वीडियो: गलत दाखिल-खारिज करने वाले राजस्व कर्मी समेत तीन पर एफआइआर का आदेश ..

भूमि सुधार उप समाहर्ता के यहां परिवाद पत्र देकर यह आरोप लगाया था कि, बगैर दाखिल-खारिज स्वीकृति के जालसाजी के तहत राजस्व कर्मचारी और जमीन से संबंधित व्यक्ति द्वारा जमाबंदी कायम कर राजस्व रसीद निर्गत कर दी गई है. उन्होंने बताया कि कोइरपुरवा निवासी संगीता देवी तथा इंद्रावती देवी के द्वारा यह कृत्य किया गया था.
भूमि सुधार उप समाहर्ता के द्वारा दिए गए आदेश की प्रति दिखाते भूस्वामी




- भूमि सुधार उप समाहर्ता के द्वारा जांच में पकड़ी गई दस्तावेजों से छेड़छाड़ की गलती 
- मामले में राजस्व कर्मी समेत जमाबंदी कराने वाले लोगों पर भी होगा एफआइआर 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: सूबे में बढ़ रहे आपराधिक मामलों में अधिकांश मामले भूमि विवाद से जुड़े हुए होते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा राज्य के सभी थानों पर हर शनिवार को जनता दरबार लगाकर भूमि विवाद से जुड़े मामलों को सुलझाने का फरमान जारी किया गया है, जिसके आलोक में हर शनिवार स्थानों पर भूमि विवाद से जुड़े मामलों की सुनवाई होती है. इन मामलों की सुनवाई के लिए मौके पर थानाध्यक्ष के साथ-साथ अंचलाधिकारी तथा समय-समय पर जिले के वरीय पदाधिकारी पहुंचते हैं. जनता दरबार के द्वारा भूमि विवाद के मामलों को सुलझाने की कोशिश के बीच अंचलाधिकारी तथा कर्मियों के द्वारा कुछ इस तरह के कार्य किए जा रहे हैं जिसके कारण भूमि विवाद के मामले बढ़ रहे हैं तथा क्राइम कंट्रोल को लेकर मुख्यमंत्री के सपनों पर पानी फिरता नजर आ रहा है.

ऐसे ही एक मामले की सुनवाई के दौरान भूमि सुधार उप समाहर्ता के द्वारा कोइरपुरवा मोहल्ले में गलत ढंग से दूसरे की जमीन को अपने नाम पर दाखिल-खारिज करा लेने वालों पर प्राथमिकी का आदेश दिया है.आदेश में यह वर्णित है कि जांचोपरांत यह स्पष्ट हो गया है कि, दाखिल-खारिज करने के पश्चात गलती छिपाने के लिए अंचल कार्यालय से अभिलेख भी गायब कर दिए गए हैं. ऐसे में कार्यालय से अभिलेख गायब करने वाले दोषी कर्मियों राजस्व कर्मी के साथ कर्मियों से मिलीभगत कर जबर्दस्ती अपने नाम से दाखिल-खारिज कराने वाले लोगों पर भी प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश किया गया है.

कोइरपुरवा निवासी ने लगाया था आरोप:

दरअसल, कोइरपुरवा मोहल्ले के रहने वाले सदानंद कुशवाहा ने भूमि सुधार उप समाहर्ता के यहां परिवाद पत्र देकर यह आरोप लगाया था कि, बगैर दाखिल-खारिज स्वीकृति के जालसाजी के तहत राजस्व कर्मचारी और जमीन से संबंधित व्यक्ति द्वारा जमाबंदी कायम कर राजस्व रसीद निर्गत कर दी गई है. उन्होंने बताया कि कोइरपुरवा निवासी संगीता देवी तथा इंद्रावती देवी के द्वारा यह कृत्य किया गया था जिसमें किला मौजा की 9 धुर 10 धुरकी जमीन की गलत ढंग से रसीद कटाई जा रही थी.

पूर्व में अस्वीकृत हुआ था दाखिल -ख़ारिज का आवेदन:

अपने जांच प्रतिवेदन में भूमि सुधार उप समाहर्ता ने बताया है कि, हल्का कर्मचारी द्वारा अंचल अधिकारी को समर्पित प्रतिवेदन में स्पष्ट होता है कि पूर्व में दाखिल-ख़ारिज के लिए दिए गए आवेदन के अस्वीकृत होने के बाद इंद्रावती देवी व संगीता देवी द्वारा जालसाजी  कर जबरदस्ती वर्ष 2009-10 में जमाबंदी करा ली गई और मालगुजारी रसीद निर्गत किया जाने लगा.

राजस्व कर्मी समेत फर्जीवाड़े में शामिल लोगों के विरुद्ध दर्ज होगी प्राथमिकी:

ऐसे में उन्होंने स्पष्ट किया है कि, राजस्व कर्मचारी राजू रंजन प्रसाद, इंद्रावती देवी तथा संगीता देवी के द्वारा आपसी संलिप्तता के द्वारा षड्यंत्र करते हुए सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ की गई है. ऐसे में इन सभी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है.भूमि सुधार उप समाहर्ता ने अपने आदेश में कहा है कि इंद्रावती देवी व संगीता देवी के पूर्व में अस्वीकृत दाखिल-खारिज वाद के विरुद्ध उन्हें न्यायालय में अपील वाद दायर करना चाहिए था लेकिन, उनके द्वारा फर्जी तरीका अपनाया गया है.










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