बक्सर में महात्मा गांधी से जुड़े स्थलों को विकसित करने की मांग ..

बताया कि बक्सर जनपद से महात्मा गांधी का एक अलग ही जुड़ाव था. वह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पांच बार बक्सर जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचे थे. विख्यात इतिहासकार डॉ केके दत्ता की किताब 'गांधीजी इन बिहार' अखोरी रामनरेश सिन्हा की किताब 'स्वतंत्रता संग्राम में बक्सर' तथा मास्टर जयप्रकाश लाल के द्वारा हस्तलिखित पत्रिका में इस बात का उल्लेख है.
 





- वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर  प्रसाद वर्मा ने कहा, पांच बार बक्सर आए थे महात्मा गांधी
- कहा, जरूरत है नई पीढ़ी को इतिहास से अवगत कराने की.

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : वरिष्ठ अधिवक्ता तथा साहित्यकार रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने बताया कि बक्सर जनपद से महात्मा गांधी का एक अलग ही जुड़ाव था. वह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पांच बार बक्सर जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचे थे. विख्यात इतिहासकार डॉ केके दत्ता की किताब 'गांधीजी इन बिहार' अखोरी रामनरेश सिन्हा की किताब 'स्वतंत्रता संग्राम में बक्सर' तथा मास्टर जयप्रकाश लाल के द्वारा हस्तलिखित पत्रिका में इस बात का उल्लेख है कि महात्मा गांधी 1914, 1917, 1921, 1921 और 1934 में बक्सर पहुंचे थे. ऐसे में राज्य सरकार तथा जिला प्रशासन को यह चाहिए कि वह जिन स्थलों पर रुके थे उन स्थलों का विकास किया जाए तथा उन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए ताकि आने वाली पीढ़ी जिले के गौरवशाली इतिहास से अवगत हो सके.





श्री वर्मा ने बताया कि महात्मा गांधी के साथ बक्सर आने वाले महान हस्तियों के लोकनायक जयप्रकाश नारायण की धर्मपत्नी प्रभावती देवी, मोहम्मद अली, जमुनालाल बजाज अनुग्रह नारायण सिंह, डॉ राजेंद्र प्रसाद आदि भी रहे हैं. महात्मा गांधी डुमराँव, नावानगर, तिरकुनिया ब्रह्मपुर एवं बक्सर में आ चुके हैं. बक्सर में 52 बीघा क्षेत्र में उनका भाषण भी हुआ था. वह जब भी आते थे धरिक्षणा कुँवरि धर्मशाला में अधिवक्ता जगदेव प्रसाद के संरक्षण में रहते थे, जहां उनसे मिलने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में कार्य करने वाले भूमिगत नेता भी पहुंचते थे. बक्सर के भोला नाथ केशरी जैसे नेता शामिल होते थे. डुमराँव में जिन उत्साही छात्रों ने अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध संघर्ष करते हुए बलिदान दिया था वह गांधी जी से काफी प्रभावित थे. गांधी जी के आगमन पर डुमराँव के स्वतंत्रता सेनानी जवाहर लाल श्रीवास्तव, रामचंद्र पटवा, द्वारिका हलवाई, महादेव कसेरा, राम कुमार त्रिपाठी समेत तमाम स्वतंत्रता सेनानी पहुंचते थे तथा उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करते थे. गांधीजी के बक्सर पहुंचने पर महिलाएं अपने गहने तथा रुपये आदि समर्पित कर देती थी ताकि स्वतंत्रता संग्राम की मशाल जलती रहे. महात्मा गांधी का आगमन बक्सर होने के बाद ही वह चंपारण गए थे लेकिन, बक्सर का उतना नाम नहीं हो सका जितना होना चाहिए. ऐसे में हम सभी का यह दायित्व होना चाहिए कि बक्सर का यह शानदार इतिहास आने वाली पीढ़ियों को पता चले.

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