छोटी सी उम्र में सिद्धार्थ बना नेशनल चैम्पियन ..

सिद्धार्थ ने आर्ट कॉन्टेस्ट ग्रुप में कोविड जागरुकता पर पेंटिंग कर तस्वीर बनाई थी, जिसमें दर्शाया गया था कि बच्चों व परिजनों को बिना मास्क पहने घर से बाहर नहीं निकलना है तभी जाकर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना को मात दे सकते हैं हालांकि, देश के कोने-कोने से भाग लिए बच्चों ने भी अलग- अलग तरह की पेंटिंग बनाई थी.






- इंग्लैंड की मल्टीनेशनल कंपनी के द्वारा आयोजित थी पेंटिंग प्रतियोगिता
- पूरे भारत से बच्चों ने लिया था ऑनलाइन हिस्सा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर :  इंग्लैंड की मल्टीनेशनल कंपनी द्वारा विगत माह भारत में राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के लिए यूथ कंपीटीशन 2021 की पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई थी. जिसमें देश के कोने-कोने से 3 हज़ार 268 प्रतिभागी बच्चों ने ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया था. इस प्रतियोगिता में कक्षा तीन में पढ़ने वाले बक्सर के कुमार सिद्धार्थ ने कोविड-19 जागरूकता को लेकर पेंटिंग बना प्रथम स्थान प्राप्त किया, जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहना हुई.


सिद्धार्थ ने आर्ट कॉन्टेस्ट ग्रुप में कोविड जागरुकता पर पेंटिंग कर तस्वीर बनाई थी, जिसमें दर्शाया गया था कि बच्चों व परिजनों को बिना मास्क पहने घर से बाहर नहीं निकलना है तभी जाकर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना को मात दे सकते हैं हालांकि, देश के कोने-कोने से भाग लिए बच्चों ने भी अलग- अलग तरह की पेंटिंग बनाई थी. जिसकी देश भर आनलाइन वोटिंग हुई थी, इस प्रतियोगिता में 999 वोट पाकर  सिद्धार्थ पूरे देश में प्रथम स्थान पर रहा वहीं, दूसरे नंबर पर  तमिलनाडु की प्रियंगा को 907 वोट मिले जबकि तीसरे नंबर पर रहने वाली यूपी की सोनाली मिश्रा को 732 वोट प्राप्त हुए. केरल की राधिका को 572 वोट मिले तथा वह चौथे नंबर पर रही.  सभी विजेताओं को पुरस्कृत करने का प्रावधान है.

राष्ट्रीय स्तर की इस प्रतियोगिता में प्रथम रैंक हासिल करने वाले 8 वर्षीय कुमार सिद्धार्थ के पिता चौसा प्रखण्ड के मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी अजय सहाय ने काफी कम उम्र में बेटे की इस सफलता पर गदगद हैं. उन्होंने बताया कि बेटा विवेकानन्द स्कूल बक्सर में कक्षा तीन में पढ़ता है. बचपन से ही वो यूट्यूब पर देखकर कभी राकेट बनाता है तो कभी एरोप्लेन. उसने एक स्पेस शिप का छोटा सा प्रोजेक्ट भी बनाया है. सिद्धार्थ स्कूल टाईम के बाद हमेशा ही यूट्यूब पर देखकर कुछ ना कुछ प्रोजेक्ट बनाता रहता है. उन्होंने बताया कि मोबाइल या कम्प्यूटर बच्चों के देने में कोई हर्ज नही है. बशर्ते अपनी देख-रेख में शिक्षा की जिज्ञासा के अनुसार उन्हें नई खोज अथवा प्रयोग करने देना चाहिए.










Post a Comment

0 Comments