बुरी ख़बर : डीजल के बिना 2 दिनों से बंद हैं जिले की सभी सरकारी एंबुलेंस सेवाएं ..

अधिक जानकारी लेने के सोमवार की दोपहर में ही लिए एंबुलेंस कंट्रोलिंग ऑफिसर से बात की गई तो उन्होंने इसे सर्वर की खराबी बताया तथा कहा कि इसे जल्द ही ठीक कर दिया जाएगा लेकिन, जब मंगलवार की शाम तक स्थिति जस की तस बनी रही तो स्वास्थ विभाग के तमाम अधिकारियों को फोन किया गया.
ऑटो से मरीज को लेकर पहुंचे परिजन

 






- जवाब देने से कतरा रहे हैं अधिकारी, नहीं उठा रहे फोन
- सम्मान फाउंडेशन के द्वारा संचालित होती है सरकारी एंबुलेंस सेवा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : एक तरफ जहां सरकार व स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी की बात कहता नजर आता है वहीं, दूसरी तरफ धरातल पर स्थिति कुछ और ही है. जिले में रविवार से ही एंबुलेंस सेवाएं प्रभावित हैं कारण कि एंबुलेंस चालकों को वाहन परिचालन के लिए डीजल नहीं दिया जा रहा है. बताया जा रहा है कि तकनीकी खराबी के कारण इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है. यह स्थिति मंगलवार की देर शाम समाचार लिखे जाने तक बनी है जिसके कारण अस्पताल में पहुंचने वाले मरीज परेशान हैं.


इस मामले में अधिक जानकारी लेने के सोमवार की दोपहर में ही लिए एंबुलेंस कंट्रोलिंग ऑफिसर से बात की गई तो उन्होंने इसे सर्वर की खराबी बताया तथा कहा कि इसे जल्द ही ठीक कर दिया जाएगा लेकिन, जब मंगलवार की शाम तक स्थिति जस की तस बनी रही तो स्वास्थ विभाग के तमाम अधिकारियों को फोन किया गया हालांकि, फोन नहीं उठाने के कारण उनके तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.

नाम न छापने की शर्त पर एक एंबुलेंस चालक ने बताया कि सम्मान फाउंडेशन जिसके द्वारा एंबुलेंस का संचालन किया जाता है वह ना तो ससमय चालकों को वेतन देती है और ना ही अन्य सुविधाएं. इतना ही नहीं एंबुलेंस चलाने के लिए डीजल देने में भी काफी हिसाब-किताब लगाया जाता है. पिछले 2 दिनों से डीजल के अभाव में जिले भर की एंबुलेंस संचालित नहीं हो पा रही हैं. इस स्थिति में अधिकांश मरीजों को निजी एंबुलेंस से जाने की सलाह दी जा रही है. ऐसे में स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है.


एंबुलेंस चालक ने कहा कि इस तरह की स्थिति से चालकों पर भी खतरा मंडरा रहा है क्योंकि यदि कोई मरीज आपातकालीन स्थिति में आता है तो संभव है कि उसके परिजन व्यवस्था की बदहाली की भड़ास चालक अथवा एंबुलेंस पर निकाल दें. मामले में पूरी जानकारी लेने के लिए एंबुलेंस कंट्रोलिंग ऑफिसर, डीपीएम तथा सिविल सर्जन के फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन, कंट्रोलिंग ऑफिसर और डीपीएम का फोन नहीं उठा वहीं, सिविल सर्जन के फोन पर संपर्क ही नहीं हो सका बहरहाल, स्थिति की गंभीरता स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार लोगों की लापरवाही को देखते हुए निश्चित रूप से यह माना जा सकता है कि यह वहीं लोग हैं जो सुशासन की साख पर बट्टा लगाने का काम कर रहे हैं.









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