धूमधाम से मना ठाकुर जी का छठियार ..

यमुना चौक स्थित त्रिवेदी कॉम्प्लेक्स में प्रभु श्री कृष्ण के छठियार का आयोजन धूमधाम से किया गया. इस दौरान भगवान श्री कृष्ण का पूजन-अर्चन करने के साथ-साथ उन्हें छप्पन भोग लगाया गया. इसके उपरांत ठाकुर जी के भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. मौके पर अनेकों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण करते हुए भगवान को नमन किया.





- विधि विधान से किया गया पूजन
- भगवान को लगाया गया 56 भोग

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: यमुना चौक स्थित त्रिवेदी कॉम्प्लेक्स में प्रभु श्री कृष्ण के छठियार का आयोजन धूमधाम से किया गया. इस दौरान भगवान श्री कृष्ण का पूजन-अर्चन करने के साथ-साथ उन्हें छप्पन भोग लगाया गया. इसके उपरांत ठाकुर जी के भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. मौके पर अनेकों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण करते हुए भगवान को नमन किया.


सबसे पहले पीले वस्त्र पहनकर विधि-विधान से ठाकुर जी का पूजन किया गया तथा ओम भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र से उनका ध्यान किया गया. तत्पश्चात उनका नामकरण हुआ. मौके पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनिल त्रिवेदी ने बताया कि हर वर्ष यह कार्यक्रम धूमधाम से मनाया जाता है इस दौरान भगवान का विधि-विधान से पूजन होता है. अनुराग राज त्रिवेदी समेत त्रिवेदी परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे. 




पंडित मुक्तेश्वर नाथ शास्त्री बताते हैं कि श्रीकृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था. आधी रात का समय था. तेज  बारिश हो रही थी. मोहमाया के प्रताप से कारागार के समस्त प्रहरी सो गए. आकाशवाणी हुई और वासुदेव ने रातोंरात उनको गोकुल में नंद के घर पहुंचा दिया. कंस जब कारागार में आया तो उसको बताया गया कि लड़की का जन्म हुआ है. कंस ने उसको मारने की कोशिश की लेकिन वह यह कहते हुए आकाश में बिजली बन गई कि तुझे मारने वाला तो जन्म ले चुका है. कंस ने पूतना को आदेश दिया कि जितने भी छह दिन के बच्चे हैं, उनको मार दिया जाए. पूतना जब गोकुल पहुंची तो यशोदा ने बालकृष्ण को छिपा दिया. बालकृष्ण को छह दिन हो गए थे. लेकिन उनकी छठी नहीं हुई. न नामकरण हुआ. कालांतर में यशोदा ने कान्हा के जन्म से 364 दिन बाद सप्तमी को छठी पूजन किया तभी से श्रीकृष्ण की छठी मनाई जाने लगी और तब से बच्चों की छठी करने की भी परंपरा पड़ी.







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