राइस मिलर ने किसान को लगाया चूना ..

बताया कि सरकारी रेट क्या है उन्हें नहीं मालूम. उन्होंने अपने हिसाब से किसान को रुपयों का भुगतान किया है. पक्का रसीद इसलिए नहीं दिया कि कोई भी राइस मिलर पक्का रसीद नहीं देता है. उधर, बसुधर पैक्स अध्यक्ष दिनेश यादव ने भी राइस मिलर की बात को सही ठहराते हुए कहा कि, सरकार की गलत नीतियों के कारण पैक्स में सभी किसानों के धान की खरीद नहीं हो पाती.





- मनमाने दर पर खरीदा धान, किया किश्तों में भुगतान, नहीं दिया पक्का रसीद 
- पैक्स अध्यक्ष उठा रहे सरकार की नीतियों पर सवाल

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: एक तरफ जहां सरकार किसानों से धान अधिप्राप्ति को लेकर सदैव अपनी संजीदगी को प्रदर्शित करती है वहीं, दूसरी तरफ धरातल पर सच्चाई ठीक इसके उलट है. यहां किसान अपने धान को बेचने के लिए पैक्सों तक पहुंचते तो है लेकिन, वहां सरकारी नियमों के मकड़जाल में उलझने के कारण वह अपने धान की बिक्री नहीं कर पाते. ऐसे में बिचौलिए किसानों की इस मजबूरी का खूब फायदा उठाते हैं और जमकर किसानों का शोषण करते हैं. ऐसा ही एक मामला इटाढ़ी थाना क्षेत्र में सामने आया है जहां स्थानीय थाना क्षेत्र के चपटही गांव के रहने वाले धर्मराज सिंह ने सरकारी तंत्र की विफलता से आजिज आकर एक राइस मिलर को अपना धान बेचा लेकिन, राइस मिलर ने भी जमकर उनका शोषण किया.




राइस मिलर ने उनसे ना सिर्फ उन्हें ना सिर्फ निर्धारित सरकारी दर से काफी कम दर में धान खरीदा बल्कि उन्हें कई किश्तों में पैसों का भुगतान किया. इतना ही नहीं किसान द्वारा मांगे जाने पर राइस मिलर ने उन्हें पक्का रसीद तक नहीं दिया. इस बात की शिकायत करने पर भी कहीं राइस मिलर की कोई सुनवाई नहीं हुई. अंत में हैरान-परेशान किसान ने मीडिया के समक्ष अपनी व्यथा रखी.

किसान ने बताया कि पकड़ी मोड़ के समीप राइस मिल चलाने वाले अशोक कुमार यादव नामक राइस मिलर ने उनसे 30 नवंबर 2020 में 237 क्विंटल धान लिया था. धान के बदले चावल देने की बात थी लेकिन, किसान ने चावल ना देकर उन्हें पैसों का भुगतान करना ही सुनिश्चित किया हालांकि, पैसों का भुगतान भी 5 किस्तों में तथा मनमाने दर पर (1225 रुपये प्रति क्विंटल) किया गया जबकि, धान खरीद की सरकारी दर 1775 रुपए है. इतना ही नहीं धान में नमी का हवाला देते हुए तकरीबन 15 क्विंटल धान का पैसा नहीं दिया. साथ ही उन्हें इसका पक्का रसीद नहीं दिया गया. अब जब उन्होंने इस बात की शिकायत की तो भी राइस मिलर ने कोई सुनवाई करने को तैयार नहीं है.

इस बाबत पूछे जाने पर राइस मिलर अशोक यादव ने बताया कि सरकारी रेट क्या है उन्हें नहीं मालूम. उन्होंने अपने हिसाब से किसान को रुपयों का भुगतान किया है. पक्का रसीद इसलिए नहीं दिया कि कोई भी राइस मिलर पक्का रसीद नहीं देता है. उधर, बसुधर पैक्स अध्यक्ष दिनेश यादव ने भी राइस मिलर की बात को सही ठहराते हुए कहा कि, सरकार की गलत नीतियों के कारण पैक्स में सभी किसानों के धान की खरीद नहीं हो पाती. उन्होंने कहा कि बस उधर पैक्स में 70 हज़ार क्विंटल धान का उत्पादन होता है लेकिन, सरकार केवल साढ़े 12 हज़ार क्विंटल ही धान खरीद पाई है. ऐसे में यदि राइस मिलर ना रहे तो अन्य उत्पाद की तरह धान भी खलिहान में पड़े-पड़े खराब हो जाएगा. इस संदर्भ में जानकारी लेने के लिए प्रभारी जिला सहकारिता पदाधिकारी अभिषेक श्रीवास्तव के सरकारी नंबर पर कई बार फोन किया गया लेकिन, उनसे संपर्क नहीं हो सका.








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