जीवन में आध्यात्मिक क्रांति के लिए हृदय में ईश्वर का वास आवश्यक : रणधीर ओझा

देवकी व वासुदेव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस दम्पति के जीवन में अनेक प्रकार के दुःख आए, कंस ने उनकी संपूर्ण राज्य को छीन कर करागार में बंदी बना दिया. उनकी छह संतानों कि हत्या भी कर दी लेकिन, उन दोनों का ईश्वर  से विश्वास कम नहीं हुआ और जेल में रहते हुए भी निष्काम भाव से मंत्र का जाप करते हुए भगवान के आगमन कि प्रतीक्षा करते रहे. 






- अहिरौली गांव में आयोजित है श्रीमद् भागवत कथा
- भगवान के अवतरण से जुड़े प्रसंग की हुई चर्चा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : सदर प्रखंड के अहिरौली ग्राम में आयोजित श्रीमदभगवत कथा के चौथे दिन आचार्य रणधीर ओझा ने भगवन श्री कृष्ण के जन्म प्रसंग का वर्णन किया और भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया. इस दौरान उन्हीने कहा कि मथुरा, वृन्दावन व काशी आदि तीर्थ स्थली के अलावा अन्य मंदिरो में हर साल जन्माष्टमी को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है लेकिन, जब तक हमारे ह्रदय में भगवान का जन्म नहीं होगा तब तक खुद के जीवन एवं समाज में आध्यात्मिक क्रांति संभव नहीं है. 




कथा का विस्तार देते हुए आचार्य श्री ने कहा कि जब पृथ्वी असुरों के अत्याचार के दुखी होकर संतों के पास जाती है तो संत ब्रह्माजी के पास जाते हैं. ब्रह्माजी देवताओं के साथ भगवान के पास जाकर उनसे अवतार लेने के लिए प्रार्थना करते हैं और वे पृथ्वी पर अवतरित होते हैं. श्री ओझा ने कहा कि व्यक्ति का ह्रदय पृथ्वी के सामान है, जिसमे नित्य नवीन विचारों का जन्म होता है  कभी काम, कभी क्रोध, कभी लाभ तो कही ईर्ष्या एवं लोभ का जन्म होता है।  यही विचार कंस है।  सो हमे संत अथवा परमात्मा से इन विचारों से मुक्ति के लिए विनती करनी चाहि. देवकी व वासुदेव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस दम्पति के जीवन में अनेक प्रकार के दुःख आए, कंस ने उनकी संपूर्ण राज्य को छीन कर करागार में बंदी बना दिया. उनकी छह संतानों कि हत्या भी कर दी लेकिन, उन दोनों का ईश्वर  से विश्वास कम नहीं हुआ और जेल में रहते हुए भी निष्काम भाव से मंत्र का जाप करते हुए भगवान के आगमन कि प्रतीक्षा करते रहे. फलस्वरूप उन्हें परम ब्रह्म परमात्मा खुद पुत्र रत्न के रूप में प्राप्त हुए.इस कलयुग में हमे देवकी और वासुदेव जी से सीखना चाहिए कि त्याग , तपस्या तथा समर्पण  से यदि कोई भक्त रखे तो परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है.

आचार्य श्री ने आगे बताया कि भगवान कृष्ण का जब रात्रि में प्रादुर्भव हुआ , तब पूरे ब्रह्मांड का वातावरण सकारात्मक हो गया, देवी देवता मंगल गीत गाने लगे और ईश्वर का गुणगान करने लगे. प्रकृति , पशु , पक्षी , साधु संत ,किन्नर आदि सभी नाचने लगे और ईश्वर के जन्म को लेकर हर्षित हुए. कहा जाता है की जब ईश्वर का जन्म हुआ था तब देवताओं ने स्वर्ग से फूल बरसाए थे. कथा आयोजक उमाकांत चौबे ने बताया कि कार्यकर्ता रिंकू चौबे , कमलेश चौबे, पप्पू ओझा, अजय चौबे बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे है. वहीं, संरक्षक मोहन उपाध्याय(पूर्व मुखिया) गोपाल जी, कन्हैया जी , राधा , गुड्डन, बंकू आदि लोग उपस्थित रह रहे हैं.








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