपने हुनर को बखूबी निखारा. इस दरम्यान एक तरफ जहां उन्होंने वकालत की प्रैक्टिस की वहीं अंग्रेजी अखबार नवभारत टाइम्स में सीनियर पत्रकार की हैसियत में रह कर जनवादी मुद्दों पर विशेष काम किया. कुछ समय के लिए इन्होंने देवघर से प्रकाशित होने वाले प्रभात खबर दैनिक समाचार पत्र में सम्पादन का कार्य भी किया. बतौर गजलकार इन्होंने जीवन के सच को आसान लफ्जों में बयां किया है. निश्चित तौर पर निरंतर मुफिलीसी हालात में रहकर अपनी हैसियत के जिस पहलू से उन्होंने हमें रूबरू कराया है। वह उनके ईमानदार और जन सरोकार के प्रति समर्पित व्यक्तित्व की पराकाष्ठा ही कही जायेगी. उन्हीं के लफ्जों में ..
"फकीरी में जो चाहा पा गया/ हुनर जीने का मुझको आ गया. मेंरे दिल को जमाना लूटकर/मुहब्बत का सबक सिखला गया."
राज्य कार्यकारिणी सदस्य लक्ष्मी कांत मुकुल ने बताया कि, कुमार नयन प्रलेस के राज्य सचिव मंडल के सदस्य थे. बक्सर जिला साक्षरता समिति अंजोर के सचिव भी थे. कई सामाजिक, शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संगठनों में इनकी समर्पित भागीदारी चर्चा का विषय रही है. इसी प्रकार कई प्रतिष्ठित सम्मानों एवं पुरस्कारों से भी इन्हें नवाजा गया है. बिहार राज्य सरकार द्वारा पहली बार इनकी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक "दयारे हयात" पर दिनकर कवि सम्मान के साथ-साथ एक लाख रुपये का पुरस्कार भी दिया गया. अन्य रचनाओं में पांव कटे बिंब, आग बरसाते हैं शजर, एहसास और सोचती हैं औरते कविता और गजल की पुस्तक भी आयी जो काफी चर्चित रही. भोजपुरी अकादमी सम्मान, कथा हंस पुरस्कार, निराला सम्मान, गालिब सम्मान आदि से भी इन्हें नवाजा गया. अपने अध्यक्षीय भाषण में रविन्द्र नाथ राय ने कहा कि कुमार नयन जैसी शख्सियत का होना पूरे राज्य को गौरवान्वित करता रहा. उन्होंने जो मिसाल कायम की है उसकी छाप युगों तक रहेगी. गोष्ठी में प्रलेस बक्सर की उपाध्यक्षा मीरा सिंह, सचिव उमाशंकर अनुज, शैलेन्द्र ओझा, राज्य कार्यकारिणी सदस्य दीपक राय तथा पंकज कुमार, संरक्षक व अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. महेंद्र सिंह, चर्चित शायर साबित रोहतासवी, वरिष्ठ पत्रकार राम मुरारी, कवि शशांक शेखर, नूतन राय आदि ने भाग लिया. वर्चुअल मीटिंग के दौरान उनकी स्मृति को जीवित रखने के निमित्तार्थ सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर आगामी 26 अप्रैल को एक सोविनियर का प्रकाशन किया जायेगा. साथ ही उनके सम्मान में प्रतिवर्ष कुमार नयन साहित्य सम्मान पुरस्कार चुने हुए साहित्यकारों को प्रदान किया जायेगा.
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