लोक शिकायत निवारण अधिनियम का मज़ाक बना रहे अधिकारी, ग्रामीण ने उठाए व्यवस्था पर सवाल ..

लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सिमरी के प्रखंड विकास पदाधिकारी सिमरी को पीसीसी ढलाई सड़क को तोड़कर दोषी व्यक्ति पर प्राथमिकी दर्ज कराते हुए सरकारी राशि की वसूली सुनिश्चित करने की बात कही लेकिन, इस आदेश का अनुपालन नहीं हुआ और ना ही पीसीसी सड़क तोड़ी गई, जिस पर परिवादी ने असंतोष जताते हुए मीडिया के समक्ष अपनी व्यथा रखी.





- सिमरी प्रखंड के काज़ीपुर में बिना अनुमति रैयती जमीन पर बना दी गई थी सड़क
- सड़क तोड़ने के आदेश का 20 दिनों के बाद भी नहीं हुआ अनुपालन

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यह मान लिया है कि लोक शिकायत निवारण कानून का समुचित लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा. अधिकारी केवल खानापूर्ति करते हुए सरकार व जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं. ऐसा ही एक मामला जिले में भी आया है जहां ग्रामीण की निजी जमीन पर बिना अनुमति सरकारी रास्ता बना देने वाले मुखिया तथा अन्य पंचायत कर्मियों के विरुद्ध अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष की गई शिकायत पर पदाधिकारी के द्वारा निर्माण को तोड़े जाने का आदेश निर्गत किया गया. बावजूद इसके तकरीबन 20 दिन से ज्यादा समय बीत जाने पर भी लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश का अनुपालन नहीं कराया जा सका. ऐसे में शिकायतकर्ता ने लोक शिकायत निवारण कानून पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब शिकायत का निष्पादन ही नहीं होगा तो फिर इस तरह के आदेश का क्या मतलब?



दरअसल, सिमरी प्रखंड के काजीपुर मुखिया के द्वारा पंचायत के वार्ड संख्या-3 में 14वें वित्त योजना से रैयती जमीन में पीसीसी ढलाई सड़क निर्माण का कार्य कराया गया था. यह निर्माण वित्तीय वर्ष 2018-19 में स्थानीय निवासी ललन चौधरी के घर से जगदीश त्रिपाठी के घर तक उन्नीस में 1 लाख 35 हज़ार रुपये की लागत से यह निर्माण कराया गया. इस निर्माण पर वार्ड संख्या 3 के निवासी संजय त्रिपाठी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि बिना उनसे अनुमति लिए हुए उनकी रैयती जमीन में यह निर्माण कर दिया है. इसकी शिकायत उन्होंने अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष की थी, जिस पर अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी धनंजय त्रिपाठी ने मामले की जांच कराई और जांच के प्रतिवेदन का अवलोकन करने के पश्चात पुनः अंचलाधिकारी से भी स्थल की जांच करते हुए प्रतिवेदन समर्पित करने की बात कही. जिसमें यह भी स्पष्ट करने की बात कही गई कि सड़क कितनी लंबाई और चौड़ाई में बनाई गई है? 



अधिकारियों द्वारा समर्पित जांच प्रतिवेदन का अवलोकन करने के पश्चात लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी द्वारा यह कहा गया कि जाँच रिपोर्ट भ्रामक है. उन्होंने कहा कि लोक प्राधिकार के द्वारा कोई भी ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया. जिससे कि यह स्पष्ट हो सके कि परिवादी द्वारा भूमि पर पीसीसी निर्माण हेतु सहमति दी गई है. इतना ही नहीं इस संबंध में ग्रामीणों के बयान की कॉपी, आमसभा के पंजे की फोटो कॉपी या अभिलेख के फोटो कॉपी भी नहीं संलग्न थी जिससे यह स्पष्ट हुआ कि निर्माण जायज था. ऐसे में लोक प्राधिकार को भी चेतावनी देते हुए कहा गया कि भविष्य में इस तरह के भ्रामक प्रतिवेदन देने से बचें. मामले में लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने सिमरी के प्रखंड विकास पदाधिकारी सिमरी को पीसीसी ढलाई सड़क को तोड़कर दोषी व्यक्ति पर प्राथमिकी दर्ज कराते हुए सरकारी राशि की वसूली सुनिश्चित करने की बात कही लेकिन, इस आदेश का अनुपालन नहीं हुआ और ना ही पीसीसी सड़क तोड़ी गई, जिस पर परिवादी ने असंतोष जताते हुए मीडिया के समक्ष अपनी व्यथा रखी. इस मामले में सिमरी प्रखंड विकास पदाधिकारी से संपर्क करने का कई बार प्रयास किया गया लेकिन, उनका सरकारी नंबर बंद रहने के कारण उनका पक्ष ज्ञात नहीं.




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