वीडियो : भगवान के छठिहार में ख़ूब गाई गई बधाइयां, दिखा अलौकिक नज़ारा ..

'श्री वामन' का अवतरण सिद्धाश्रम स्थित चरित्रवन में हुआ था. जिन्होंने बगैर अस्त्र-शस्त्र उठाये दैत्यराज बलि के आतंक से मृत्यु लोक में शांति स्थापित कर दिया. बता दें कि भाद्रपद शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि को ब्राह्मण दंपत्ति महर्षि कश्यप तथा अदिति के घर बटुक वामन के रूप में भगवान विष्णु ने जन्म लिया था. उस तिथि के 6 दिन के बाद छठिहार मनाए जाने की परंपरा है.




- सोमेश्वर स्थान स्थित वामनेश्वर मंदिर में हुई भगवान वामन की पूजा-अर्चना
- दूर-दराज से पहुंचे श्रद्धालु, विशेष सजावट से जगमगाता रहा मंदिर परिसर

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : केंद्रीय कारा के समीप स्थित वामेश्वर नाथ मंदिर सेवा समिति के तत्वाधान में श्री वामन भगवान का छठिहार समारोह धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान जिलेभर से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे वहीं, महिलाओं के द्वारा सोहर आदि गाकर अलौकिक नजारा प्रस्तुत किया जा रहा. भगवान की ऐसी भक्ति देखकर बरबस लोगों के मुंह से वाह निकल जा रही थी. 




इसके पूर्व सुबह में भगवान वामनेश्वर मंदिर में दूर-दराज से पहुंचे श्रद्धालुओं ने भगवान विधि-विधान से भगवान का पूजन-अर्चन किया तथा उनसे विश्व कल्याण की मंगल कामना की. तत्पश्चात संध्या वेला में भव्य आरती के साथ-साथ विशेष प्रसाद वितरण का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. मौके पर मुन्ना सिंह, श्याम यादव, चंदन यादव, सचिन कुमार, पप्पू यादव, रोहित गुप्ता, राजू कुमार, बनारसी गुप्ता, मुन्ना यादव तथा वामनेश्वर मंदिर के पुजारी सत्येंद्र चौबे समेत सैकड़ों भक्तजन मौजूद रहे.

बता दें कि भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक 'श्री वामन' का अवतरण सिद्धाश्रम स्थित चरित्रवन में हुआ था. जिन्होंने बगैर अस्त्र-शस्त्र उठाये दैत्यराज बलि के आतंक से मृत्यु लोक में शांति स्थापित कर दिया. बता दें कि भाद्रपद शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि को ब्राह्मण दंपत्ति महर्षि कश्यप तथा अदिति के घर बटुक वामन के रूप में भगवान विष्णु ने जन्म लिया था. उस तिथि के 6 दिन के बाद छठिहार मनाए जाने की परंपरा है.



आचार्य मुक्तेश्वर नाथ शास्त्री ने बताया कि पौराणिक मान्यता तथा धर्म ग्रंथों से मिली जानकारी के अनुसार तकरीबन 35 लाख वर्ष पूर्व 'हिरण्यकशिपु' कुल में जन्मे बलि ने देवताओं को पराजित कर तीनों लोकों पर अधिपत्य जमा लिया था. जिसके बाद दैत्यों का अत्याचार बढ़ने लगा. नतीजा यह हुआ कि तीनों लोकों में असत्य व दुराचार का बोलबाला बढ़ गया. ऋषि, ब्राह्माण, गौ व महिलाओं पर जुल्म बढ़ गया. देवताओं में हाहाकार मच गया. तत्पश्चात भक्तों के शोक को हरने के लिये ब्रह्मा जी के निवेदन पर श्री विष्णु ने वामन के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया था. वामनावतार के बाद सभी देवता धरती पर पधारे और उनका उपनयन संस्कार कराया.



बगैर शस्त्र उठाए बलि को किया पराजित :

भगवान वामन से देवताओं ने कहा था कि बलि को बगैर हथियार पराजित करना संभव नहीं है परंतु, ब्राह्मण धर्म का हवाला देते हुए बटुक वामन ने हथियार नहीं उठाया तथा तीन लोकों को अपने तीन पगों से मापकर राजा बलि के घमंड को चूर कर उन्हें परास्त कर दिया. भगवान वामन द्वारा स्थापित शिवलिंग आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है

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