सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति के इलाज के दौरान पीएमसीएच के चिकित्सकों की बड़ी लापरवाही उजागर ..

चिकित्सकों ने इलाज करने की जगह केवल खानापूर्ति की और बिना किसी इलाज के ही उन्हें डिस्चार्ज कर दिया. चिकित्सकों के द्वारा इलाज के दौरान खानापूर्ति की बात तब साफ़ ज़ाहिर हुई जब डिस्चार्ज बुक में यह लिख दिया गया कि, 10 दिन के बाद टांका कटवाने आना है जबकि, शरीर पर ना तो कोई चोट थी और ना ही कोई टांका कभी लगाया गया था.





- सिर की हड्डी फ्रैक्चर होने पर इलाज के लिए पीएमसीएच गए थे व्यक्ति
- शरीर में कहीं नहीं हुई चीर-फाड़ लेकिन, 15 दिनों के बाद टांका काटने के लिए बुलाया

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: स्वास्थ्य विभाग की लापरवाहियों की कहानियां अक्सर हमारे सामने आती हैं. मरीज के पेट में ऑपरेशन के दौरान कैंची छोड़ देना अथवा गलत इलाज या लापरवाही के कारण मरीज की जान चली जाना जैसे कई वाकये हमारे सामने आते हैं. इसी क्रम में बक्सर के एक व्यक्ति के साथ राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में जो हुआ वह एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को उजागर करने के लिए काफी है. 






दरअसल, मूल रूप से धनसोई थाना क्षेत्र के रहने वाले नरेंद्र पांडेय ड्यूटी के लिए अपने चरित्रवन मोहल्ले में स्थित स्थानीय आवास से नगर के स्टेशन रोड स्थित चौरसिया लॉज आ रहे थे. वह चौरसिया लॉज में सुरक्षाकर्मी का कार्य करते हैं. इसी क्रम में ज्योति प्रकाश चौक के समीप उनका एक्सीडेंट हो गया हालांकि, उन्हें बहुत ज्यादा बाहरी चोट नहीं लगी थी. ऐसे में उनका प्राथमिक उपचार कराने के बाद परिवार वाले उन्हें घर लेकर चले गए. बाद में सीटी स्कैन रिपोर्ट आने के पश्चात सिर की हड्डी फ्रैक्चर बताई गई जिसके बाद बेहतर इलाज के लिए चिकित्सकों ने इन्हें पीएमसीएच ले जाने की सलाह दी. 


पीएमसीएच पहुंचने के बाद चिकित्सकों ने इलाज करने की जगह केवल खानापूर्ति की और बिना किसी इलाज के ही उन्हें डिस्चार्ज कर दिया. चिकित्सकों के द्वारा इलाज के दौरान खानापूर्ति की बात तब साफ़ ज़ाहिर हुई जब डिस्चार्ज बुक में यह लिख दिया गया कि, 10 दिन के बाद टांका कटवाने आना है जबकि, शरीर पर ना तो कोई चोट थी और ना ही कोई टांका कभी लगाया गया था. ऐसे में परिजन यह सोचकर हैरान थे कि, बिना किसी टांके के टांका कटवाने आने की बात कैसे लिखी गई और उससे भी ज्यादा आश्चर्य की बात यह है कि, यदि राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में इस तरह की घटना होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा जबकि, इन अस्पतालों के लिए सरकार प्रतिमाह करोड़ों रुपये खर्च करती है.







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