वीडियो: निजी अस्पताल संचालक का पंखे से लटकता मिला शव ..

उनके सहयोगी राम वंश पाल तकरीबन आठ बजे अस्पताल पहुंचे तो पाया कि वह पंखे की कुंडी से लटक रहे थे. उन्होंने इस नजारे को देखा तो पुलिस को सूचना दी. जिसके बाद शव को उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. 



 




- सोनवर्षा ओपी थाना क्षेत्र के स्थानीय गांव का है मामला
- पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा, जांच में जुटी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: सोनवर्षा ओपी थाना क्षेत्र के स्थानीय गांव में एक निजी अस्पताल संचालक ग्रामीण चिकित्सक का शव पंखे से लटकता मिला है. घटना बीती रात की है जिसकी जानकारी आज सुबह मिली है. सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है. शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है.

जानकारी देते हुए ओपी प्रभारी प्रियेश प्रियदर्शी ने बताया कि मूल रूप से मुफस्सिल थाना अंतर्गत चक्रहंसी गांव निवासी कृष्णा सिंह के पुत्र अमित कुमार(40 वर्ष) सोनवर्षा बाजार में बालाजी हॉस्पिटल का संचालन करते थे. वह मूल रूप से मुफस्सिल थाना क्षेत्र के चक्रहंसी गांव के रहने वाले थे. सोमवार की देर रात उन्होंने अपने स्थानीय अस्पताल के एक्सरे रूम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. सुबह जब उनके सहयोगी राम वंश पाल तकरीबन आठ बजे अस्पताल पहुंचे तो पाया कि वह पंखे की कुंडी से लटक रहे थे. उन्होंने इस नजारे को देखा तो पुलिस को सूचना दी. जिसके बाद शव को उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. 

उधर मौके पर पहुंचे चौगाई के जिला परिषद अरविंद प्रताप शाही उर्फ बंटी शाही ने बताया कि मृतक का ननिहाल उनके गांव चौगाई में ही है. इस नाते से वह उन्हें भांजा कह कर बुलाते थे. वह बहुत सरल स्वभाव के व्यक्ति थे लेकिन, इस तरह का कदम क्यों उठाया और यह घटना आत्महत्या है या कुछ और? यह अनुसंधान का विषय है. निश्चित रूप से पुलिस मामले की जांच करते हुए इस रहस्य से पर्दा उठाएगी. मौके से कोई सुसाइड नोट आदि भी नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि मृतक का पूरा परिवार छत्तीसगढ़ में रहता है जहां उनके पिता वन विभाग में कार्यरत है अमित की शादी हो चुकी है उनकी पत्नी तथा एक छोटी बच्ची भी छत्तीसगढ़ के सीतापुर में ही रहती है.

सरल स्वभाव के थे अमित, छोटी-मोटी दुर्घटनाओं में घायल लोगों का करते थे मुफ्त इलाज:

स्थानीय लोगों से पूछताछ में यह जानकारी मिली कि अमित कुमार मृदुभाषी तथा सरल स्वभाव के व्यक्ति थे. इलाके में छोटी-मोटी सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों का वह मुफ्त में इलाज तक करते थे. इसके अतिरिक्त कभी उनकी किसी से दुश्मनी भी नहीं रही है ऐसे में उन्होंने इस तरह का कदम क्यों उठाया यह बात समझ से परे है. दबी जुबान से लोग इसे हत्या करार दे रहे हैं. उधर थानाध्यक्ष का कहना है कि, मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

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