वीडियो : मर्यादा पुरुषोत्तम राम के वाण से बुराई के रावण का हुआ अंत ..

मेघनाद युद्ध में अपनी पूरी शक्ति लगा देता है, लक्ष्मण को अपने ऊपर भारी देखकर ब्रह्मशक्ति का प्रयोग कर देता है. तब लक्ष्मण जी मूर्छित हो जाते हैं. मूर्छित होने पर लक्ष्मण जी को हनुमान जी उठाकर राम जी के पास ले जाते हैं जहाँ लक्ष्मण को मूर्छित देखकर प्रभु राम विलाप करते हैं. उसके बाद जामवंत जी के कहने से हनुमान जी लंका से वैद्य सुषेण को ले आते हैं.

 





- रामलीला के दौरान हुआ "लक्ष्मण शक्ति, कुंभकर्ण, मेघनाद और रावण वध" प्रसंग का मंचन
- रावण वध के साथ ही बुराई पर अच्छाई की हुई जीत 

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : विजयादशमी महोत्सव के उपलक्ष्य में स्थानीय रामलीला मंच पर आयोजित 12  दिवसीय कार्यक्रम के दौरान शुक्रवार को दिन को 2 बजे से मंचित कार्यक्रम में वृंदावन से पधारे श्री नंद नंदन लीला संस्थान के स्वामी करतार व्रजवासी के सफल निर्देशन में "लक्ष्मण शक्ति, कुंभकर्ण, मेघनाद और रावण वध" के प्रसंग को दिखाया गया. इस दौरान दिखाया कि सर्वप्रथम रावण अपने पुत्र मेघनाथ को रामादल के साथ युद्ध के लिए भेजता है. वहां जाकर मेघनाद का युद्ध लक्ष्मण जी से होता है. मेघनाद युद्ध में अपनी पूरी शक्ति लगा देता है, लक्ष्मण को अपने ऊपर भारी देखकर ब्रह्मशक्ति का प्रयोग कर देता है. तब लक्ष्मण जी मूर्छित हो जाते हैं. मूर्छित होने पर लक्ष्मण जी को हनुमान जी उठाकर राम जी के पास ले जाते हैं जहाँ लक्ष्मण को मूर्छित देखकर प्रभु राम विलाप करते हैं. उसके बाद जामवंत जी के कहने से हनुमान जी लंका से वैद्य सुषेण को ले आते हैं वैद्य सुषेण द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी लाने को कहते हैं. हनुमान जी द्रोणागिरी पर्वत जाकर संजीवनी लेकर आते हैं संजीवनी के उपचार से लक्ष्मण जी स्वस्थ हो जाते हैं.

यह सुनकर रावण कुंभकरण के पास जाता है और बहुत प्रकार से उपाय कर कुंभकरण को नींद से जगाता है और उसे रामा दल में युद्ध के लिए भेजता है जहां श्री राम युद्ध में कुंभकरण का वध कर देते हैं. कुंभकरण के वध की सूचना जब रावण को मालूम पड़ती है तो वह मेघनाद को युद्ध में भेजते हैं वहां दोनों दलों में भयंकर युद्ध होता है और मेघनाद मारे जाते हैं. यह यह सुनकर रावण क्रोध से भर जाता है और सेनापतियों को ललकारने हुए युद्ध को प्रस्थान करता है. 

युद्ध में दोनों सेनाओं के बीच घनघोर संग्राम होता है और उस युद्ध में राक्षसी सेना हारने लगती है. जब राक्षसी सेना हारकर व भयभीत होकर रावण के पास आती है तब रावण स्वयं अस्त्र शस्त्र लेकर रणभूमि प्रस्थान करता है और रणभूमि में रावण सामने आकर डट जाता हैं यहाँ राम व रावण दोनों के बीच कुछ वार्तालाप होता है और संवाद करते करते जब माहौल गर्म हो जाता है तो दोनों दलों से अस्त्र-शस्त्र की वर्षा होने लगती है अंत में विभीषण जी रावण की मृत्यु का भैद राम जी से बताते हैं राम जी एक एक साथ 31 बाण चलाते हैं. और बाण रावण की नाभि कमल में लगता है रावण हाहाकार करते हुए धराशायी हो जाता है. कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के कार्यकारी अध्यक्ष रामावतार पांडेय व संचालन सचिव बैकुंठ नाथ शर्मा ने की. वही धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त सचिव हरिशंकर गुप्ता ने की.

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