जयंती पर याद किए गए अमर उपन्यासकार देवकीनंदन खत्री ..

जासूसी के उपन्यासों में देवकीनंदन खत्री का वही स्थान है जो अंग्रेजी साहित्य में कानन डायल का है. उन्होंने सबसे ज्यादा हिंदी के पाठक पैदा किए हैं. उनकी अमर कृतियों चंद्रकांता तथा चंद्रकांता संतति के साथ-साथ काजल की कोठरी, नरेंद्र मोहनी, कुसुम कुमारी, वीरेंद्र वीर, गुप्त गोंडा, कटोरा भर तथा भूतनाथ का नाम आदर सहित लिया जाता है.

 



- गधपूरना तथा भोजपुरी साहित्य मंडल के बैनर तले आयोजित हुआ कार्यक्रम
- रचनाकर्मियों एवं बुद्धिजीवियों ने अर्पित किए श्रद्धासुमन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर गधपूरना पत्रिका तथा भोजपुरी साहित्य मंडल की ओर से हिंदी के बहुचर्चित अय्यारी उपन्यासों के रचयिता स्व. देवकीनंदन खत्री की 160 वीं जयंती आर्या एकेडमी में कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते हुए मंडल अध्यक्ष अनिल कुमार द्विवेदी की अध्यक्षता में आयोजित की गई.

मौके पर जिले के प्रमुख रचनाकर्मियों एवं बुद्धिजीवियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. कार्यक्रम की शुरुआत उपन्यासकार स्व.खत्री के तैल चित्र पर माल्यार्पण करते हुए किया. 

स्वर्गीय देवकीनंदन खत्री के प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए साहित्यकार डॉ. अरुण मोहन भारवि ने कहा कि, हिंदी के विकास में स्वर्गीय खत्री का महत्वपूर्ण योगदान है. आचार्य द्वारा रचित चंद्रकांता और चंद्रकांता संतति को पढ़ने के लिए लाखों लोगों ने हिंदी सीखी. जासूसी के उपन्यासों में देवकीनंदन खत्री का वही स्थान है जो अंग्रेजी साहित्य में कानन डायल का है. उन्होंने सबसे ज्यादा हिंदी के पाठक पैदा किए हैं. उनकी अमर कृतियों चंद्रकांता तथा चंद्रकांता संतति के साथ-साथ काजल की कोठरी, नरेंद्र मोहनी, कुसुम कुमारी, वीरेंद्र वीर, गुप्त गोंडा, कटोरा भर तथा भूतनाथ का नाम आदर सहित लिया जाता है. 

अपने अध्यक्षीय भाषण में अनिल त्रिवेदी ने कहा कि खत्री जी के चंद्रकांता पर पाठक लट्टू हो गए. इस रचना ने सबका मन मोह लिया. उनकी लेखनी के कमाल से तिलिस्म, ऐय्यारी, ऐय्यार शब्द हिंदी भाषियों की जुबान पर चढ़ गए और लोगों ने जोश खरोश के साथ हिंदी पढ़ना-लिखना सीखा. इस दौरान प्राचार्य नीलम भारती, श्री भगवान पांडेय, अमरेंद्र दूबे, कुशध्वज सिंह, अभिषेक वर्मा, राजेश महाराज, रमाकांत तिवारी, कामरान खान, जमीर अनवर, गणेश प्रसाद, मन्नू प्रसाद मद्धेशिया आदि ने भी स्वर्गीय देवकीनंदन खत्री को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें हिंदी साहित्य के अमर उपन्यासकार के रूप में याद किया.










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