कहा कि गुरु का पूजन केवल एक गुरु पूर्णिमा के दिन करने से नहीं बल्कि गुरु के उपदेशों को मानना ही गुरु पूजन हो जाता है. गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजनशलाका से निवारण कर देता है. अर्थात दो अक्षरों से मिलकर बने 'गुरु' शब्द का अर्थ प्रथम अक्षर 'गु का अर्थ- 'अंधकार' होता है जबकि दूसरे अक्षर 'रु' का अर्थ- 'उसको हटाने वाला होता है.
मामाजी महाराज की आरती उतारते श्रद्धालु |
- हनुमत धाम मंदिर प्रांगण में गुरु और शिष्य की महिमा पर कथा का हुआ आयोजन
- नया बाजार स्थित आश्रम में भी आयोजित हुआ कार्यक्रम
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: गुरु पूर्णिमा के मौके पर अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन कर गुरुओं का पूजन किया. इस दौरान जिले भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. सदर प्रखंड में स्थित श्री हनुमत धाम मंदिर प्रांगण में गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाया गया. कोरोना संक्रमण को देखते हुए समय नहीं तय किया गया था. इससे अपने समय के अनुसार शिष्य मंदिर प्रांगण में प्रवेश करके गुरु की पूजन अर्चन किया, जिससे भीड़ की स्थिति नहीं बनी. साकेतवासी परम पूज्य नेहनिधि सिया अनुज श्रीमन्नारायण दास जी भक्तमाली उपाख्य श्री मामा जी महाराज, बक्सर वाले के प्रथम शिष्य श्री रामचरित्र दास जी महाराज उपाख्य श्री महात्मा जी ने व्यास पूर्णिमा के पुनीत अवसर पर गुरु और शिष्य की महिमा का बखान करते हुए कहा कि गुरु और शिष्य की महिमा बहुत ही निराली एवं सुखदायक होती है. पूरे मन से अगर गुरु की सेवा की जाए तो भगवान की सेवा अपने आप हो जाती है. उन्होंने कहा कि यदि गुरु और गोविन्द दोनों एक साथ उपस्थित हो जाये तो सबसे पहले गुरु की वंदना करनी चाहिए.
क्योंकि गुरु ने गोविन्द अर्थात भगवान से मिलने का रास्ता बताया है अतः गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊँचा होता है.
वहीं कोरोना वायरस पर विचार रखते हुए महाराज श्री ने कहा कि कोरोना वायरस से खुद का बचाव करते हुए सचेत एवं सावधान होने की आवश्यकता है. मास्क एवं सैनिटाइजर का प्रयोग बहुत ही जरूरी है. कथा के दौरान व्यक्तिगत दूरी को ध्यान में रखा गया.
महाराज श्री ने कहा कि गुरु का पूजन केवल एक गुरु पूर्णिमा के दिन करने से नहीं बल्कि गुरु के उपदेशों को मानना ही गुरु पूजन हो जाता है. गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजनशलाका से निवारण कर देता है. अर्थात दो अक्षरों से मिलकर बने 'गुरु' शब्द का अर्थ प्रथम अक्षर 'गु का अर्थ- 'अंधकार' होता है जबकि दूसरे अक्षर 'रु' का अर्थ- 'उसको हटाने वाला होता है. संत तुलसीदास ने कहा है कि 'गुरु विन भवनिधि/ तरई न कोई। जो बिरंचि संकर सम होई ।।' अर्थात- गुरु की कृपा प्राप्ति के बगैर जीव संसार सागर से मुक्त नहीं हो सकता चाहे वह ब्रह्मा और शंकर के समान ही क्यों न हो.
मौके पर रविलाल, विनीता दीदी, श्यामजी, लालजी, नीतीश सिंह, रामकृपाल सिंह, नंद बिहारी, पिंटू, शालनी, जयशंकर तिवारी, बच्चा जी, रागनी, अंकिता, गीता, अनीश समेत अन्य भक्त मौजूद रहे.
इसके अतिरिक्त नया बाजार स्थित आश्रम में मामा जी के शिष्य राजाराम दास जी महाराज के निर्देशन में गुरु पूजन का कार्यक्रम किया गया. इस दौरान दूर-दराज से पहुंचे श्रद्धालुओं ने कार्यक्रम में हिस्सा लेकर गुरु पूजन किया.
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