वीडियो: नगर परिषद का अनोखा कारनामा: 24 लाख का विकास कार्य अधूरा लेकिन, भुगतान पूरा ..

यह भी बताया कि योजना को लेकर वार्ड पार्षद राकेश राय ने भी लिखित रूप से आपत्ति जताई थी. यहां तक कि बिल का भुगतान करने से पूर्व निरीक्षण किए बिना ही एजेंसी को भुगतान कर भी दिया गया. निश्चित रूप से यह कमीशनखोरी का मामला है.





- सोहनी पट्टी इलाके में पोखर उड़ाही का कार्य अधूरा होते हुए भी कर दिया पूरा भुगतान
- वार्ड पार्षद से भी नहीं लिया गया अनुमोदन, अनियमितता की शिकायत के बावजूद हुआ पूरा भुगतान
- नगर परिषद की नई कार्यपालक पदाधिकारी की कार्यशैली पर भी उठ रहे हैं सवाल

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: नगर परिषद के खेल निराले हैं. एक तरफ जहां पूरे नगर के 34 वार्डों में विकास योजनाएं धरातल पर पहुंच नहीं पाती है वहीं, विकास योजनाओं के नाम पर लूट-खसोट के मामले भी सदैव सामने आते रहते हैं. ताजा मामला नगर के सोहनी पट्टी का है जहां पोखर की उड़ाही के नाम पर 24 लाख रुपये से ज्यादा की राशि निकाल ली गई और ना तो बेहतर तरीके से पोखर की उड़ाही हो सकी और ना ही उसके बगल में बनाए जाने वाले नाली के निर्माण को पूरा किया जा सका. इतना ही नहीं निर्माण संपन्न होने की बात कहते हुए भुगतान किए जाने के बावजूद आज तक कार्य स्थल पर प्राक्कलित राशि एवं योजना का बोर्ड तक नहीं लगा है. 



स्थानीय लोगों के साथ-साथ वार्ड पार्षद राकेश राय भी व्यवस्था के इस खेल से खासे नाराज हैं. उनका कहना है कि नगर परिषद के द्वारा गलत तरीके से बिना कार्य कराए ही इस योजना के मद में 24 लाख रुपये से ज्यादा की राशि का भुगतान संबंधित एजेंसी को हो चुका है हालांकि, यह भुगतान किश्तों में हुआ है लेकिन, कार्य अब भी पूरा नहीं हुआ है. हाल में ही अंतिम भुगतान नई कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम के द्वारा यह कहते हुए कर दिया गया कि उन्होंने योजना की जांच कर ली है. ऐसे में कहीं ना कहीं इस योजना के कार्यान्वयन में खासा भ्रष्टाचार परिलक्षित हो रहा है. स्थानीय निवासी राजेश कुमार बताते हैं कि, गोरया बाबा पोखर की उड़ाही के नाम पर कुछ नहीं किया गया. और तो और किनारों पर कूड़े कचरे के ढेर के ऊपर मिट्टी डालकर केवल यह एहसास करा दिया गया कि पोखर की उड़ाही बेहतर तरीके से की गई है. 



स्थानीय समाजसेवी गणेश शर्मा बताते हैं कि, पोखर के अंदर की गाद नहीं निकाली गई है. जबकि कम से कम एक फ़ीट मिट्टी काटनी चाहिए थी. ऐसे में जिन लोगों ने पोखर को मत्स्य पालन के लिए नगर परिषद से पट्टे पर लिया है वह पिछले 1 साल से परेशान हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या है कि तकरीबन 600 फ़ीट की नाली के स्थान पर केवल ढाई सौ फ़ीट की नाली का निर्माण किया गया है. उन्होंने कहा कि पूछने पर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी गोलमोल जवाब देती हैं. 


उधर, इस मामले में नगर परिषद का पक्ष जानने के लिए उप मुख्य पार्षद से बात की गई तो उन्होंने कहा कि, नगर परिषद की कार्यपालक पदाधिकारी की कार्यशैली सवालों के घेरे में है. उन्होंने कहा कि, बिना स्थल जांच किए कार्यकारी एजेंसी को भुगतान कर देना कहीं ना कहीं साबित करता है कि, नगर परिषद की कार्यपालक पदाधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. उप मुख्य पार्षद ने यह भी बताया कि योजना को लेकर वार्ड पार्षद राकेश राय ने भी लिखित रूप से आपत्ति जताई थी. यहां तक कि बिल का भुगतान करने से पूर्व निरीक्षण किए बिना ही एजेंसी को भुगतान कर भी दिया गया. निश्चित रूप से यह कमीशनखोरी का मामला है.


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