कृष्ण-सुदामा की मित्रता के प्रसंग के साथ सात दिवसीय भागवत कथा का समापन ..

कहा कि मृत्यु के समय परमेश्वर का ध्यान और नाम लेने से प्रभु जीव को अपने स्वरूप में समाहित कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि जन्म, जरा और मृत्यु शरीर के धर्म है ,आत्मा के नहीं. आत्मा तो अजर अमर है. इसलिए मानव को पशु बुद्धि का त्याग कर अपने हृदय में भगवान की स्थापना करनी चाहिए.






- चरित्रवन स्थित शिक्षक कॉलोनी में आयोजित था सात दिवसीय कार्यक्रम
- अंतिम दिन भंडारे के साथ हुआ भागवत कथा का समापन

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के चरित्रवन स्थित शिक्षक कॉलोनी में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन रविवार को मामा जी की कृपा पात्र आचार्य श्री रणधीर ओझा द्वारा भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग रोचक ढंग से सुनाया गया. उन्होंने श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि संसार में सबसे पवित्र रिश्ता मित्रता का है. समय आने पर हमेशा अपने मित्रों की सहयोग करना चाहिए. मन में किसी प्रकार का लोभ एवं आशा लेकर मित्रता नहीं करनी चाहिए.  शुकदेव जी ने परीक्षित को अंतिम उपदेश देते हुए कहा कि कलयुग में कई दोष होने पर भी एक लाभ है, इस युग में जो भी कृष्ण कीर्तन करेगा उसके घर कली कभी नहीं प्रवेश करेगा. आचार्य श्री ने कहा कि मृत्यु के समय परमेश्वर का ध्यान और नाम लेने से प्रभु जीव को अपने स्वरूप में समाहित कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि जन्म, जरा और मृत्यु शरीर के धर्म है ,आत्मा के नहीं. आत्मा तो अजर अमर है. इसलिए मानव को पशु बुद्धि का त्याग कर अपने हृदय में भगवान की स्थापना करनी चाहिए.



आचार्य श्री ने कहा कि भगवान शुकदेव  ने सातवें दिन राजा परीक्षित को कथा सुनाते हुए बताया कि यह मनुष्य शरीर ज्ञान और भक्ति प्राप्त करने का साधन है और यह सभी फलों का मूल है. शरीर देव योग से मिला है जो उत्तम नौका के समान है. 
उन्होंने कहा कि जो मनुष्य इस अमूल्य देह का सदुपयोग नहीं करता वह आत्मघाती के श्रेणी में आता है. आचार्य श्री ने कहा कि सत्संग नहीं किया तो कोई बात नहीं पर कामी विषयों का संग कभी नहीं करना चाहिए. सत्संग ईश्वर कृपा पर आधारित है लेकिन, कामी के संग का त्याग करना मनुष्य के वश की बात है. उन्होंने कहा कि परमात्मा का सुमिरन मन में होना चाहिए. कीर्तन करने से मनुष्य सभी दोस्तों और पापों से मुक्त होकर प्रभु को प्राप्त कर सकता है.  

कृष्ण-सुदामा का वर्णन सुन श्रोताओं की आंखें भावविभोर हो छलछला उठी. आरती के बाद विशाल भंडारे के तत्पश्चात कथा का समापन हुआ. समिति सदस्य डब्लू पाठक, मुन्ना ओझा, अवधेश मिश्रा, अग्नि पांडेय, पंकज राय, धनु चौबे, अभिषेक ओझा, कपिलमुनी एवं कॉलोनी के युवा बढ़-चढ़ कर कथा कार्यक्रम में हिस्सा लिया.











Post a Comment

0 Comments