पार्षदों ने नगर परिषद की अनियमितताओं को उजागर करना शुरु कर दिया है. नगर के दो वार्ड पार्षदों ने नगर परिषद की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कार्यपालक पदाधिकारी तथा नगर परिषद के प्रशासक के रूप में कार्य कर रहे एडीएम तथा नप की कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र लिखकर उनसे जवाब मांगा है.
- पत्र लिख कर अधिकारियों से पूछे कईसवाल
- कार्यपालक पदाधिकारी ने कहा, कुछ गड़बड़ नहीं सब कुछ है पारदर्शी
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : शक्तियां खत्म होते ही नगर के वार्ड पार्षदों ने नगर परिषद की अनियमितताओं को उजागर करना शुरु कर दिया है. नगर के दो वार्ड पार्षदों ने नगर परिषद की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कार्यपालक पदाधिकारी तथा नगर परिषद के प्रशासक के रूप में कार्य कर रहे एडीएम तथा नप की कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र लिखकर उनसे जवाब मांगा है. जो सवाल पार्षदों के द्वारा पूछे गए हैं उनमें नगर परिषद के द्वारा वर्ष 2017 से 2021 तक सफाई के खर्च में तीन गुना की बढ़ोतरी, सफाई के लिए चयनित एनजीओ को अलग से संसाधन देने तथा एवं स्थाई सशक्त समिति की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी नहीं देने जैसी बातें शामिल हैं.एडीएम ने जहां आवेदन अब तक नहीं देखे जाने की बात कही है वहीं, नगर परिषद की कार्यपालक पदाधिकारी ने सभी सवालों का एक ही जवाब दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जो भी फैसले लिए गए हैं वह सब नियमानुकूल एवं पार्षदों की सहमति से लिए गए हैं.ऐसे में इन पर सवाल उठाना ही हास्यास्पद है.

दरअसल, नगर परिषद के वार्ड संख्या 13 की वार्ड पार्षद कमरुन निशा तथा वार्ड संख्या 23 के वार्ड पार्षद राकेश सिंह ने अलग-अलग पत्र लिखकर कहा है कि 2017 में सफाई एनजीओ को दिए जा रहे हैं 16.5 लाख रुपये की राशि को 2021 तक बढ़ाकर 44 लाख रुपये कर दिया गया है. वहीं चयनित एजेंसी को संसाधन भी नगर परिषद ही खरीद कर दे रहा है जो कही से उचित नहीं है. वार्ड पार्षद कमरून निशा ने यह भी आरोप लगाया है कि पिछले साल हुए मध्यावधि चुनाव में जीतने के बाद अब तक जितनी भी बोर्ड एवं स्थाई समिति की बैठक हुई है उसकी कोई लिखित जानकारी उन्हें नहीं दी गई है इतना ही नहीं 4 अक्टूबर 2021 को उन्होंने मुख्य पार्षद एवं नप की कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र लिखकर भी अनियमितताओं पर सवाल उठाया था लेकिन उसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई.
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम ने बताया कि जिस हिसाब से महंगाई बढ़ी है. ऐसे में सफाई के नाम पर जो खर्च हो रहा है वह बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन, इस बात का भी निर्णय उनके द्वारा नहीं बल्कि बोर्ड की बैठक में सभी सभी प्रतिनिधियों की सहमति से ही लिया गया था. साथ ही नियमानुसार सफाई एनजीओ को केवल मानव बल उपलब्ध कराना होता है. संसाधन नगर परिषद को ही देने होते हैं। ऐसे में जेम पोर्टल से खरीदारी कर संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं.
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