गंगा स्वच्छता के नाम पर कत्थक, सूखे पौधे रोपकर कर्तव्यों की इतिश्री ..

शपथ लेने वाले लोगों में अधिकांश नगर परिषद के कर्मी थे. ये वही कर्मी हैं जो डंपिंग ज़ोन नहीं होने का हवाला देकर हर दिन गंगा किनारे कचरा डंप करते हैं. उधर चौसा में पौधरोपण करने वालों से फोटो खिंचाने वालों की संख्या ज्यादा दिखी. इतना ही नहीं पौधरोपण करने वाले यह भी भूल गए कि वह जिस पौधे का रोपण कर रहे हैं वह सूखा हुआ है. 
सूखे हुए पौधे का रोपण करने के क्रम में फ़ोटो खिंचाते लोग




कत्थक प्रस्तुत करते कलाकार

- गंगा स्वच्छता की मशाल लेकर पहुंची टीम को दिखाने के लिए आनन-फानन में हुआ कार्यक्रम
- सूखे पौधों का रोपण करते नजर जिम्मेदार लोग, फोटो खिंचा निभाई जवाबदेही


बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : केंद्र सरकार के द्वारा गंगा की स्वच्छता के लिए अरबों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. बक्सर में भी नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की स्वच्छता के लिए लगातार अभियान चलाए जाते रहते हैं. इन्हीं अभियान के तहत मंगलवार को हरिद्वार से मशाल लेकर गंगा की यात्रा पर निकली पूर्व सैनिकों की टीम का स्थानीय रामरेखा घाट पर स्वागत किया गया, तत्पश्चात चौसा स्थित महादेवा घाट के पास पौधों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया गया. इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में कत्थक नृत्य का आनंद उठाने के बाद गंगा आरती का हुआ. आयोजन के दौरान लोगों बीच हस्ताक्षर अभियान चलाने के साथ लोगों को स्वच्छता कायम रखने की शपथ दिलाई गई. 




दबी जुबान में संगठन से जुड़े लोगों ने बताया कि इस तरह के किसी भी कार्यक्रम के लिए 2 से ढाई लाख रुपए खर्च होते हैं. सरकार भी स्वच्छता के लिए खजाना खोल कर बैठी है लेकिन, स्थानीय आयोजनकर्ताओं के द्वारा इस हिसाब से आनन-फानन में आयोजन किया गया है उससे सरकार की योजना धरातल पर उतरती नहीं दिखाई दे रही है. 



उक्त व्यक्ति की बात पर गौर करने पर यह पता चला कि प्रशासन के द्वारा रामरेखा घाट पर जो आयोजित किया गया था उसमें शपथ लेने वाले लोगों में अधिकांश नगर परिषद के कर्मी थे. ये वही कर्मी हैं जो डंपिंग ज़ोन नहीं होने का हवाला देकर हर दिन गंगा किनारे कचरा डंप करते हैं. उधर चौसा में पौधरोपण करने वालों से फोटो खिंचाने वालों की संख्या ज्यादा दिखी. इतना ही नहीं पौधरोपण करने वाले यह भी भूल गए कि वह जिस पौधे का रोपण कर रहे हैं वह सूखा हुआ है. बहरहाल इन सब हालातों को देखकर एक बात तो स्पष्ट है  गंगा स्वच्छता के प्रति जिम्मेदार लोग गंभीर नहीं बल्कि बेहद उदासीन हैं और स्वच्छता के लिए बनाई गई योजनाएं केवल लूटपाट और दिखावे की योजनाएं बन कर रह गई है. ऐसे में आने वाली पीढ़ियों के लिए जिस निर्मल गंगा का संकल्प लेकर सरकार ने एक सुंदर सपना संजोया है, वह कहीं से पूरा होता नहीं दिखाई दे रहा.









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