कोविड को लेकर दिए गए सरकारी निर्देश के तहत बकरीद की खुशियां घरों तक ही सीमित रही. मुस्लिम धर्मावलंबियों ने नमाज अपने घरों में ही पढ़ी और उसके बाद एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी. हालांकि, पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मोहल्ले के लोगों के साथ अजीज लोग भी एक दूसरे के घरों में जाकर लजीज व्यंजनों का स्वाद जरूर चखा.
- संक्रमण से बचाव के नियमों के तहत लगाए गए थे प्रतिबंध
- सुरक्षा के किए गए थे व्यापक इंतजाम
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: वैश्विक महामारी कोरोना के नियमों का पालन करते हुए बुधवार को अकीदतमंदों ने कुर्बानी का त्योहार ईद-उल-अजहा जिले भर में उमंग और उत्साह के साथ मनाया. लोगों ने घरों पर ही बकरीद की नमाज अदा करते हुए एक दूसरे को पर्व की मुबारकबाद दी. उधर, त्योहार को लेकर विभिन्न चौक-चौराहों तथा मस्जिदों और ईदगाहों के समीप सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे.
बकरीद पर्व पर कोरोना के नियमों के अंतर्गत लोगों ने घरों से ही नमाज़ पढ़ी बावजूद उमंग और उत्साह का आलम कायम रहा. सरकारी आदेश का पालन करते हुए दूर से ही पर्व की बधाई दी गयी. कोविड को लेकर दिए गए सरकारी निर्देश के तहत बकरीद की खुशियां घरों तक ही सीमित रही. मुस्लिम धर्मावलंबियों ने नमाज अपने घरों में ही पढ़ी और उसके बाद एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी. हालांकि, पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मोहल्ले के लोगों के साथ अजीज लोग भी एक दूसरे के घरों में जाकर लजीज व्यंजनों का स्वाद जरूर चखा.
साबित ख़िदमत फाउंडेशन के निदेशक डॉ. दिलशाद आलम तथा सचिव साबित रोहतासवी ने को अपने आवास पर परिजनों के साथ फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बकरीद की नमाज अदा की. मौके पर साबित रोहतासवी ने कहा कि, ईद-उल-अज़हा त्याग और बलिदान का प्रतीक है. कुर्बानी का यह पर्व प्यार, त्याग व बलिदान का संदेश देता है.
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